गंगा के उफान से बलिया में आई बाढ़, देखें कैसे चंद सेकेंडों में नदी में ढही 2 मंजिला इमारत और पानी की टंकी
बलिया। देश की सबसे लंबी नदी गंगा खतरे के निशान से भी एक मीटर से भी ऊपर बह रही है। बढ़े जलस्तर से कई जिलों में जलभराव होने लगा है। गांव-कस्बे बाढ़ की चपेट में हैं। बलिया जिले की बैरिया तहसील स्थित केहरपुर रविवार को गंगा नदी के तेजधारा से कोहराम मच गया। यहां पेयजल योजना के तहत बनी पानी टंकी व पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुघरछपरा के भवन के साथ ही करीब दर्जनभर आशियाने ढह गए। कईयों के मकान और पानी की टंकी गंगा में समा गए। कुछ ही देर में शुरू हुई भयंकर कटान के चलते बस्ती में भगदड़ मच गयी। दो मंजिला इमारत और टंकी के गंगा में समाए जाने के वीडियो वायरल हो गए हैं।
चंद सेकेंडों में गंगा में समाया मकान
इन वीडियो में गंगा के प्रकोप को साफ देखा जा सकता है। लोगों के घर-मकान उनकी आंखों के सामने ही जमींदोज हो गये। संवाददाता के अनुसार, जलेश्वर दूबे, मुनेश्वर दूबे, रामेश्वर दूबे, प्रभुनाथ ओझा, रामनाथ ओझा, योगेंद्र ओझा, जयप्रकाश ओझा, रमाकांत ओझा, शिवनाथ ओझा, शंभुनाथ ओझा, मंगलदेव ओझा अब बेघर हैं। वे उस जगह को छोड़कर दूसरे जगह पर जाने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि घरों में मौजूद सामान और पालतू पशु भी तबाही की भेंट चढ़े हैं। हर कोई अपने मासूम बच्चों, बुजुर्गों सहित महिलाओं को बचाने में लगा रहा।
पीड़ितों की सुधि लेने की जहमत नहीं उठायी
खतरे की इस घड़ी में प्रशासनिक उदासीनता ऐसी थी कि कोई मदद नहीं पहुंचाई गई। पीड़ितों की सुधि लेने की जहमत भी नहीं उठायी। बताया जा रहा है कि डीएम भवानी सिंह खंगारौत व बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने रविवार सुबह दूबेछपरा रिंग बंधे का निरीक्षण किया था। उन्होंने बाढ़ विभाग के एक्सईएन वीरेन्द्र सिंह को लोगों का ख्याल रखने को कहा भी था। हालांकि, बैरिया तहसील में प्रशासन कोई मदद नहीं पहुंचा सका।
कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा
जिले का कोई उच्चाधिकारी या जनप्रतिनिधि कटान पीड़ितों का हाल जानने के लिये मौके पर नहीं पहुंचा। सकंट की घड़ी में लोगों ने सूझबूझ दिखाते हुए मकान खाली किया। अपना सामान निकाला। हालांकि, फिर कुछ ही सेकेंडों में दो मंजिला मकान गंगा में समा गया।