बलिया: बैठक में भिड़े बीजेपी सांसद मस्त और विधायक सुरेंद्र सिंह, गाली-गलौच के बीच बुलानी पड़ गई पुलिस
बलिया। यूपी के बलिया में बुधवार को जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति (दिशा) की बैठक के दौरान भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त और विधायक सुरेंद्र सिंह आपस में ही भिड़ गए। दोनों के बीच जमकर गाली गलौच भी हुई। मामला बिगड़ता देख पुलिस मौके पर पहुंच गई और दोनों पक्षों को अलग किया गया। इसी बीच बैठक में मौजूद राज्यमंत्री आनंद शुक्ल और विधायक सुरेंद्र सिंह बैठक छोड़कर बाहर आ गए। सांसद ने किसी तरह बैठक की औपचारिकता पूरी की। बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह को कुछ बोलने से रोका था, इसी के बाद दोनों के बीच बहस शुरू हो गई और माहौल गर्म हो गया।
विधायक सुरेंद्र सिंह ने सांसद पर लगाया ये आरोप
विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि दिशा की बैठक के लिए एक सूची होती है, जिसके अनुसार ही लोगों को बैठने दिया जाना चाहिए, लेकिन सांसद जिसे चाहते हैं उसी को बैठाते हैं। सुरेंद्र सिंह ने सांसद पर मनमानी का आरोप लगाते हु कहा, हम लोगों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया है, इस तरह की मनमानी नहीं चलेगी। बैठक में जनप्रतिनिधियों को बुलाया जाता है और उन्हें पूरा सम्मान देते हुए उनकी बातों को सुना जाता है।सुरेंद्र सिंह ने मंगलवार रात अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त को भूमाफिया करार दिया था। उन्होंने डीएम एचपी शाही पर सांसद के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह सांसद और जिलाधिकारी की बुद्धि-शुद्धि के लिए 101 घंटे तक उपवास करेंगे। विधायक ने आरोप लगाया कि सांसद ने खुद और अपने बेटे और भाई एवं भतीजे के नाम पर बैरिया क्षेत्र के बाबु के शिवपुर गांव के विजय बहादुर सिंह की 18 एकड़ से ज्यादा भूमि धोखाधड़ी के जरिए हथिया ली है।
भाजपा सांसद ने कही ये बात
भाजपा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने विधायक सुरेंद्र सिंह के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उनका नाम लिए बगैर एक कार्यक्रम में कहा कि वह यूपी के सबसे शक्तिशाली सांसद हैं, उनकी खामोशी को उनकी कमजोरी न समझा जाए। मैं नहीं बोलता हूं तो इसका मतलब यह हरगिज नहीं है कि मैं डरता हूं। वहीं, सुरेंद्र सिंह के आरोप पर भाजपा सांसद के निजी सचिव अमन सिंह ने कहा कि भाजपा विधायक मानसिक रूप से दिवालिया हो गए हैं। उन्हें मीडिया के समक्ष आरोप लगाने के बजाय कानून के प्रावधान के तहत लड़ाई लड़नी चाहिए।
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