BHU छात्रा का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज, खनिज रंगों से बनाई सबसे बड़ी पेंटिंग 'मोक्ष का पेड़'
बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया में रहने वाली नेहा सिंह ने खनिज रंगों से 'भगवद्गीता' पर आधारित 'मोक्ष का पेड़' नामक पेटिंग बनाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। नेहा ने घर पर ही खनिज रंगों से सबसे बड़ी पेंटिंग बनाई है। इसका साइज 62.72 स्कॉयर मीटर यानि 675.36 स्कॉयर फीट है। पेंटिंग जुलाई महीने में ही गिनीज के नियमों के अनुसार तैयार करके ऑनलाइन से सभी डाक्यूमेंट्स जमा कर चुके थे, लेकिन कोविड के चलते गिनीज से जवाब आने में चार महीने का समय लग गया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 100 वर्षों में पहली बार विद्यार्थी का नाम 'गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज हुआ है। बलिया के डीएम हरि प्रताप शाही ने नेहा सिंह के घर आकर उन्हें बधाई दी और उन्हें सर्टिफिकेट दिया।
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8 अलग-अलग पेंटिंग को नकारने के बाद भगवद्गीता पर आधारित पेंटिंग बनाई
पहले यह रिकॉर्ड आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा की रहने वाली श्रेया तातिनेनी के नाम था। श्रेया तातिनेनी ने 29 सितंबर 2019 को 54.67 स्कॉयर मीटर यानी 588.56 स्कॉयर फीट में खनिज रंगों से पेंटिंग बनाई थी। नया रिकॉर्ड बनाने वाली नेहा सिंह ने बताया कि उसी समय से इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए एप्लीकेशन डाला हुआ था, लेकिन गिनीज रिकॉर्ड से अनुमति मिलते और तैयारियां करते-करते साल भर का समय लगा। खनिज रंगों से जो भी पेंटिंग बनाएंगे उसका अप्रूवल पहले से ही गिनीज से लेना पड़ता था। करीब 8 अलग-अलग पेंटिंग को नकारने के बाद अंतिम गिनीज रिकॉर्ड के लिए भगवद्गीता पर आधारित पेंटिंग बनाई। खनिज रंगों से पेंटिंग बनाने के लिए गिनीज रिकॉर्ड अथॉरिटी के बहुत सारे नियमों का पालन करना था।
बधाई देने वालों का लगा तांता
नेहा ने बताया कि भगवद्गीता के अठ्ठारह अध्यायों को, पेड़ के अठ्ठारह शाखाओं में और एक एक शाखाओं में 1 से 18 पत्तों का चित्रण करके ऊपर कमल और ॐ से मोक्ष प्राप्ति का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केंद्र के पहले सत्र की छात्रा नेहा सिंह को वैदिक साहित्य में अधिक रुचि है। आम जन को देखने के लिए नेहा सिंह ने पेंटिंग को अपने घर (रसड़ा, डेहरी, कोटवारी) के बाहर लगाया है। नेहा को बधाई देने वालों का तांता लग गया है।
पहले भी बना चुकी हैं कई रिकॉर्ड
नेहा इससे पहले भी कई रिकॉर्ड बना चुकी हैं। उन्होंने 16 लाख मोतियों से 10 × 11 फुट का भारत का नक्शा बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया था। दूसरा रिकॉर्ड 449 फीट कपड़े पर 38417 डॉट डॉट कर उंगलियों के निशान से हनुमान चालीसा लिख कर "EURASIA WORLD RECORD" में नाम दर्ज करवाया। इसके अलावा तीसरा रिकॉर्ड दुनिया का पहला दशोपनिषद् एवं महावाक्य का डिजिटल प्रिंटेड एल्बम बनाकर 'INDIAN BOOK OF RECORDS' में दर्ज है।