'कब्र में भी आपके साथ चलूंगी' दादी से कहती थी 3 साल की पोती, यूं सच हो गई बात
बलरामपुर। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में एक सड़क हादसे में महिला और उसकी तीन साल की पोती की दर्दनाक मौत हो गई। अपनी दादी के साथ हर जगह यहां तक कि कब्र तक जाने की भी जिद करने वाली बच्ची की यह ख्वाहिश आखिरकार उसकी नियति बन गई। अपनी मां और मासूम बेटी को यादकर फफकर रो पड़ा वो पिता जिसने अपने हाथों से दोनों को एक साथ कब्रिस्तान में दफनाया। जिसने भी यह मंजर देखा वह अपने आंसुओं को नहीं रोक पाया। घटना से पूरा गांव शोक में डूब गया।
दादी-पोती में था बेहद प्यार
बलरामपुर के पनवापुर गांव के रहने वाले रईस अहमद पिछले आठ साल से अहमदाबाद में रहकर मजदूरी करते थे। रईस ने बताया कि उसकी मां इशरत जहां को अपनी पोती सोमैया से बेहद लगाव था। वह छह माह की उम्र से अपनी दादी के ही साथ रही। वह उसे पल भर के लिए भी नहीं छोड़ती थी। इशरत अक्सर सोमैया से पूछती थी कि क्या तुम कब्र में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ोगी। इस पर वह कहती थी कि ‘हां, मैं भी साथ चलूंगी।'
लॉकडाउन में पैसे हुए खत्म तो वापस लौट रहे थे घर
रईस ने बताया कि लॉकडाउन से करीब दो हफ्ते पहले उसने मां को इलाज के लिए अहमदाबाद बुलाया था। मां के साथ सोमैया भी जिद करके आई थी। इस दौरान लॉकडाउन हो गया और बचाकर रखे गए पैसे भी खत्म हो गए। इसपर उन्होंने वापस घर लौटने का फैसला लिया। वह अपनी मां और भतीजी सोमैया को अपने गांववालों के साथ एक ट्रक बुक कराकर पनवापुर गांव की तरफ चल दिए। 13 मई को यह ट्रक बलरामपुर पहुंचने से पहले कानपुर में कानपुर-झांसी राजमार्ग पर खड़े ट्रक से जा टकराया। इस हादसे में इशरत और सोमैया सहित तीन लोगों की मौत हो गई।
दादी-पोती के शव को गांव के कब्रिस्तान में दफनाया गया
शनिवार को दादी-पोती का शव गांव लाया गया। इशरत जहां के पति अकबर अली भी दादी-पोती के बीच हुई कब्र वाली बात को याद करके अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए। जिलाधिकारी के. करुणेश ने रविवार को बताया कि दादी-पोती के शव को गांव के कब्रिस्तान में दफना दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस हादसे में मामूली रूप से घायल 16 लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया है।
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