बसपा नेता रिजवान जहीर ने कहा- भाजपा को हराने के लिए बंदूक भी उठाने को तैयार हूं
Balrampur news, बलरामपुर। कांग्रेस छोड़कर बसपा का दामन थाम चुके पूर्व सांसद रिजवान जहीर का कहना है कि बीजेपी को हराने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं, कहीं भी जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई सामंतवादियों से शुरू से रही है। उनकी लड़ाई किसी प्रत्याशी से नहीं, बल्कि भाजपा से है। उन्होंने कहा, ''मेरी 100 बार अर्थी गिरे और उठे भाजपा को हराना मेरा पहला लक्ष्य है और जरूरत पड़ेगी तो बंदूक उठाने को भी तैयार हूं।'' रिजवान जहीर ने ये बातें श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से गठबंधन का प्रत्याशी शिरोमणि वर्मा के समर्थन में की जा रही प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहीं।
श्रावस्ती सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
बता दें, उत्तर प्रदेश की श्रावस्ती लोकसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। एक तरफ भाजपा से बागी हुए कांग्रेस प्रत्याशी धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू हैं तो वहीं सपा बसपा गठबंधन से बड़ी मशक्कत से श्रावस्ती लोकसभा सीट के लिए टिकट पाने वाले राम शिरोमणि वर्मा मैदान में हैं। भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अपने सांसद पर विश्वास जताते हुए दद्दन मिश्रा को दोबारा अपना प्रत्याशी बनाया है।
बदस्तूर जारी है जोड़तोड़ की राजनीति
जोड़तोड़ की राजनीति बदस्तूर जारी है। सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा ने मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए मुसलमानों के मसीहा कहे जाने वाले रिजवान जहीर को अपने पाले में ला खड़ा किया है। रिजवान जहीर गठबंधन प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा को जिताने के लिए जी-जान से क्षेत्र में जुट गए हैं और अपने समर्थकों से उन्हें जिताने की अपील भी कर रहे हैं।
मुलायम को चैलेंज के बाद गर्दिश में गए रिजवान के सितारे
रिजवान जहीर साल 1989 में निर्दल, 1993 में सपा व 1996 में बसपा से तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। साल 1998 व 1999 में सपा से वो श्रावस्ती लोकसभा से सांसद भी रहे हैं। रिजवान जहीर के राजनीति के सितारे गर्दिश में उस वक्त आ गए जब उन्होंने साल 1999 के बाद मुलायम सिंह यादव को सीधा चैलेंज करते हुए कहा कि रिजवान जहीर को किसी पार्टी की जरूरत नहीं है, रिजवान जहीर खुद में पार्टी है और मुलायम सिंह यादव चाहें तो मेरे सामने चुनाव लड़ कर देख लें, उन्हें भी हार ही हाथ लगेगी। जिसके बाद से रिजवान जहीर के सितारे गर्दिश में चले गए और तब से उन्होंने एक भी चुनाव नहीं जीता।
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