कोर्ट से प्राइवेट पार्ट में छिपाकर लाए मोबाइल और चरस, हालत खराब होने पर खुली पोल
बागपत। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां जिला जेल में बंद दो कैदियों के पेट में असहनीय दर्द होने के बाद उन्हें जेल के अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां डॉक्टरों ने उनका इलाज किया, लेकिन दर्द और बढ़ता चला गया। हालत खराब होने पर दोनों बंदियों ने डॉक्टरों को असलियत से अवगत कराया, जिसे सुनकर सभी हैरान रहे गए। दरअसल कोर्ट में पेशी के बाद वापस लौटे वक्त दोनों बंदियों ने अपने गुप्तांग के जरिए मोबाइल और सुल्फा (चरस) अपने पेट में छिपा लिया था।
क्या है मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बागपत जिला जेल में बंद बंदी सोमवार को पेशी के लिए न्यायालय पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि वहां लोनी और बागपत के रहने वाले बंदियों ने पुलिसवालों से सांठगांठ कर अपने परिजनों से मुलाकात की। इनमें लोनी के रहने वाले बंदी ने परिजनों से सुल्फा लिया। उसकी तीन बत्ती बनाई। फिर उसे पॉलीथिन में लपेटा। इसके बाद एक-एक बत्ती को गुप्तांग के जरिए पेट में पहुंचा दीं। जबकि बागपत के बंदी ने भी परिजनों से मोबाइल फोन लिया और फिर उसे गुप्तांग के जरिए पेट में पहुंचा लिया।
पेट शुरू हुआ असहनीय दर्द
पेशी के बाद ये दोनों बंदी भी अन्य बंदियों के साथ वापस जेल पहुंच गए। वहां पहुंचते ही उनके पेट में असहनीय दर्द शुरू हो गया। जिसके दोनों ने जेल अधिकारियों से चिकित्सा सुविधा दिलाने की मांग की। उन्होंने तुरंत ही उन्हें जेल के अस्पताल में भिजवा दिया। वहां चिकत्सकों ने उन्हें उपचार दिया, लेकिन दर्द और बढ़ता ही चला गया। हालत खराब होने पर दोनों बंदियों ने डॉक्टर को दर्द होने की वजह बताई तो डॉक्टर भी हैरान रह गए। डॉक्टर ने तुरंत ही इसकी सूचना जेल अधिकारियों को दी और उनके पेट से मोबाइल व सुल्फे की बत्ती निकालने में जुट गए।
कार्रवाई के लिखा पत्र
बताया जा रहा है कि लोनी के रहने वाले बंदी के पेट से रात में ही चरस निकाली जा चुकी है। लेकिन बागपत के बंदी के पेट के अंदर से मोबाइल नहीं निकल सका और वह दर्द से रात भर चिल्लाता रहा। मंगलवार की सुबह शौच के दौरान बंदी के प्राइवेट पार्ट से मोबाइल निकल गया और बंदी ने मोबाइल जेल अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया। जेल अधीक्षक सुरेश कुमार सिंह ने दोनों बंदियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस अधीक्षक बागपत को पत्र भेजा है।
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