यूपी के पंचायत चुनाव में उतरेगी भीम आर्मी, चीफ चंद्रशेखर ने आजमगढ़ में योगी सरकार पर बोला हमला
आजमगढ़। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या 14 अगस्त को कर दी गई थी। हत्यारोपी अपराधी सूर्यांश दुबे को पुलिस ने नवंबर में मुठभेड़ में मार गिराया था। घटना के बाद से ही आजमगढ़ में दलित नेताओं की आवाजाही जारी है और वे इस मुद्दे को बार-बार उठा रहे हैं। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण एक बार फिर आजमगढ़ पहुंचे और इस बार डीएम से मिलकर उन्होंने प्रधान के परिजनों को प्रशासन की तरफ से मिलने वाली मदद में हो रही देरी की शिकायत की। डीएम ऑफिस जाते समय चंद्रशेखर आजाद की झड़प पुलिस से हो गई। डीएम से मुलाकात करने के बाद उन्होंने कहा कि इस बार भीम आर्मी यूपी में पंचायत चुनाव लड़ेगी और संघर्षशील लोगों को मैदान में उतारेगी।

मंगलवार को दोपहर में भीम आर्मी चीफ आजमगढ़ जिलाधिकारी से मिलने के लिए उनके ऑफिस पहुंचे तो वहां भारी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे। मास्क लगाए चंद्रशेखर आजाद का रास्ता पुलिस ने रोक दिया। अपनी पहचान बताने के बाद उनको डीएम ऑफिस में जाने दिया गया। डीएम से मुलाकात में चंद्रशेखर आजाद ने तरवा थाना क्षेत्र के बांसगांव के दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या के बाद प्रशासनिक मदद न मिलने और जिले में कानून-व्यवस्था को लेकर बात की।

डीएम ऑफिस से बाहर निकलते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उन्होंने जिलाधिकारी को प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या के बाद हुई कई घटनाओं के बारे में बताया है और पूछा कि अगर प्रशासन व्यवस्थित तरीके से काम कर रहा है तो कानून-व्यवस्था क्यों खराब है। कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था सुधारने के नाम पर योगी सरकार विरोधियों को ठिकाने लगाने का काम कर रही है। ऐसा प्रदेश में ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला है। इसके साथ ही चंद्रशेखर आजाद ने यूपी पंचायत चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया।
अगस्त में दलित प्रधान की हत्या के बाद आजमगढ़ की यह घटना सुर्खियों में रही। प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या के बाद समर्थकों और परिजनों ने बवाल किया था। आक्रोशित लोगों ने पुलिस चौकी को आग लगा दी थी। इसके बाद कांग्रेस, बसपा और भीम आर्मी ने इस क्षेत्र में हत्यारोपी को पकड़ने और न्याय की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। उसी समय चंद्रशेखर आजाद भी आए थे। उन्होंने प्रधान के घर बांसगांव जाने की कोशिश की थी लेकिन पुलिस ने उनको रास्ते में ही रोक लिया था। हत्या की इस घटना के बाद योगी सरकार की किरकिरी हुई थी।
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