1984 का चुनाव: जब अमेठी में चुनावी मैदान में आमने-सामने था गांधी परिवार
Amethi News, अमेठी। मेनका गांधी ने सुल्तानपुर सीट के लिए गुरुवार को नामांकन दाखिल कर दिया है। मेनका गांधी ने उसी कलेक्ट्रेट में नामांकन किया जहां उन्होंने 35 साल पहले नामांकन किया था। उस समय यह कलेक्ट्रेट अमेठी में आती थी। इस दौरान उन्होंने अमेठी सीट से नामांकन किया था। आपको बता दें कि 1984 के लोकसभा चुनावों में गांधी परिवार के दो सदस्य आमने-सामने आ गए थे। जिसके बाद इस सीट पर सियासी लड़ाई यहां काफी दिलचस्प हो गई थी।
उप चुनाव में नहीं लड़ पाई थी अमेठी से चुनाव
यूपी की वीवीआईपी लोकसभा सीट अमेठी में सियासी लड़ाई हमेशा से ही दिलचस्प रही है। 1984 लोकसभा चुनाव में लोग तब हैरान रह गए, जब गांधी परिवार आपस में ही लड़ गया। यह मुकाबला राजीव गांधी और संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी के बीच था। अमेठी से मेनका के पति संजय गांधी सांसद हुआ करते थे लेकिन 1980 में विमान हादसे में उनकी मौत के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ। उम्मीद की जा रही थी कि मेनका राजनीति में उतरेंगी और पति की सीट से चुनाव लड़ेंगी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
इंदिरा ने राजीव को बनाया था अमेठी से उम्मीदवार
संजय गांधी के देहांत के बाद देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मेनका की जगह राजीव गांधी को उपचुनाव में अमेठी से टिकट दे दिया। राजीव को हराने के लिए विपक्ष ने शरद यादव को उतारा, लेकिन राजीव चुनाव जीत गए। इस बीच मेनका और इंदिरा के संबंध बेहद खराब हो गए और मेनका अलग रहने लगीं।
'संजय विचार मंच' पार्टी से लड़ी थी चुनाव
मेनका गांधी ने संजय गांधी के पुराने दोस्तों के सहयोग से 'संजय विचार मंच' पार्टी बनाई। इस बीच 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हो गई। तब मेनका ने तय किया कि वह राजीव गांधी (तब प्रधानमंत्री) के खिलाफ मैदान में उतरेंगी। मेनका की सभाओं में भारी भीड़ उमड़ती थी, लेकिन ये भीड़ वोट में नहीं तब्दील हो पाई। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की लहर में अमेठी की जनता ने मेनका को नहीं बल्कि राजीव गांधी को चुना, वह भी तीन लाख से भी अधिक मतों से जीते थे। वहीं, मेनका गांधी इस सीट पर अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी। उन्हें मात्र 50 हजार 163 वोट ही मिले थे। बस इस बात से खफा मेनका तब से अमेठी नहीं आई।
मौजूदा समय में सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़ रही है मेनका
वर्तमान समय में मेनका गांधी भाजपा के टिकट पर सुल्तानपुर सीट से मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस के डा. संजय सिंह और गठबंधन के चन्द्रभद्र सिंह मैदान में हैं। ऐसे में यहां की लड़ाई त्रिकोणीय बन चुकी है। वैसे मेनका बेटे वरुण द्वारा कराए गए विकास कार्यों और मोदी सरकार की योजनाओं को भुना रही हैं, जिस में वो एक हद तक कामयाब भी हैं।
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