अंबेडकर नगर: जूनियर डॉक्टरों ने कोविड वार्ड में ड्यूटी करने से किया इनकार, कहा- घटिया मास्क से जान को है खतरा
अम्बेडकर नगर। उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर के महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज में कोविड अस्पताल बनाया गया है जहां की अव्यवस्था पर डॉक्टरों में आक्रोश व्याप्त है। खाने के पैकेट में कॉक्रोच मिलने और क्वारंटाइन सेंटर की अपर्याप्त सुविधाओं को लेकर डॉक्टरों ने शिकायत की थी। अब कोरोना वार्ड में तैनात जूनियर डॉक्टरों ने मास्क की गुणवत्ता में खराबी के चलते जान को खतरा होने का हवाला दे कर कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने से इनकार दिया है। परेशान डॉक्टरों ने कोविड विभाग के नोडल अधिकारी को पत्र दे कर कार्य करने में असमर्थता जताई है। कोविड के प्रभारी ने पत्र को शासन भेज दिया है। डाक्टरों के इस खुलासे के बाद कोरोना की जंग में भ्रष्टाचार की बू आने लगी है।
घटिया मास्क पर डॉक्टरों ने लिखी चिट्ठी
कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में डॉक्टर ही सबसे मजबूत और अहम कड़ी हैं लेकिन सरकार इन्ही के सुरक्षा को लेकर लापरवाह नजर आ रही है। ताजा मामला राजकीय मेडिकल कालेज का है ,जहां कोविड वार्ड में तैनात एक दर्जन से अधिक जूनियर डाक्टरों ने कोविड विभाग के विभागाध्यक्ष को एक पत्र सौंपा है। पत्र में डॉक्टरों ने यह उल्लेख किया है कि उन्हें एन95 का जो मास्क दिया जा रहा है उसकी गुणवत्ता ठीक नही है। उसमें छिद्र बहुत ज्यादा हैं, कार्य करते समय वह अपने आप निकल जाता है जिससे कोरोना के संक्रमण होने का खतरा बना है और हमारी जिंदगी को खतरा है। ऐसे में हम सब इस मास्क के सहारे अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं। हमे अच्छी गुणवत्ता का मास्क दिया जाय।
कोविड प्रभारी ने इस मामले पर कहा
डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पत्र ने जहां कोरोना और डाक्टरों की सुरक्षा के प्रति सरकार के रवैये को उजागर किया है वहीं पूरे खेल में भ्रष्टाचार की बू भी आ रही है। इस बारे में मेडिकल कालेज में कोविड प्रभारी डॉ आर के मौर्या का कहना है कि मास्क की खरीददारी मेडिकल कॉलेज ने नहीं किया है ,शासन स्तर पर हुई है। डॉक्टरों ने जो पत्र दिया है उसे शासन को फारवर्ड किया गया है। डॉक्टर जिस मास्क की मांग कर रहे हैं, वह मिल नहीं रहा है। कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज हो रहा है।
कोविड अस्पताल में अव्यवस्था
महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कालेज को कोविड अस्पताल बनाया गया है जहां पर अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर और अमेठी तीन जिले के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। इस मेडिकल कालेज में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन डॉक्टरों की भारी किल्लत है। कोरोना का इलाज करने के लिए मेडिसिन के सिर्फ तीन डॉक्टर हैं जबकि सृजित पदों की संख्या 9 है। डॉक्टरों की संख्या कम होने से 8 घंटे के बजाय डॉक्टरों को लगातार 24 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। जिस भवन में डॉक्टरों को क्वारंटाइन किया जा रहा है वहां न तो टीवी लगी है और न ही शौचालयों में पर्याप्त व्यवस्था है। मेडिकल कालेज में यदि किसी डॉक्टर को कोरोना हो जाय तो उनके इलाज के लिए अभी कोई व्यवस्था नही की गई है।
डॉक्टरों के भोजन में दिखा कॉक्रोच
प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि क्वारंटाइन में रह रहे डॉक्टरों को खाने का जो पैकेट दिया जाता है उसमें खाना ठीक नही रहता। डॉक्टर के खाने में कॉक्रोच निकल गया जिसको लेकर उनमें आक्रोश है लेकिन प्रशासन से कार्रवाई का डर भी है। नाम न छापने की शर्त पर डॉक्टरों ने बताया कि खाने और रहने की अव्यवस्था को लेकर कई बार शिकायत की गई है लेकिन सुधार नही हुआ। कार्रवाई का भय दिखाकर चुप करा दिया जाता है। खाने में रोटी ही कम पड़ जाती है। यही नहीं, यहां न तो पर्याप्त मात्रा में दवा है और न ही मरीजों के लिए कोई व्यवस्था, सब रामभरोसे चल रहा है।