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राजस्थान का यह व्यक्ति खरगोश से कमाता है 12 लाख रुपए, जानिए कैसे होती है Rabbit Farming ?

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अलवर। कई लोग शौकिया तौर पर अपने घर में खरगोश पालते हैं, मगर क्या आप जानते हो कि खरगोश पालकर लाखों रुपए भी कमाए जा सकते हैं। इस बात का उदाहरण है राजस्थान के अलवर जिले के ततारपुर चौराहा के पास स्थि​त गांव बदली की ढाणी के रिटायर फौजी नवल किशोर। ये खरगोश पालकर हर साल 12 लाख रुपए कमा रहे हैं। इसे रैबिट फार्मिंग कहते हैं।

रैबिट फार्मिंग करने वाला का साक्षात्कार

रैबिट फार्मिंग करने वाला का साक्षात्कार

सालभर पहले फौज से रिटायर हुए नवल किशोर ने वन इंडिया हिंदी से बात कर बताया कि किस तरह से रैबिट फार्म तैयार किया जा सकता है और उसमें खरगोश पालते समय किन-किन ​बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। साथ ही नवल किशोर ने खरगोश पालन के आइडिया से लेकर उससे होनी वाली कमाई तक का भी जिक्र किया।

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 नवल किशोर को कैसे आया आइडिया?

नवल किशोर को कैसे आया आइडिया?

नवल किशोर बताते हैं कि करीब चार साल पहले जब मैं भारतीय सेना में नायक पद पर अलवर में ही तैनात था। तब किसी काम के सिलसिले में मध्य प्रदेश के एक गांव में जाना हुआ। वहां पर एक किसान से रैबिट फार्मिंग के बारे में जाना। घर बैठे-बैठ आसानी से लाखों रुपए कमाने का यह आ​इडिया काफी पसंद आया।

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 राजस्थान का पहला रैबिट फार्म

राजस्थान का पहला रैबिट फार्म

मध्य प्रदेश से आने के बाद नवल किशोर ने यूट्यूब पर वेबसाइट पर रैबिट फार्मिंग की जानकारी जुटानी शुरू की। हरियाणा के जिंद स्थित पैराडाइज रैबिट फार्मिंग कम्पनी के बारे में पता चला। यह कंपनी रैबिट फार्म तैयार करने से लेकर रैबिट मार्केटिंग तक में किसान की मदद करती है। कंपनी के माध्यम से नवल किशोर ने वर्ष 2016 में अपने खेत पर रैबिट फार्मिंग की यूनिट लगवाई। नवल किशोर का दावा यह राजस्थान का पहला रैबिट फार्म है। वर्तमान में तो अकेले अलवर जिले में 45 रैबिट फार्म हैं।

 रैबिट फार्म तैयार करने का खर्च

रैबिट फार्म तैयार करने का खर्च

नवल किशोर बताते हैं कि रैबिट फार्मिंग में खरगोश का रखने के लिए विशेष पिंजरे बने होते हैं, जिन्हें यूनिट कहा जाता है। एक यूनिट में दस खरगोश रहते हैं, जिनमें सात मादा व तीन नर को रखा जाता है। नवल ने दस यूनिट यानी 100 खरगोश से रैबिट फार्मिंग की शुरुआत की थी। कंपनी से रैबिट यूनिट लगवाने का खर्च तीन लाख 20 हजार रुपए आया।

हर समय रहते हैं 600-700 बच्चे

हर समय रहते हैं 600-700 बच्चे

वर्तमान में नवल के रैबिट फार्म पर 220 खरगोश हैं, जिनमें 40 मादा और 180 नर हैं। इनके 600 से 700 बच्चे हैं। मादा खरगोश साल में कम से कम चार बार और एक बार में औसतन तीन से सात बच्चे देती है। खरगोश का गर्भावस्था काल 30 से 32 दिन का होता है। पालतू खरगोश की उम्र 8 साल से ज्यादा होती है। खरगोश के मीट की काफी डिमांड है।

 खरगोश से ऐसे होती है कमाई

खरगोश से ऐसे होती है कमाई

नवल किशोर साल में चार बार खरगोश के बच्चे कंपनी को बेचते हैं। हर बार 600 से 700 खरगोश बिकते हैं। ऐसे में खरगोश के लगभग तीन हजार बच्चे बेच देते हैं। हर बार सारे खर्चे निकाल दो लाख रुपए तक की कमाई होती है। यानी नवल किशोर खरगोश से सालाना 10 से 12 लाख कमाते हैं। कंपनी के अलावा नवल स्थानीय स्तर पर भी खरगोश बेचते हैं। हर माह 15-20 जोड़े खरगोश लोग पालने के लिए इनसे खरीदते हैं। खरगोश से खाद भी प्राप्त होती है, जिसकी पैकिंग करके बेचा जाता है।

खरगोश की देखभाल व भोजन का प्रशिक्षण

खरगोश की देखभाल व भोजन का प्रशिक्षण

नवल किशोर बताते हैं कि पैराडाइज कंपनी ​हरियाणा में रैबिट फार्मिंग का दो दिवसीय प्रशिक्षण भी उपलब्ध करवाती है, जिसमें खरगोश के रखरखाव, खाना व मेडिसन आदि की विस्तार से जानकारी दी जाती है। यहां से ​प्रशिक्षण लेने के बाद नवल किशोर ने अपने खेत में सौ मीटर लंबा व तीस मीटर चौड़ा रैबिट फा​र्म खोला।

 खरगोश पालन में लगती है कम मेहनत

खरगोश पालन में लगती है कम मेहनत

रैबिट फार्मिंग की सबसे खास बात यह भी है कि इसमें मेहनत काफी कम लगती है। सुबह शाम खरगोश के पिंजरे साफ करने और उन्हें भोजन डालने के लिए नवल किशोर ने एक व्यक्ति रखा हुआ है। इसके अलावा नवल किशोर और उनकी पत्नी सुमन भी काम में हाथ बंटा देते हैं। खरगोश को हरा चारा, रिजका, बाजरी, ज्वार, मक्का व गाजर आदि खाना पसंद है, जो नवल किशोर अपने खेत में बोते हैं। इसके अलावा न्यूट्रिशन की पूर्ति के बाजार से अलग से भोजन खरीदकर लाना पड़ता है।

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English summary
Rabbit farming in Badli ki Dhani Alwar By Retired Army Man Nawal Kishore
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