India-China Clash : घायल सैनिक ने बताया-'5 घंटे तक नदी के 5 फीट गहरे पानी में लड़ते रहे, फिर...'
अलवर। हम करीब ढाई सौ थे...। वो एक हजार थे...। मगर हमारा जज्बा उनसे ढाई गुना ज्यादा था...। जगह थी गलवान घाटी में बह रही नदी...। ग्लेशियर की बर्फ पिघलने से नदी में आ रहा पानी खून जमा देने वाला था...। नदी किनारे चीनी सैनिकों ने धोखा किया...। अचानक हमला बोल दिया...।
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फिर नदी के पांच फीट गहरे पानी में करीब पांच घंटे तक संघर्ष चलता रहा...। हर भारतीय फौजी ने उनका बहादुरी से मुकाबला किया...। मेरा एक हाथ फैक्चर हो चुका था...। फिर भी मैं लड़ता रहा...। उसी दौरान एक चीनी सैनिक ने अचानक मेरे सिर पर वार किया...। मैं बेहोश हो चुका था...। फिर क्या हुआ...। कुछ नहीं पता। करीब 12 घंटे बाद होश आया...। तब मैंने खुद को लद्दाख के सैनिक हॉस्पिटल में पाया...।
गलवान घाटी में शहीद हुए बीस भारतीय जवान
हिन्दुस्तान लाइव की रिपोर्ट के मुताबिक भारत चीन सीमा पर लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में 15 जून की रात को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए खूनी संघर्ष का यह आंखों देखा हाल राजस्थान के जवान ने परिजनों से बातचीत में बया किया है। भारत-चीन सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए हैं। चीन के भी 40 से ज्यादा जवान या मारे गए हैं या घायल हुए हैं। इस हिंसक झड़प में राजस्थान का एक जवान सुरेंद्र सिंह भी घायल हुआ।
गलवान घाटी में ऐसे हदें पार करते हैं चीनी सैनिक, राजस्थान के सैन्य अफसर ने बताया आंखों देखा हाल
अलवर के नौगांवा के रहने वाले हैं सुरेन्द्र सिंह
मूलरूप से राजस्थान में अलवर जिले के नौगांवा गांव निवासी सुरेंद्र सिंह ने फोन पर अपने परिजनों को झड़प की जानकारी देते हुए बताया कि चीनी सैनिकों ने गलवान घाटी से निकल रही नदी किनारे अचानक धोखे से हमला किया था। यह हिंसक झड़प करीब पांच घंटे तक चली। संघर्ष में भारत के करीब ढाई सौ और चीन के एक हजार से अधिक जवान थे। यह संघर्ष हुआ उस नदी के किनारे मात्र एक आदमी को ही निकलने की जगह थी। इसलिए भारतीय सैनिकों को संभलने में भारी परेशानी हुई।
सुरेन्द्र सिंह के सिर में लगे एक दर्जन टांके
लद्दाख के सैनिक अस्पताल में उपचाराधीन सैनिक सुरेंद्र सिंह के पिता बलवंत सिंह ने मीडिया को बताया कि बेटा अब वह स्वस्थ है। फोन पर उससे बात हुई है। बातचीत में उसने बताया कि उसके एक हाथ में फैक्चर है। सिर में करीब एक दर्जन टांके लगे हैं। संघर्ष के दौरान सिर में चोट लगने से वह घायल हो गया था। साथी सैनिकों ने उसे बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया।