लॉकडाउन में अलवर-भरतपुर सीमा पर फंसे 4 राज्यों के 800 मजदूर, ग्रामीणों ने की भोजन की व्यवस्था
अलवर। लॉकडाउन-3 में अपने घरों को लौट रहे 4 राज्यों के करीब आठ सौ मजदूर राजस्थान में अलवर-भरतपुर सीमा पर फंस गए। संकट की इस घड़ी में जहां पुलिसकर्मियों पर मजदूरों पर लाठीचार्ज के आरोप लगे हैं, वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने इंसानियत दिखाई और लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था की है।
घर के लिए पैदल रवाना
दरअसल, राजस्थान के अलवर, रेवाड़ी और भिवाड़ी के आस-पास की कम्पनियों में लॉकडाउन के चलते काम बंद होने से मजदूर बेरोजगार हो गए। एक माह तो जैसे तैसे निकाल दिया। फिर आवागमन के साधन नहीं मिलने पर पैदल ही अपने राज्यों की ओर रवाना हो गए।
नहीं मिला भरतपुर में प्रवेश
यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड के इन मजदूरों के जत्थे अलवर जिले के बड़ौदा मेव होते भरतपुर के रास्ते के घर पहुंचने थे, मगर भरतपुर जिले की सीमा में तैनात पुलिसकर्मियों ने इन्हें रोक दिया और अपने जिले में प्रवेश नहीं करने दिया। पुलिसकर्मियों ने इन पर कथित तौर पर लाठीचार्ज भी किया।
बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था भी
लाख कोशिशों के बाद भी मजदूरों को आगे नहीं बढ़ने दिया तो वे थक-हारकर अलवर-भरतपुर सीमा के पास ही डेरा डाल दिया। फिर भूखे प्यासे मजदूरों की सुध बड़ौदा मेव में काम कर रही समाज सेवकों की टीम और आस-पास के ग्रामीणों ने ली। बड़ौदा मेव के समाज सेवकों की टीम व ग्रामीणों ने महज तीन घंटे में सभी 800 लोगों के लिए अपने स्तर पर भोजन की व्यवस्था की। मजूदरों के साथ जा रहे करीब 50 बच्चों के लिए दूध भी उपलब्ध करवाया गया।
अधिकारी पहुंचे मौके पर
डीएसपी भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि बुधवार दोपहर को अलवर जिले के लक्ष्मणगढ़ उपखंड के एसडीएम, तहसीलदार आदि अधिकारी मौके पर पहुंचे और जायजा लिया। फिर बड़ौदा मेव, गोविन्दगढ़, सेमलाखुर्द, बड़का व इटेरा की मेडिकल टीमों ने सभी मजदूरों की स्क्रीनिंग की और मोहर लगाई।
राजस्थान-एमपी की सीमा पर छोड़ा
उसके बाद करीब चार बजे 7 बसों की व्यवस्था कर मध्यप्रदेश के 255 लोगों को रवाना किया। यूपी, बिहार व झारखंड के मजदूरों के लिए भी साधन भी व्यवस्था की गई। एमपी के मजदूरों को राजस्थान रोडवेज की बसों में बैठाकर राजस्थान-मध्य प्रदेश सीमा तक छोड़ गया।
Dev chaudhary IAS : कहानी बॉर्डर इलाके के लड़के की जो 3 बार फेल होने के बाद बना आईएएस