PCS Result 2017: दादी ने कही थी ये बात, मीनाक्षी पांडेय ने SDM बन पूरा किया सपना
प्रयागराज। पीसीएस 2017 की परीक्षा में ओवरआल तीसरी रैंक हासिल करने वाली मीनाक्षी पांंडेय की कहानी बेहद ही प्रेरणादायी है। कभी हार न मानने वाली मीनाक्षी के लिए उनकी दादी बेहद ही प्रेरणादायी रहीं, जो उनसे जिद पाले हुए थीं कि एक दिन तेरी सरकारी गाड़ी से ही तेरे दफ्तर जाउंगी। दादी तो अब इस दुनिया में नहीं रहीं, लेकिन मीनाक्षी ने दादी के सपने को पूरा करने का ऐसा संकल्प किया कि आज वह एसडीएम बन गई हैं। मीनाक्षी कहती हैं कि उनकी दादी तो आज जिंदा नहीं हैं, लेकिन उनके सपने आज भी जिंदा हैं और उस सपने को मैं पूरा कर सकी, यह मेरे लिए दादी को श्रद्धांजलि है।
तहसीलदार से बनी एसडीएम
प्रयागराज जिले में बतौर तहसीलदार तैनात मीनाक्षी का जन्म प्रतापगढ़ के लालगंज के तेजगढ़ कमौरा गांव में हुआ। बाद में इनका परिवार शहर के सदर बाजार में बेल्हा देवी रोड पर रहने लगा। पिता राजनारायण पांडेय मंडी पर्यवेक्षक मिर्जापुर के पद से रिटायर हैं। मीनाक्षी चार भाई-बहनों से सबसे बड़ी बेटी हैं और बड़ी होने के कारण उन पर सबसे अधिक जिम्मेदारी और उम्मीदें थी। मीनाक्षी को उनकी दादी विमला पांडेय हमेशा अफसर बनने के लिये प्रेरित करती थी। मीनाक्षी की प्राथमिक शिक्षा अजीतनगर के सरस्वती शिशु मंदिर से हुई। इसके बाद इंटर जीजीआईसी से पास किया, जबकि स्नातक शहर के एमडीपीजी कॉलेज से किया और अंग्रेजी साहित्य से परास्नातक इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया। इसके बाद वह सिविल की तैयारी के लिये दिल्ली चली गई। 2016 पीसीएस में मीनाक्षी का चयन नायब तहसीलदार के पद पर हुआ तो वह ट्रेनिंग कर प्रयागराज में तैनात हुई हैं। वहीं, अब मीनाक्षी ने प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल कर एसडीएम की पोस्ट हासिल की है। मीनाक्षी का यह पांचवा प्रयास था। मीनाक्षी अपनी दादी को याद करते हुये बताती हैं कि उनकी दादी हमेशा कहती थी कि एक दिन वह उसकी सरकारी गाड़ी से उनके दफ्तर जायेंगी, आज दादी तो नहीं हैं, लेकिन उनका आशिर्वाद मेरे साथ था और यह मेरी ताकत का हिस्सा है।
क्या कहती हैं मीनाक्षी
मीनाक्षी कहती हैं कि अगर आपने अपना लक्ष्य तय कर लिया है कि आपको क्या करना है, तो बस जरूरत है उस लक्ष्य को पाने के लिए प्रयास करने की। यह निश्चित है कि अगर आपने पूरी ईमानदारी से लक्ष्य के प्रति मेहनत की तो किस्मत कभी आपके आड़े नहीं आएगी, क्योंकि बहुत से लोगों की उम्मीदें, माता-पिता के सपने, उनका आशिर्वाद सब आपके साथ होता है। मीनाक्षी युवाओं को संदेश देते हुए कहती हैं कि हर दिन आपका एक रूटीन होना चाहिए कि पढ़ाई करनी है। बहुत अधिक पढ़ने की बजाए जितना पढ़ें वह अच्छी तरह से आत्मसात करके पढ़ें, विजय निश्चित होगी।
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