जिंदगी-मौत की जंग हार गया 6 साल का आयुष, शौचालय में हुए विस्फोट में तीनों बच्चों की मौत
इलाहाबाद/प्रयागराज। प्रयागराज के सरायइनायत थाना क्षेत्र में शौचालय के अंदर विस्फोट होने से घायल तीसरे बच्चे की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। जबकि इस घटना में दो बच्चों की पहले ही मौत हो चुकी थी। घायल आयुष को बचाने का प्रयास दो दिनों से किया जा रहा था लेकिन, गंभीर रूप से जल जाने के कारण उसने भी दम तोड़ दिया है। तीनों की मौत के बाद गांव में मातम छाया हुआ है। वहीं, अब तक की पुलिस जांच में पता चला है कि शौचालय के अंदर भारी मात्रा में बारूद रखा गया था और उसमें ही धमाका हुआ है। लेकिन, बारूद किसका था और किसने और क्यों रखा अभी इन सवालों पर से पर्दा नहीं हट सका है।
अस्पताल में आयुष की मौत
घटना के बाद मृतक विजय के पिता शिवपूजन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। मुकदमा मृतक बच्ची सोनम के पिता की ओर से दर्ज कराया गया है। शिवपूजन पर बम विस्फोट अधिनियम की धाराओं में मुकदमा लिखा गया है और मामले की जांच शुरू कर दी गयी है। इस बारे में जानकारी देते हुये एसपी गंगापार एनके सिंह ने बताया कि घटना में शिवपूजन का बेटा भी मौत का शिकार हुआ है और उसी के अंतिम संस्कार में सभी गम में डूबे हुये थे। इसलिये शिवपूजन से अभी पूछताछ नहीं की गई है। गुरुवार को उससे पूछताछ के बाद बारूद से संबंधित मामले का सच सामने आ सकेगा।
बम निरोधक दस्ते ने की पड़ताल
बम धमाके की सूचना के बाद गांव में फील्ड यूनिट, बीडीडीएस ने गहन तहकीकात की और मौके से काफी साक्ष्य जुटाये हैं। पुलिस के अनुसार पता चला है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय को इस्तेमाल में नहीं लाया जाता था। बल्कि यहां कबाड़ रखा गया था। बच्चे खेलते-खेलते यहां पहुंच गए थे और यहां अचानक भीषण विस्फोट हुआ। धमाका किसी बम में नही बल्कि बारूद में हुआ था। बारूद को सरसों के तेल के टीन के कनस्तर में भरकर शौचालय के अंदर रखा गया था। विस्फोट इतना जोरदार था कि धमाके के बाद पूरा शौचालय ध्वस्त हो गया। मौके से कनस्तर के बस टुकड़े ही जांच टीम को मिले हैं।
क्या है घटना
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में मंगलवार को सरायइनायत थाना क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में शौचालय के अंदर धमाका हुआ था। इस दौरान वहां लुकाछिपी खेल रहे तीन बच्चे सोनम (6) पुत्री राजेश बिंद, आयुष 6 पुत्र संजय बिंद और विजय 4 पुत्र शिवपूजन उसकी चपेट में आ गये। दुर्घटना में सोनम को जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर परिजन पहुंचे तो चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया था। जबकि आयुष व विजय को इलाज के लिए शहर के रानी नेहरू अस्पताल में रेफर कर दिया गया। हालांकि विजय की देर रात मौत हो गई थी। जिसके बाद आयुष को परिजन निजी अस्तपाल में लेकर चले गये थे। लेकिन, आयुष को भी बचाया नहीं जा सका है। मृतक सोनम के पिता मजदूरी करते हैं और वह दो बहनों व एक भाई में दूसरे नंबर पर थी। आयुष के पिता बैंगलोर में काम करते हैं और वह दो बहनों के बीच अकेला भाई था। जबकि विजय के पिता किसान हैं और दो भाई और एक बहन में वह सबसे छोटा है।
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