कुंभ मेला: श्रद्धालुओं को अब BHU की IIT से मिलेगा शुद्ध गंगाजल, यह है मोदी सरकार की प्लानिंग
वाराणसी। आगामी कुंभमेले को देखते हुए केंद्र सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध गंगाजल मुहैया कराने की जिम्मेदारी बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के आईआईटी डिपार्टमेंट को दी है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के आईआईटी डिपार्टमेंट में केमिकल इंजीनियरिंग से जुड़े लोग प्रयागराज के गंगा जल के स्वच्छता को परखेंगे। इसके लिए बिजनौर तक भी नदी के जल की जांच होगी। जहां जल अच्छा होगा, वहीं से श्रद्धालुओं के लिए तैयार किया जाएगा।
आईआईटी केमिकल इंजीनियरिंग फैकल्टी के हेड प्रोफेसर पीके मिश्रा के मुताबिक, उनकी टीम पूरे कुम्भ मेले में 3 चरण में ये जांच करेगी, जो हर प्रमुख स्नान के पहले की जाएगी।
बीएचयू
के
साथ
कई
अन्य
आईटीआई
भी
मोदी
सरकार
ने
कुम्भ
स्नान
के
वक्त
अच्छा
पानी
गंगा
में
मिले
इसके
लिए
यूपी
सरकार
को
भी
इंस्ट्रक्शन
के
साथ
इंश्योर
करने
को
कहा
है।
केंद्र
सरकार
की
इस
पहल
में
बीएचयू
का
यह
दस्ता
34
इंडस्ट्री
की
जांच
के
साथ
ही
यूपी
सरकार
के
एसटीपी
की
भी
मॉनिटरिंग
करेगा।
इस
काम
में
बीएचयू
के
साथ
आईटी
रुड़की,
आईटी
इलाहाबाद,
एएमयू
यूनिवर्सिटी
और
जामिया
इमलिया
भी
शामिल
हैं।
वहीं,
कई
सरकारी
तंत्र
और
उद्यमियों
के
कारखानों
के
निकलने
वाले
अपशिष्ट
पर
भी
निगरानी
रखी
जाएगी।
उजनी बांध का पानी पीने से हो सकता है कैंसर, 400 गांव और कई शहरों के लोगों पर खतरा!
राष्ट्रीय
स्वच्छ
गंगा
मिशन
के
तहत
होगी
जांच
जांच
टीम
के
प्रोजेक्ट
इंचार्ज
और
बीएचयू
आईआईटी
केमिकल
इंजीनियरिंग
के
विभागाध्यक्ष
प्रोफेसर
पीके
मिश्रा
ने
यह
भी
बताया
कि
प्रयागराज
(इलाहाबाद)
में
अगले
महीने
से
आरंभ
हो
रहे
अर्ध
कुंभ
मेले
में
स्नानार्थियों
को
गंगा
का
स्वच्छ
जल
मिले
इसके
लिए
प्रदेश
सरकार
प्रतिबद्ध
है।
उत्तर
प्रदेश
प्रदूषण
नियंत्रण
बोर्ड
ने
राष्ट्रीय
स्वच्छ
गंगा
मिशन
के
तहत
आईआईटी(बीएचयू)
को
कुंभ
मेले
के
दौरान
उद्योगों
से
निकले
वाले
अवजल
के
प्रदूषण
मानक
की
माॅनीटरिंग
की
जिम्मेदारी
दी
है।
इसके
तहत,
कानपुर
के
34
उद्योगों,
2
सीईटीपी
और
सीवेज
ट्रीटमेंट
प्लांट
से
निकलने
वाले
अवजल
और
मलजल
की
तीन
चरणों
में
मानीटंरिंंग
और
जांच
की
जाएगी।
10
फरवरी
तक
होगी
जांच
तीन
चरणों
की
इस
जांच
का
पहला
चरण
23
दिसंबर
से
30
दिसंबर
तक
होगा।
फिर
दूसरे
चरण
में
23
जनवरी
से
27
जनवरी
और
तीसरे
चरण
में
पांच
फरवरी
से
10
फरवरी
के
बीच
आईआईटी
(बीएचयू)
की
टीम
जांच
करेगी।
इन
पर
रहेगी
पैनी
नजर
जहां
से
गंगा
में
प्रदूषण
फैलता
है,
उन
उद्योगों
में
डाई,
ब्लीचिंग,
टेक्सटाइल,
डेयरी
आदि
प्रमुख
हैं।
इसके
अलावा
सीवेज
ट्रीटमेंट
प्लांट
और
कंबाइंड
एवेलुएट
ट्रीटमेंट
प्लांट
की
भी
जांच
होगी।
बीएचयू
आईआईटी
को
कहा
गया
है
कि
कहीं
से
बगैर
शोधित
पानी
गंगा
में
नहीं
आने
पाए।
अर्ध
कुंभ
के
दौरान
समय
समय
पर
होने
वाले
जांच
के
दौरान
मकसद
यही
है
कि
इलाहाबाद
में
होने
वाले
सभी
महत्वपूर्ण
स्नान,
चाहे
माघ
पूर्णिमा,
मकरसंक्रांति
और
बसंत
पंचमी
हो
स्वच्छतम
जल
स्नान
के
लिए
उपलब्ध
हो
सके।
पांच
बड़ी
संस्थाएं
जांचेंगी
मानक
कुल
पांच
बड़ी
संस्थाएं
बिजनौर
से
लेकर
प्रयागराज
तक
गंगाजल
की
जांच
करेगी।
कुंभ
मेले
के
दौरान
जो
उद्योग
मानक
के
अनुसार
अवजल
का
उत्सर्जन
नहीं
करेंगे,
उन्हें
कुंभ
मेले
के
दौरान
बंद
करने
की
संस्तुति
की
जाएगी।
इसके
अतिरिक्त
चार
और
संस्थानों
को
अन्य
उद्योगों
की
जांच
की
जिम्मेदारी
भी
दी
गई
है।
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