'यही हालात रहे तो BHU कैंपस बंद करना पड़ेगा', हाईकोर्ट ने चीफ प्रॉक्टर की गिरफ्तारी पर लगाई रोक
Prayagraj news, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी की चीफ प्रॉक्टर रायना सिंह को बड़ी राहत दी है। छात्र हत्या के मामले में नामजदगी होने के बाद गिरफ्तारी की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक पुलिस रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक चीफ प्रॉक्टर की गिरफ्तारी उचित नहीं है। इससे विश्वविद्वालय के हालात और खराब होंगे। वहीं, हाईकोर्ट ने बीएचयू के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर इसी तरह से अराजकता के हालात बने रहे तो कैंपस को भी बंद करना पड़ेगा।
क्या है पूरा मामला
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी में तीन अप्रैल को बिड़ला हॉस्टल में एमसीए के छात्र गौरव सिंह की हत्या कर दी गई थी। छात्र की हत्या के विरोध में बीएचयू कैंपस सुलग उठा और जगह-जगह छात्रों ने बवाल करना शुरू कर दिया। भारी हंगामे और तनाव के बीच पुलिस प्रशासन ने मामला संभाला और पुलिस जांच शुरू हुई तो गौरव सिंह की हत्या में छात्र वर्चस्व का मामला प्रारंभिक तौर पर सामने आया है। इस मामले में गौरव की पिता की तहरीर पर चीफ प्रॉक्टर समेत 5 लोगों के विरूद्ध नामजद व 3 अज्ञात के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है। मामले में पुलिस जांच कर कर रही है।
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चीफ प्रॉक्टर ने ली हाईकोर्ट की शरण
छात्र हत्या के मामले में तनाव बढ़ा और प्रॉक्टर की गिरफ्तारी का दबाव बनने लगा तो बीएचयू की चीफ प्रॉक्टर रायना सिंह ने खुद के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे को रद्द करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली। यहां दाखिल की गयी याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति उमेश कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की तो याची की ओर से दलील दी गयी कि विश्वविद्यालय की व्यवस्था दुरुस्त बनाने में कड़ाई करने के कारण उनके विरूद्ध षड़यंत्र के तहत यह मुकदमा दर्ज किया गया है, जो आधारहीन है। ऐसे में इसे रद्द किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
याचिका पर दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि जिस तरह के हालात यूनिवर्सिटी में बन रहे हैं, ऐसे में तो कैंपस ही बंद करना पड़ेगा। यदि बीएचयू के ही प्राध्यापकों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की जाएगी तो इससे कैंपस का माहौल कैसे सुधरेगा। इससे तो माहौल और ज्यादा खराब होगा। ऐसे में याची की गिरफ्तारी किसी भी दशा में उचित नहीं हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने मुकदमा रद्द करने से इनकार कर दिया और मुकदमे की विवेचना जारी रखने व जांच तेजी से पूरी कर रिपोर्ट देने को कहा है। पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ही प्रॉक्टर के विरूद्ध कार्रवाई का निर्धारण किया जा सकेगा।
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