इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- 60 नहीं 58 साल में ही होंगे राज्य कर्मचारी रिटायर
इलाहाबाद। राज्य कर्मचारियों की रिटायरमेंट को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने रिटायरमेंट की उम्र 60 साल को सही नहीं माना है और 58 साल को ही कानूनन रिटायरमेंट की उम्र बताया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले का असर बेहद ही वृहद पैमाने पर पड़ने वाला है। एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने जिस अधिसूचना के तहत रिटायरमेंट की उम्र को 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दिया था, वह पूरी तरह गलत है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार भी सकते में हैं और अब कानूनन इस मसले को सुलझाने का रास्ता ढूंढा जा रहा है। संभावना है कि अब इसके लिए मौलिक नियमों की संशोधन की प्रक्रिया विधानसभा में की जाएगी।
क्या है मामला
भदोही के औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सहायक आर्किटेक्ट के पद पर तैनात ओम प्रकाश तिवारी को 58 साल की उम्र में रिटायरमेंट दे दिया गया था। ओम प्रकाश तिवारी ने रिटायरमेंट के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली। कोर्ट में दलील दी कि राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयुसीमा 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई है, लेकिन उन्हें 58 साल में ही रिटायरमेंट दे दिया गया। इसलिए उनका रिटायरमेंट रद्द किया जाए और 60 वर्ष की उम्र में ही रिटायरमेंट दिया जाए। इस पर न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति इफकत अली खान की खंडपीठ ने सुनवाई की और ओमप्रकाश तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए रिटायरमेंट की उम्र पर बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी मुलाजिमों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष ही है।
हाई कोर्ट ने क्या कहा
यूपी सरकार ने 28 नवंबर 2001 को संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत नियम बनाने की राज्यपाल की शक्ति के तहत एक अधिसूचना जारी कर नियम 56 में संशोधन कर दिया था। उस अधिसूचना के अनुसार सरकारी सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 साल से बढ़ाकर 60 साल कर दी गई थी। इसी मामले को आधार बनाकर अब रिटायरमेंट की उम्र 60 साल ही मानी जा रही थी। लेकिन, इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने रिटायरमेंट की उम्र सीमा बढ़ाने वाली अधिसूचना को अमान्य कर दिया है और कहा है कि राज्यपाल की अधिसूचना से सरकारी सेवकों की सेवानिवृत्ति आयु नहीं बढ़ाई जा सकती। हाईकोर्ट ने तो यहां तक कहा की अधिसूचना का असर रिटायरमेंट की उम्र सीमा बढ़ाने पर किसी भी तरह का हुआ ही नहीं है। यानी रिटायरमेंट की उम्र सीमा कभी 60 साल हुई ही नहीं थी, वह 58 साल ही थी।
अब क्या होगा
सरकार रिटायरमेंट की उम्र अगर 58 वर्ष से 60 वर्ष बढ़ाने के लिए अब आगे आती है तो उसे विधायी नियमों को संशोधित करना होगा। संशोधन की विधायी प्रक्रिया विधानसभा में होगी। क्योंकि रिटायरमेंट की उम्र सीमा बढ़ाना एक प्रकार से नियमों में संशोधन है और विधानसभा में प्रांतीय मुख्य विधायन विहित प्रक्रिया से ही इसे संशोधित किया जा सकता है। वैसे भी सरकार पूर्ण बहुमत में है और वह इस संशोधन को आसानी से पास भी करा लेगी। इस बड़े मुद्दे पर दूसरे दल विरोध भी नहीं करेंगे, क्योंकि विरोध करने पर राजनैतिक नफा नुकसान भी आंका जाने लगेगा।