शिवपाल ने फाइनल किए प्रयागराज-फूलपुर से प्रत्याशी, कांग्रेस से गठबंधन की कोशिश जारी
Prayagraj news, प्रयागराज। समाजवार्दी पार्टी छोड़कर अपना राजनीतिक दल बनाने वाले शिवपाल यादव ने इलाहाबाद व फूलपुर लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशियों का नाम फाइनल कर दिया है। इलाहाबाद संसदीय सीट से पार्टी के महासचिव व पूर्व मंत्री लल्लन राय प्रत्याशी बनाये गये हैं, जबकि फूलपुर लोकसभा सीट से प्रसपा के प्रदेश सचिव शमशाद अहमद का नाम फाइनल किया गया है। हालांकि, इनके नामों की आधिकारिक घोषणा इस सप्ताह के बाद की जायेगी, क्योंकि प्रसपा लगातार कांग्रेस से गठबंधन की कोशिश में जुटी हुई है। कोशिश है कि गठबंधन होने के बाद सीटों के बंटवारे के बाद ही फाइनल तौर पर प्रत्याशी का नाम घोषित किया जाये। प्रदेश सचिव ने बताया कि गठबंधन की दिशा में हमारी बातचीत सकारात्मक है, अगर कांग्रेस हमें 20 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिये सीटे देती है तो हम साथ ही चुनाव लड़ेंगे।
जातिगत गणित के साथ प्रसपा
शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया इलाहाबाद व फूलपुर दोनों सीटों पर जातिगत गणित के आधार पर ही उतरेगी। इलाहाबाद संसदीय सीट पर जहां कायस्थ के बड़े वोट बैंक को साधने के लिये लल्लन राय मैदान में आ रहे हैं। वहीं, फूलपुर में हार-जीत तय करने वाले मुस्लिम वोटों को अपने ओर मोड़ने के लिये शमशाद अहमद का नाम सामने लाया गया है। चूंकि, लल्लन राय का कद काफी बड़ रहा और हमेशा चर्चा में रहने के साथ ही वह जमीनी रूप से नजर भी आये हैं, ऐसे में उनका कांग्रेस से गठबंधन के बाद प्रत्याशी बनना चुनाव को दिलचस्प बनायेगा। हालांकि, कांग्रेस से गठबंधन होगा और उन्हें यह सीट मिलेगी इस पर अभी संशय बना हुआ है।
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सपा-बसपा को नुकसान
बता दें, प्रसपा के उम्मीदवारों को भले ही इस समय कमजोर करके आंका जा रहा हो, लेकिन यह बसपा और सपा गठबंधान के वोट काटने में सफल होंगे। जितने वोट प्रसपा के उम्मीदवारों को मिलेंगे वह कहीं न कहीं सपा या बसपा से बिछड़े वोट होंगे। दूसरे शब्दों में कहें ता भाजपा के लिये शिवपाल की पार्टी अप्रत्क्ष रूप से फायदेमंद ही साबित होगी, क्योंकि सपा-बसपा गठबंधन के वोटों में शिवपाल जो कमी लायेंगे, उससे मुकबला काफी नजदीकी होगा। वैसे शिवपाल यादव मूल रूप से या कहें कि प्योर समाजवादी रहे हैं और पार्टी का एक बहुत बड़ा गुट उनके इशारों पर ही चलता रहा है। शिवपाल की नाराजगी के बाद उनके खेमे के कुछ लोग अलग होकर अखिलेश के साथ हैं, लेकिन अधिकांश उनका साथ थामे हुये हैं। उनके खास लोग ही अब पार्टी को खड़ा करने में जुटे हुये हैं और लोकसभा चुनाव में वोट जुटाकर पार्टी को आधार देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
विधानसभा की तैयारी है ये
प्रसपा मुखिया लगातार ऐसे नेताओं को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटे हुये हैं जो सपा और बसपा से नाराज हैं। शिवपाल को पता है कि वह लोकसभा चुनाव में कोई बहुत बड़ा तीर नहीं मारने वाले हैं और बहुत कुछ उनके हिस्से में आयेगा भी नहीं। ऐसे में अपने खेमे के मजबूत करते हुये शिवपाल का मूल उद्देश्य भी अपनी ताकत का एहसास कराना है, ताकि जब यूपी में विधानसभा चुनाव हो तो कोई भी दल उन्हें हल्के में ना ले और गठबंधन का आॅफर खुद उनकी तरफ दौड़कर आये।
वोट तय करेंगे पार्टी का भविष्य
दरअसल, यह लोकसभा का चुनाव सिर्फ एक पर्दा है जिसके पीछे विधानसभा चुनाव की तैयारी प्रसपा व इस तरह के छोटे दल कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में उनके प्रत्याशी को मिलने वाले वोट कहीं न कहीं उनका भविष्य तय करेंगे। वैसे भी क्षेत्रीय पार्टियों को हमेशा से वोट कटवा ही समझा जाता रहा है, लेकिन इनकी उपस्थिति से हमेशा हार जीत का खेल बनता बिगड़ता है। फिलहाल, अगर कांग्रेस से गठबंधन कर प्रसपा मैदान में आयी तो यह तय है कि सपा-बसपा की राह तो मुश्किल होगी, भाजपा भी एकतरफा किसी सीट पर बढ़त नहीं बना पायेगी।
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