68500 सहायक अध्यापक भर्ती: उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन का आदेश, 22211 पद हैं खाली
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में शुरू हुई 68500 सहायक अध्यापक भर्ती से जुड़ी बड़ी खबर है। इस भर्ती में चयनित न होने वाले व लिखित परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को नौकरी मिलने की फिर से संभावना जीवंत हो गयी हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस भर्ती से जुड़े सैकड़ों अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए बचे हुए अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया है। फिलहाल हाईकोर्ट के इस फैसले से सैकडों अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी, वहीं परीक्षा नियामक कार्यालय की एक बार फिर से मुश्किलें बढ़ जायेंगी।
पुराने
केस
की
तर्ज
पर
होगी
जांच
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
ने
68500
सहायक
अध्यापक
भर्ती
मामले
में
सुनवाई
करते
हुये
अभ्यर्थियों
के
पक्ष
में
फैसला
सुनाया
है
और
सचिव
परीक्षा
नियामक
प्राधिकारी
से
कहा
है
कि
पूर्व
में
पारित
अनिरुद्ध
कुमार
शुक्ल
और
राधादेवी
केस
में
जो
गाइड
लाइन
जारी
की
गई
थी।
उसी
का
अनुसरण
किया
जाये
और
जो
भी
अभ्यर्थी
पुनर्मूल्यांकन
हेतु
आवेदन
करते
हैं
उनकी
उत्तर
पुस्तिकाओं
को
फिर
से
जांचा
जाये।
इसके
बाद
परिणाम
संशोधित
होने
पर
जो
कट
ऑफ
मेरिट
में
आते
हैं
उनको
चार
सप्ताह
में
नियुक्तिपत्र
जारी
करें।
लंबे
समय
से
अटकी
है
भर्ती
68500
सहायक
अध्यापक
भर्ती
की
प्रक्रिया
लंबे
अर्से
से
अधर
में
लटकी
हुई
है।
2018
की
यह
भर्ती
खूब
विवादित
रही
और
योगी
सरकार
की
शुरूआती
भर्ती
होने
के
कारण
जमकर
किरकिरी
कराती
रही
है।
मौजूदा
समय
में
इस
भर्ती
में
चयनित
अभ्यर्थियों
की
ज्वाइनिंग
तक
हो
चुकी
है,
लेकिन
लगातार
हाईकोर्ट
के
आदेश
पर
पुनर्मूल्यांकन
आदि
की
प्रक्रिया
के
बाद
नये
पात्र
अभ्यर्थी
भी
सामने
आ
रहे
हैं,
जिन्हें
नौकरी
देने
की
प्रक्रिया
भी
जारी
है।
मौजूदा
मामले
में
नरेंद्र
कुमार
चतुर्वेदी,
रश्मि
सिंह
सहित
सैकड़ों
याचिकाओं
पर
न्यायमूर्ति
नीरज
तिवारी
ने
सुनवाई
करते
हुये
सभी
याचिकाओं
को
एक
साथ
निस्तारित
कर
दिया
है
और
पुनर्मूल्यांकन
का
आदेश
दिया
है।
1
साल
से
अधिक
समय
गुजरा
योगी
सरकार
की
68500
सहायक
अध्यापक
भर्ती
जब
शुरू
हुई
तो
यह
यूपी
की
सबसे
बड़ी
भर्ती
थी।
लेकिन
जब
इसका
परिणाम
13
अगस्त
2018
को
घोषित
किया
गया
तो
बडी
संख्या
अभ्यर्थी
फेल
हो
गये,
यानी
निर्धारित
कटआफ
में
जगह
नहीं
बना
सके
और
सीटे
खाली
रह
गयी।
इसके
बाद
ही
असली
कहानी
शुरू
हुई।
अभ्यर्थियों
ने
परीक्षा
नियामक
से
अपनी
उत्तर
पुस्तिकाओं
की
स्कैन
कापी
मांगी
और
इसके
लिए
वह
हाईकोर्ट
चले
गये।
हाईकोर्ट
के
आदेश
पर
जब
अभ्यर्थियों
को
उत्तर
पुस्तिका
की
स्कैन
प्रति
दी
गई,
तो
पता
चला
कि
मूल्यांकन
में
गंभीर
त्रुटियां
की
गई
हैं।
इसके
बाद
हाईकोर्ट
में
ताबड़तोड
याचिकाएं
दाखिल
हुई
और
जैसे
जैसे
स्कैन
कापी
बाहर
आने
लगी,
पूरी
भर्ती
सवालों
के
घेरे
में
चली
गयी।
अभ्यर्थियों
की
कापियां
ठीक
से
नहीं
जांची
गयी
थी।
इस
पर
बवाल
और
हंगामे
के
बीच
सरकार
ने
जांच
का
आदेश
दिया
और
फिर
पुरर्मूल्यांकन
भी
हुआ।
लेकिन
मौजूदा
याचिकाओं
में
बताया
गया
कि
ओरवराइटिंग
और
व्याकरण
की
मामूली
त्रुटियों
वाली
कापियां
नहीं
जांची
गयी
हैं,
जबकि
हाईकोर्ट
ने
इसे
नजरअंदाज
करने
को
कहा
था।
इसी
आधार
पर
अब
हाईकोर्ट
ने
फिर
से
अपने
आदेश
को
दोहराया
है।
बता
दें
कि
इस
भर्ती
में
22211
पद
खाली
हैं
और
इनके
लिये
ही
अभ्यर्थी
जद्दोजहद
कर
रहे
हैं।