कांग्रेस के सबसे पुराने गढ़ में संजीवनी फूंकने पहुंची प्रियंका, रात में ही बुलाई पहली बैठक
Prayagraj news, प्रयागराज। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यूपी में चुनावी शंखनाद करने रविवार की देर रात प्रयागराज पहुंची। यहां स्वराज भवन में उनका भव्य स्वागत किया गया और आधी रात पूरा आनंद भवन कांग्रेसियों के जोश व उत्साह के हिलोर से आनंदित रहा। प्रियंका ने भी समय के तकाजे को समझते हुये रात में ही पहली बैठक बुला ली और वरिष्ठ कांग्रेसियों के साथ मौजूदा स्थिति पर गहनता से चर्चा की। हालांकि, इस दौरान स्थानीय नेताओं को तरजीह नहीं दी गयी और उन्हें स्वराज भवन के बाहर ही रोक दिया गया। बैठक में पहली चर्चा इलाहाबाद में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर हुई और फिर जलयात्रा को लेकर रणनीति पर वरिष्ठ नेताओं ने अपना अपना पक्ष रखा।
यूपी में चुनावी मैदान फतह के लिए प्रचार-प्रसार
फिलहाल, अपने पहले दिन के कार्य दिवस से घंटों काम करने वाली प्रियंका के उसी व्यक्तित्व की झलक यहां भी देखने को मिली और देर रात तक वह कांग्रेसियों के साथ रणनीति को प्रभावी बनाने में चर्चा करती रही। गौरतलब है कि आज से प्रियंका गांधी यूपी में चुनावी मैदान फतह करने के लिये प्रचार-प्रसार का मैराथन युद्ध शुरू कर रही हैं। प्रयागराज से इसकी भव्य शुरुआत जलमार्ग के द्वारा की जा रही है।
कुंभ से नाता जोड़ने का तरीका
प्रियंका गांधी के कुंभ मेला में आने की खबर खूब सुर्खियां बनी थी, उनका कार्यक्रम भी कई बार तय हुआ था, लेकिन वह प्रयागराज नहीं आ सकी थीं। ऐसे में अब कुंभ समाप्ति के बाद वह कुंभ क्षेत्र में पहुंचकर अपना नाता कुंभ से जोड़ती हुई नजर आयेंगी। लगभग साढ़े 9 बजे वह संगम तट पर वह पूजा आरती के बाद हनुमान जी का दर्शन करेंगी और फिर मनइया घाट से उनकी जल यात्रा का श्रीगणेश होगा। इस दौरान कांग्रेसी अपनी पूरी ताकत के साथ इस कार्यक्रम को भव्य और सफल बनाने में जुटे हुये हैं, शहर के हर हिस्से से कांग्रेस कार्यकर्ता अपने दल बल के साथ कार्यक्रम में पहुंचकर नारेबाजी कर प्रियंका का उत्साहवर्धन कर रहे हैं।
मोदी को घेरने की तैयारी
गौरतलब है कि कुंभ मेला क्षेत्र में लोगों के बीच अपनी अलग पैठ बना चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिये ही प्रियंका गांधी ने प्रयागराज को चुना और वह यहां वाराणसी तक जययात्रा कर पूरे रास्ते कांग्रेस का लोकसभा जीतने का रास्ता बनायेंगीं बनारस पहुंचने से पहले वह लगभग 100 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करेंगी। अब जल मार्ग के अलावा सड़क मार्ग पर भी उनका कार्यक्रम तय किया गया है। संभवत: वह ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर जमीनी राजनीति को पुन: जीवंत करने का प्रयास कर रही हैं, जिसका फायदा उन्हें कुछ न कुछ जरूर होगा। फिलहाल, भाजपा के लिये भी यह चिंता का विषय है कि उनकी राह कठिन करने के लिये प्रियंका जल थल दोनों से जगह से वार करेंगी, जिसका जवाब अभी तक भाजपा ने तैयार नहीं किया है।
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