'50 हजार करंसी के बदले मिलते हैं 2 लाख के नकली नोट', पकड़े गए 5 तस्करों ने खोले कई बड़े राज
इलाहाबाद/प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में नकली नोटों की गड्डियां पकड़ी गई हैं। 2 लाख 40 हजार रुपये लेकर शहर में दाखिल हुए नकली नोट के सौदागरों को पुलिस ने दबोच लिया और उनसे पूछताछ में पता चला कि पूरे देश में उनका नेटवर्क है। जो नकली नोटों को बाजार में खपाने का काम कर रहा है। प्रयागराज पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किये गये पांच नकली नोटों के तस्करों से पुलिस ने कयी राज उगलवा लिये हैं और पश्चिम बंगाल से संचालित हो रहे इस नेटवर्क के भंडाफोड़ के लिये अब टीमें गठित की गई हैं। जानकारी देते हुए एडिशनल एसपी नीरज पांडेय ने बताया कि शुक्रवार की देर शाम सूचना मिली थी कि कुछ लोग नकली नोटों की गड्डियां लेकर शहर में आ चुके हैं और नकली नोटों को बाजार में खपाने की तैयारी में हैं।
2 हजार के 121 नकली नोट मिले
पुलिस व एसटीएफ ने मुखबिर की सूचना पर सिविल लाइंस बस अड्डे के पास नाकेबंदी की और तलाशी ली जाने लगी। इस दौरान कुछ लोगों को शक के आधार पर हिरासत में ले लिया गया और तलाशी में उनके पास 2 हजार के 121 नकली नोट बरामद किए। गिरफ्तार होने वालों में प्रतापगढ़ के अच्छे लाल चौरसिया व त्रियोगी नारायण पांडेय, मांडा के कपूर चंद्र जायसवाल और पश्चिम बंगाल के सुभाष मंडल व विश्वजीत सरकार शामिल हैं। सबने थोड़े-थोड़े पैसे अपने पास रखे थे, ताकि किसी को शक न हो। नकली नोट हूबहू असली नोटों की तरह लग रहे थे, जिन्हें पहचाना मुश्किल था। इन लोगों के पास से 54 हजार रुपये की असली करंसी भी थी।
10 साल से चला रहे गिरोह
एसटीएफ के सीओ नवेन्दु सिंह ने बताया कि नकली नोट तस्करी करने वालों का बहुत बड़ा नेटवर्क है और यह गैंग भी उसी का हिस्सा है। इस गैंग का सरगना अच्छे लाल चौसरिया है, जो पिछले दस साल से नोटों की तस्करी कर रहा है। अच्छे लाल को नोटों के तस्करी के मामले में पहले भी पकड़ा गया था और वह जेल भी भेजा गया था। हालांकि जेल लाने के बाद वह और शातिर हो गया और जेल में ही उसकी पहुंच तस्करी के नेटवर्क में अंदर तक हो गयी। जब वह प्रयागराज के नैनी जेल में बंद था, उस दौरान उसकी एक और तस्कर से मुलाकात हुई जो पश्चिम बंगाल का था और तस्करी नेटवर्क की मुख्य लाइन से जुड़ा हुआ था। अच्छे लाल को जब जमानत मिली तो इसी तस्कर के सहारे वह सीधे पश्चिम बंगाल के नेटवर्क से जुड़ गया और सीधे पैसे उठाने लगा।
50 हजार में 2 लाख
पुलिस के अनुसार तस्करी एजेंटों को 50 हजार रुपये में 2 लाख रुपये की करंसी मिलती है, जिसे वह लोकल एजेंट तक पहुंचाते हैं और कुछ खुद ही मार्केट में खपाते हैं। लोकल एजेंट तक पहुंचाने वालों को अलग से कमीशन भी दिया जाता है। इस बार जब वह पश्चिम बंगाल से पैसा लेकर चले तो इसकी भनक एसटीएफ को लग गयी और सिविल लाइंस बस अड्डे पर घेराबंदी कर ली गयी। सभी को गिरफ्तार करने के बाद लिखापढ़ी करते हुये जेल भेज दिया गया है।
सावधान
रहने
की
जरूरत
देश
में
जब
पुरानी
नोटों
को
बैन
कर
नयी
नोटों
का
संचालन
शुरू
किया
गया
तो
उसमें
सबसे
अहम
फायदा
यह
भी
बताया
जाता
रहा
कि
इससे
सुरक्षा
फीचर
अधिक
हैं
और
ऐसी
नोट
छापना
मुश्किल
होगा।
लेकिन,
नकली
नोटों
के
साथ
तस्करों
के
पकड़े
जाने
से
इतना
तो
साफ
हो
गया
है
कि
अब
नकली
नोट
बाजार
में
आ
चुके
हैं
और
उन्हें
बेहद
ही
तेजी
के
साथ
खपाया
जा
रहा
है।
ऐसे
में
लोगों
को
अधिक
जागरूक
होने
व
नोटों
की
पहचान
करने
की
आवश्यकता
है,
ताकि
वह
नकली
नोटों
का
शिकार
न
बन
जाएं।