20 फलदार पौधे लगाओ और बड़े होने तक करो देखभाल- हाईकोर्ट ने दी अनोखी सजा
Prayagraj news, प्रयागराज। जमीन पर मालिकाना हक के लिए चकबंदी अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक में याचिका दाखिल कर कोर्ट को गुमराह करने के मामले में एक याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट ने अनोखी सजा सुनाई है। हाईकोर्ट ने युवक को 20 फलदार वृक्ष लगाने व उनकी देखभाल करने का आदेश दिया है। साथ ही इलाके के एसडीएम को भी आदेश दिया है कि वह इन सभी वृक्षों की स्थिति का मुआयना करते रहे। इस अनोखे आदेश में सबसे दिलचस्प बात यह है कि पेड़ लगाने व उनकी देखभाल कर बड़ा करने के बावजूद भी भविष्य में पेड़ों व उनके फलों पर युवक का उसपर कोई मालिकाना हक नहीं होगा और अगर पेड़ों की सही देखभाल न हुई तो हाईकोर्ट इस मामले में युवक को अलग से सजा भी सुना सकती है।
क्या
है
मामला
उत्तर
प्रदेश
के
सुल्तानपुर
के
रहने
वाले
बृजेंद्र
मिश्र
का
जमीन
पर
मालिकाना
हक
को
लेकर
विवाद
चल
रहा
था।
इस
मामले
को
लेकर
उन्होंने
तहसील
से
लेकर
चकबंदी
अदालत,
जिला
व
हाईकोर्ट
में
भी
याचिका
दाखिल
कर
दी।
हाईकोर्ट
में
इस
मामले
की
जब
सुनवाई
शुरू
हुई
तो
हाईकोर्ट
को
बताया
गया
कि
याची
की
ओर
से
दाखिल
की
गई
याचिका
अदालत
को
गुमराह
करने
वाली
है।
दरअसल
याची
ने
एक
ही
तरह
का
प्रार्थना
पत्र
एक
ही
कारण
को
दर्शाए
हुए
निचली
अदालत
से
लेकर
हाईकोर्ट
तक
में
दाखिल
की
है।
जबकि
याची
ने
अपनी
जान
का
खतरा
बताकर
सुरक्षाकर्मी
भी
प्राप्त
लिए
हैं।
ऐसे
में
अदालत
का
समय
खराब
करने
व
अदालत
को
गुमराह
करने
के
लिये
बार-बार
अलग-अलग
कोर्ट
में
याचिका
दाखिल
की
जा
रही
है।
हाईकोर्ट
ने
सुनाया
फैसला
इस
याचिका
पर
जस्टिस
देवेन्द्र
कुमार
उपाध्याय
की
बेंच
ने
सुनवाई
पूरी
और
साक्ष्यों
व
दलीलों
के
आधार
पर
पाया
कि
निचली
अदालतों
में
कार्रवाई
चल
रही
है।
सुरक्षा
के
लिए
कर्मी
भी
मिले
हैं।
उसके
बावजूद
जब
हाईकोर्ट
में
याचिका
दाखिल
की
गआ
तो
नीचे
की
अदालत
में
दाखिल
याचिकाओं
का
जिक्र
नहीं
किया
गया।
जोकि
हाईकोर्ट
को
गुमराह
करने
जैसा
है।
हाईकोर्ट
ने
बार-बार
एक
ही
याचिका
दाखिल
करने
व
तथ्य
छिपाने
व
गुमराह
करने
पर
याचिका
खारिज
कर
दी
और
जुर्माने
के
तौर
पर
सजा
सुनाई।
हाईकोर्ट
ने
आदेश
दिया
कि
बृजेंद्र
अपने
निजी
खर्चे
पर
अपने
गांव
में
बीस
फलदार
व
छायादार
पेड़
लगाएं
और
इन
पेड़ों
का
लगातार
मुआयना
स्थानीय
एसडीएम
करें।
मांगी
माफी
वहीं,
इस
मामले
में
याची
की
ओर
से
बिना
शर्त
कोर्ट
से
माफी
मांगी
गई
और
आश्वसान
दिया
गया
कि
भविष्य
में
वह
ऐसा
नहीं
करेगा।
हाईकोर्ट
ने
याची
के
माफीनामे
को
स्वीकार
कर
लिया
है।
हालांकि
उसे
सुनाई
गई
सजा
को
पूरा
करना
होगा
और
अपने
ग्राम
सभा
में
अपने
निजी
खर्च
पर
20
फलदार
व
छायादार
पेड़
लगाने
होंगे।
हालांकि
सिर्फ
पेड़
लगाने
से
ही
जिम्मेदारी
खत्म
नहीं
होगी।
पेड़ों
के
बड़े
हो
जाने
तक
पेड़ों
की
सिंचाई
व
देखभाल
भी
याची
को
करना
होगा
और
जब
पेड़
बड़े
हो
जाएंगे
तो
उनपर
उसका
कोई
मालिकाना
हक
नहीं
होगा।
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