दिग्विजय सिंह की हार पर जिंदा समाधि लेने का किया था ऐलान, मिर्ची बाबा को मिली ये सजा
Prayagraj news, प्रयागराज। बीते आम चुनाव के दौरान भोपाल से साध्वी प्रज्ञा सिंह की हार व दिग्विजय सिंह की जीत के लिए मिर्ची यज्ञ करने वाले व दिग्वजय की हार पर समाधी लेने का ऐलान कर चर्चा में आये स्वामी वैराग्यानंद उर्फ मिर्ची बाबा पर बड़ी कार्रवाई की गई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में स्वामी वैराग्यानंद उर्फ मिर्ची बाबा को निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। अखाड़े के पंच परमेश्वर की बैठक के बाद उन पर कार्रवाई का निर्णय लिया गया और सर्वसम्मति से उन्हें निष्कासित करने का निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि वैराग्यानंद निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर पद पर थे, लेकिन उनके इस चर्चित कांड के बाद निरंजनी अखाड़े ने उनसे अपने संबंध तोड़ दिए हैं।
क्या है पूरा मामला
लोकसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश के भोपाल से कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ रहे थे। उनके खिलाफ भाजपा ने प्रज्ञा सिंह को टिकट देकर मैदान में उतार दिया था। प्रज्ञा सिंह मोदी लहर पर सवार होकर अपने प्रचार प्रसार में जुटी थी। इसी दौरान दिग्विजय सिंह के बेहद ही करीबी व निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद ने एक ऐलान कर देश भर में सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी।
दिग्विजय सिंह की हार पर जिंदा समाधि लेने का किया था ऐलान
वैराग्यानदं ने ऐलान किया कि वह प्रज्ञा सिंह की हार व दिग्विजय सिंह की जीत के लिए मिर्ची यज्ञ करेंगे। जिसमें कई क्विंटल मिर्चा से हवन होगा और उसका परिणाम यह होगा कि दिग्विजय सिंह जीत जायेंगे। हालांकि, वैराग्यानंद यहीं नहीं रूके अपने ऐलान में उन्होंने कहा कि अगर दिग्विजय सिंह हार गये तो वह जिंदा ही समाधि ले लेंगे। बाबा के इस ऐलान को मीडिया और सोशल मीडिया पर खूब हवा मिली और रातोंरात बाबा पूरे देश के सबसे चर्चित बाबाओं में शुमार हो गया। हालांकि, चुनाव का परिणाम आने के बाद प्रज्ञा सिंह जीत गई और दिग्विजय सिंह की हार हुई है।
अखाड़ा परिषद ने की कार्रवाई
सोमवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने मीडिया से रूबरू होते हुए निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी वैराग्यानंद के अखाड़े से निष्किासित किए जाने का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि अखाड़े के पंच परमेश्वर की बैठक के बाद वैराग्यानंद को अखाडे से निष्कासित करने का निर्णय लिया गया है। महंत नरेंद्र गिरी ने निष्कासन के कारण को स्पष्ट करते हुये बताया कि राजनीतिक विद्वेष से ग्रसित होकर किसी के अहित के लिए पूजा कराना संत आचरण के खिलाफ है। यह अर्मायादित था और उनका यह कार्य पूरी तरह से गलत था। अब अखाडे से वैराग्यानंद का किसी तरह का कोई संबंध नहीं है।
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