महाशिवरात्रि विशेष: यहां भूत-प्रेत और पिशाच देते हैं पहरा, रात में गूंजते हैं जयकारे
प्रयागराज। महाशिवरात्रि पर लोग शिव के अलौकिक स्थलों का दर्शन करने जाते हैं। पृथ्वी पर कई ऐसे दिव्य स्थल हैं, जो विज्ञान की समझ से परे और आस्था की समझ से नतमस्तक करने वाले हैं। कुछ स्थानों पर विशेष मान्यता, विशेष शक्तियों का आभाव और मानसिक संतुष्टि के साथ मनोकामना पूर्ण होने का विश्वास प्रचंड होता है और लोगों को फल की प्राप्ति होती है। ऐसा ही एक अद्वितीय स्थल प्रयागराज की पावन धरा पर प्राचीनकाल से विद्यमान है। गंगा यमुना के मिलन स्थल संगम के किला घाट से महज दस मिनट की दूरी पर यमुना किनारे सरस्वती घाट है। यह घाट पूरे प्रयागराज के सबसे खूबसूरत घाट में से एक है। इस घाट पर बिल्कुल नदी किनारे मनकामेश्वर महादेव का दुर्लभ शिवलिंग है।
पुराणों में उल्लेख
कामेश्वर तीर्थ के बारे में शिवपुराण, पद्यपुराण व स्कंदपुराण में भी उल्लेख मिलता है कि भगवान् शंकर कामदेव को भस्म करके यहां लिंग के रुप में विराजमान हो गए थे। इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि सतयुग में यह लिंग स्वयं प्रकट हुआ था और भगवान् राम वनवास के समय जब प्रयाग पहुंचे तो अक्षयवट के नीचे विश्राम करके इसी शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। यहीं पर मां सीता ने कामेश्वर महादेव से वन से शकुशल लौटने की कामना की थी। जब लंका पर विजय प्राप्त कर वापस भगवान राम प्रयाग पहुंचे तो ॠषि भरद्वाज से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद माता सीता के साथ मनकामेश्वर महादेव का दर्शन करने पहुंचे और फिर वापस अयोध्या पहुंचे। इस शिवलिंग के प्रति जनआस्था है कि यहां मांगी गई हर मुराद मुरी पूरी होती है।
महाशविरात्रि पर आस्था का सैलाब
प्रयागराज में रहने वाले, सनातन संस्कृति को मानने वाला शायद ही कोई ऐसा जीव होगा, जो मनकामेश्वर महादेव के दर्शन करने न जाता हो। महाशिवरात्रि को तो यहां आस्था का अप्रीतम स्वरूप नजर आता है, लगभग एक किलोमीटर दूर तक हर तरफ शिवभक्तों की भीड़ से यह पूरा इलाका ठसाठस भर जाता है। मन में जाप और जुबान पर जयकारों के बीच यहां भोर से देर रात्रि तक शिव का दर्शन और अभिषेक होता है। यहां विशेष पूजन, हवन व यज्ञ भी किये जाते हैं।
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4 सोमवार से बनते हैं काम
मनकामेश्वर महादेव के बारे में कहा जाता है कि यहां लगातार चार सोमवार शिवलिंग के दर्शन से सारी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। यहां हजारो लोगों की भीड़ साल के हर महीने देखने को मिलती है। मन कामेश्वर मंदिर के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामि श्री स्वरुपानन्द सरस्वती हैं। जनश्रुति है कि इस सिद्ध पीठ में रात्रि को अंधकार में शिव परिवार के तमाम सदस्य, जिसमें भूत प्रेत पिशाच भी मंदिर परिसर में आते जाते हैं। बहुत से लोगों ने दावा किया है कि उन्होंने भूतों को यहां पहरा करते देखा है। लेकिन आज तक किसी को भी ऐसी किसी प्रलयंकारी ताकतों ने परेशान नहीं किया। माना जाता है कि शिव के विश्राम के समय यहां भूत-प्रेत, पिशाच पहरा देते हैं।
पूरे वर्ष कार्यक्रम
प्रयागराज का यह सिद्धपीठ पूरे वर्ष शिव भक्तों से गुलजार रहता है। सामान्य तौर पर प्रतिदिन यहां जलाभिषेक, दुग्ध अभिषेक बिना रुके संपादित होते रहते हैं। बाबा मनकामेश्वर के बारे में यह कहा जाता है कि जब कभी भक्त अपनी जिंदगी को हारने लगते हैं उदास हो जाते हैं कहीं कोई रास्ता नहीं सोचता तो ऐसे भक्त बाबा मनकामेश्वर की चौखट पर जाकर बैठ जाते हैं और जब उठते हैं तब उनकी समस्या का निदान हो चुका होता है। न जाने कितने भक्तों का यह दावा हर दिन देखने को मिलता है।
प्रेमियों के लिए मनभावन
यहां शिवलिंग के रूप में स्थापित बाबा मनकामेश्वर अत्यंत सुंदर है और शेषनाग जी की मौजूदगी ने तो इस सौंदर्य को और भी बढ़ा दिया है, लेकिन यहां की जो सबसे खास बात है वह यह है कि यहां प्रेमियों की मनोकामना स्वतः पूरी होती है। लोगों का विश्वास है कि अगर पति पत्नी अथवा प्रेमी-प्रेमिका एक साथ बाबा के दर्शन कर मनोकामना व्यक्त करते हैं तो उनका मनोरथ निःसंदेह सिद्ध हो जाता है। अगर आप यहां दर्शन करने आते हैं तो आपको यहां जोड़े में दर्शन करने वालों की भीड़ देखने को मिल जाएगी।