जानिए कौन हैं पंधारी यादव जिन्हें सपा ने दिया फूलपुर संसदीय सीट से टिकट
प्रयागराज। 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने यूपी की एक और लोकसभा सीट पर अपने पत्ते खोल दिया है। शनिवार को सपा ने इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट से पंधारी यादव को टिकट दे दिया। फूलपुर सीट यूपी की हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है। इस सीट से वर्तमान में समाजवादी पार्टी के ही नागेंद्र पटेल सांसद हैं। यह सीट यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी। नागेंद्र पटेल 2018 में हुए उपचुनाव में इस सीट से जीतकर सांसद बने थे।
कौन हैं पंधारी यादव
इस बार सपा ने फूलपुर लोकसभा सीट से नागेंद्र पटेल का टिकट काटते हुए पंधारी यादव को टिकट दिया है। पंधारी यादव प्रयागराज में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं और फिलहाल पार्टी में प्रदेश सचिव के पद पर हैं। सपा-बसपा और आरएलडी के बीच हुए गठबंधन में फूलपुर लोकसभा सीट सपा के खाते में आई है। भाजपा ने यहां से केसरी देवी पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा की तरफ से पटेल उम्मीदवार उतारे जाने के बाद सपा ने यादव प्रत्याशी को टिकट देकर बड़ा दांव चला है।
सपा से कर चुके हैं बगावत
पंधारी यादव का नाम भले ही अनुशासन व जमीनी नेता के रूप में जोडा जा रहा है, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब सपा से पंधारी यादव ने बगावत कर दी। पंधारी यादव ने 2007 में पार्टी से बगावत करके प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के टिकट से प्रतापपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा था। हालांकि उस चुनाव में पंधारी को जीत नहीं मिली सकी। पंधारी की यहां बेहद ही बुरी हार थी और 2634 वोट पाक वह कुल 13 प्रत्याशियों में से छठे स्थान पर रहे। इसके बाद पंधारी को भी यह एहसास हो गया कि उनकी असली ताकत सपा है और उनका भविष्य वहीं तय होगा। जिसके बाद पंधारी ने वापस सपा ज्वाइन कर ली।
पहले महामंत्री और अब अध्यक्ष को टिकट
फूलपुर से सपा बसपा गठबंधन से टिकट पाने वाले पंधारी यादव 2011 से 2014 के बीच जिलाध्यक्ष रहे और उस दौरान नागेंद्र सिंह पटेल महामंत्री थे। उप चुनाव के दौरान सपा ने अपने जिला महामंत्री को टिकट दिया और नागेंद्र सिंह पटले जीतकर सांसद बन गये। लेकिन नागेंद्र के नाम के साथ विवाद जुड गया और पूरे देश में स्टिंग की वजह से नागेंद्र व पार्टी की किरकिरी हुई। इसलिये संगठन के पदाधिकारियों की श्रेणी क्रम में इस बार बारी जिलाध्यक्ष को टिकट दिया गया। हालांकि अब दोनों जिला स्तर के बजाय प्रदेश स्तर के पदाधिकारी बना दिये गये हैं। फिलहाल पंधारी यादव अब सपा बसपा गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी हैं और उन पर फूलपुर में फिर से साइकिल दौडाने की जिम्मेदारी है।
2012 के चुनाव से बने बड़ा चेहरा
फूलपुर संसदीय सीट से पंधारी यादव का नाम अचानक सामने आने के पीछे बडी कहानी है और वह कहानी लिखी गयी थी 2012 के विधान सभा चुनाव के दौरान। जब पंधारी यादव के नेतृत्व में सपा ने यहां का स्थानीय चुनाव लडा था और हर तरफ सपामय माहौल पैदा कर 8 सीटों पर साइकिल दौडा दी थी। इस जीत के साथ ही पंधारी का चेहरा बड़ा बना और उसे प्रदेश स्तर पर सीधे पहचान मिल गयी थी। पंधारी यादव को लोहियावाहिनी का भी जिलाध्यक्ष बनाया गया था, इस दौरान उन्होंने संगठन को मजबूत किया और कार्यकर्ताओं की संख्या बढाने के लिये गांव-गांव अभियान चलाया था। यहीं से जमीनी नेता के तौर पर पंधारी की पहचान को चार चांद लगे थे। संगठन से हमेशा जुडा रहने और मतदाताओं के बीच हर चुनाव में पहुंचने वाले पंधारी को अब खुद के लिये वोट जुटाने होंगे और अगर उन्हे जीत मिली तो यह चेहरा आने वाले चुनावों में कायी सालों तक स्थानीय राजनीति को प्रभावित करेगा।
यादव वोटों पर नजर
वैसे भी केशरी देवी के मैदान में आने के बाद इस संभावना को मजबूती मिली थी और मजबूरी थी कि समाजवादी पार्टी यादव या मुस्लिम प्रत्याशी के साथ चुनाव मैदान में उतरे। जिसके तहत ढेरो संभावना व चर्चाओं के बीच आखिरकार यादव बिरादरी को साधने के लिये सपा ने पंधारी यादव को टिकट दिया है। फिलहाल सपा की नजर इस समय अपने मूल वोटों पर है और कोशिश है कि उसके मूल वोटर ना भटके। इसी वजह से पार्टी के जमीनी नेता को टिकट दिया गया और 2 लाख 63 हजार यादव मतदाताओं को सीधे रिझाने की कोशिश की गयी है। जबकि मुस्लिमों का भी वोट सपा के पक्ष में ही जाने का पूरा आंकडा तैयार है। वही बसपा के मूल वोटरों ने अगर साथ निभाया तो सपा के लिये इस सीट पर केशरी देवी पटेल को टक्कर देने के लिये पर्याप्त ताकत होगी।
ये भी पढ़ें:- फूलपुर सीट पर क्या हैं जीत-हार के पुराने सियासी आंकड़े