यूपी बोर्ड के बाद अब सरकारी स्कूलों में घट गए 48.5 लाख छात्र, चिंता में योगी सरकार
Prayagraj news, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा का परिणाम जारी करने के बाद अब उसका अंक पत्र व पास प्रमाण में नकल रोकने की मुहिम से लाखों की संख्या में छात्रों की कमी आई थी। बड़ी संख्या में परीक्षार्थी जहां परीक्षा छोड़कर भाग गए, वहीं रजिस्ट्रशन कराने वालों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन, अब योगी सरकार के लिए चिंता जनक बात बेसिक शिक्षा परिषद के परिषदीय स्कूलों में एकाएक बड़ी संख्या में आई गिरावट है। मौजूदा 2019-20 सत्र में अब तक 48.5 लाख छात्र-छात्राओं की संख्या में कमी का आंकड़ा सामने आया है। अगर पिछले सत्र से इस वर्ष की तुलना करें तो यह संख्या चौकाने वाली है और छात्रों की कमी लगभग 50 लाख का आंकड़ा छूने वाली है, जो सरकार व विभाग के लिए चिंता का विषय है।
कितनी आई है कमी
बेसिक शिक्षा परिषद की ओर प्राप्त जानकारी के अुनसार शैक्षिक सत्र 2018-19 में पंजीकृत छात्रों की संख्या डेढ़ करोड़ के पार थी। इसमें प्राइमरी में एक करोड़ से अधिक व उच्च प्राथमिक में 40 लाख के करीब छात्र थे। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार शैक्षिक सत्र 2018-19 में कक्षा एक से पांच तक कुल 1 करोड़ 18 लाख 74001 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे। जबकि उच्च प्राथमिक स्कूल यानी 6 से 8 तक के स्कूलों में 39 लाख 18 हजार 426 बच्चे पंजीकृत थे। ये आंकड़ा छात्र छात्राओं दोनों की संख्या को मिलाकर जारी किया गया था। जो आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। वहीं मौजूदा शैक्षिक सत्र यानी 2019-20 में कक्षा एक से पांच तक कुल 82 लाख 22 हजार 331 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हुए हैं। जबकि उच्च प्राथमिक स्कूल यानी 6 से 8 तक के स्कूलों में 27 लाख 17046 बच्चे पंजीकृत हुए। ये आंकड़ा छात्र छात्राओं दोनों की संख्या को मिलाकर जारी किया गया था। जो आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। यानी 36 लाख 51 हजार 670 बच्चों की कमी प्राइमरी के स्कूल में आई है। जबकि उच्च प्राथमिक स्कूल में यह कमी 1201380 है।
सरकार चिंतित
यूपी सरकार इस समय सरकारी स्कूलों के लिये ढेरों सुविधाएं ला रहा है। बिजली, पंखा, पानी, शौंचालय, बैठने के लिये बेंच, टाइल्स युक्त कमरा, मुफ्त किताब, यूनिफॉर्म, बैग, जूता, मोजा से लेकर मिड-डे-मील तक की योजनाएं परिषदीय स्कूलों में धीरे धीरे अस्तित्व में आ रही हैं। लेकिन यह सारी योजनाएं भी बच्चों को विद्यालय में रोकने में कामयाब नहीं हो रही है। लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में ही भेजना चाह रहे हैं व उनका भविष्य बेहतर वहीं देख रहे हैं। फिलहाल सरकार के लिये यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है, अगर सरकारी स्कूलों में 31 प्रतिशत की यह घटोत्तरी बनी रही, तो इस पर बड़ी कार्रवाई भी होना तय माना जा रहा है।
क्या बोले अधिकारी
बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुशवाहा ने इस बावत बताया कि छात्र संख्या नामांकन की सूचना वेबसाइट पर पूरी तरह से अपलोड नहीं हो सकी है, इसलिये वास्तविक संख्या सामने नहीं आ रही है। इतनी बड़ी संख्या में गिरावट नहीं हो सकती, बल्कि कम से कम 15 प्रतिशत छात्रों की संख्या इस वर्ष बढ़ने का अनुमाान है। चूंकि सूचनाएं अपडेट नहीं हैं, और जो सूचनाएं अपडेट हैं, उसके अनुसार ही यह कमी सामने आई हैं। कुछ विकास खंडों की ओर से अभी आंकड़ें अपलोड नहीं किए गए हैं। नये एडमीशन होंगे तो छात्रों की संख्या बढ़ेगी।
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