UP: दरोगा भर्ती में फिर विवाद, चयनित अभ्यर्थियों को ज्वाइनिंग लेटर जारी करने पर रोक
Uttar pradesh news, प्रयागराज/ इलाहाबाद। अखिलेश सरकार में शुरू हुई 3307 पदों वाली दरोगा भर्ती फिर अधर में लटक गई है। अब नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी गई है। दरअसल चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब अभ्यर्थियों का नियुक्ति पत्र जारी होना था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने यह रोक भर्ती प्रक्रिया में फेल हुए अभ्यार्थियों की याचिका पर सुनवाई के बाद लगाई है। इस मामले की अगली सुनवाई और आदेश सुनाने की तिथि 30 मार्च मुकर्रर की है।
क्या
है
मामला
उत्तर
प्रदेश
में
चल
रही
दरोगा
भर्ती
में
बीते
24
फरवरी
को
चयन
प्रक्रिया
पूरी
की
गयी
थी
और
रिजल्ट
जारी
किया
गया
था।
रिजल्ट
जारी
होने
के
साथ
ही
इस
भर्ती
में
फिर
विवाद
शुरू
हो
गया।
सैकडों
की
संख्या
में
अभ्यर्थियों
ने
आरोप
लगाया
कि
पहले
जिन
अभ्यर्थियों
को
फेल
दिखाया
गया
वह
पास
कर
दिये
गये
और
जो
पास
थे
उन्हें
चयन
सूची
में
शामिल
ना
कर
फेल
कर
दिया
गया
है।
जबकि
बाद
में
फेल
किये
गये
अभ्यरर्थियों
ने
शारीरिक
दक्षता
परीक्षा
भी
पास
कर
ली
थी।
इसी
बावत
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
की
लखनउ
खंडपीड
में
याचिका
दाखिल
की
गयी।
जिस
पर
सुनवाई
करते
हुये
हाईकोर्ट
ने
अभ्यर्थियों
को
राहत
दी
है
और
चयनित
सूची
के
अभ्यर्थियों
के
नियुक्ति
पत्र
जारी
करने
पर
30
मार्च
तक
रोक
लगा
दी
है।
लंबा
खिच
सकता
है
मामला
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
की
लखनऊ
बेंच
में
न्यायामूर्ति
राजेश
सिंह
चौहा
ने
इस
मामले
पर
सुनवाई
तेजी
के
साथ
शुरू
की
है
और
संभावना
है
कि
इस
पर
फैसला
30
मार्च
को
ही
सुना
दिया
जाये।
लेकिन
अखिलेश
सरकार
के
दौरान
शुरू
हुई
यह
भर्ती
शुरू
से
ही
विवादों
में
रही।
पांच
लाख
से
अधिक
अभ्यार्थी
इस
परीक्षा
में
शामिल
हुये।
लेकिन,
भर्ती
परीक्षा
में
कयी
नकल
गैंग
का
खुलासा
हुआ
तो
परीक्षा
भी
बोर्ड
को
रद्द
करनी
पडी
थी।
दोबारा
परीक्षा
के
बाद
धीरे
धीरे
भर्ती
प्रक्रिया
आगे
बढी
और
अब
जाकर
इसकी
चयन
प्रक्रिया
पूरी
हुई
थी।
लेकिन
उसपर
भी
अब
संकट
के
बादल
मंडराने
लगे
हैं।
चुनावी
माहौल
के
बीच
अगर
इस
भर्ती
में
हाईकोर्ट
के
समक्ष
आरोप
वाले
तथ्य
पेश
हुये
तो
यह
तय
है
कि
भर्ती
प्रक्रिया
और
लंबा
खिचेगी।
फिलाहाल
सामान्यीकरण
के
चलते
हुआ
सबकुछ
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
सुनवाई
के
दौरान
कोर्ट
को
सरकार
की
ओर
से
बताया
गया
कि
फेल
हुये
अभ्यर्थियों
का
आरोप
निराधार
है।
यह
सामान्यीकरण
की
प्रक्रिया
है
और
उसके
तहत
ही
रिजल्ट
जारी
किया
गया
है।
सरकार
ने
बताया
कि
पांच
लाख
से
अधिक
उम्मीदवार
होने
के
कारण
सामान्यीकरण
जरूरी
था
और
सामान्यीकरण
के
लिऐ
नोटिस
भी
निकाली
गयी
थी।
वहीं,
अभ्यर्थ्यिों
ने
कोर्ट
में
दलील
दी
की
मौजूदा
दरोगा
भर्ती
की
नियमावली
में
परसेंटाइल
व
सामान्यीकरण
का
प्रावधान
नहीं
है।
ऐसे
में
इसे
किसी
भी
आधार
पर
बदला
नहीं
जा
सकता
है।
ऐसे
में
जो
बदलाव
किया
गया
है
वह
अवैध
है
और
इसी
कारण
सफल
होने
के
बावजूद
वह
फेल
हुये
है।
याचियों
ने
मांग
की
है
कि
अंतिम
चयन
सूची
रद्द
किया
जाये
और
सामान्यीकरण
की
प्रक्रिया
के
बगैर
परिणाम
घोषित
किया
जाये।
भर्ती
के
बारे
में
यह
भर्ती
16
जून
2016
को
शुरू
हुई
थी।
25
जून
से
इसके
लिए
ऑनलाइन
आवेदन
मांगे
गए
थे
और
24
जुलाई
तक
आवेदन
फार्म
अभ्यर्थियों
ने
भरा
था
।
यूपी
में
सत्ता
परिवर्तन
के
बाद
योगी
सरकार
ने
जुलाई
2017
में
लिखित
परीक्षा
का
आयोजन
कराया
था।
17
जुलाई
से
परीक्षा
शुरू
हुई,
लेकिन
नकल
माफियाओं
ने
परीक्षा
की
सुरक्षा
में
सेंध
लगा
दी
थी।
पेपर
लीक
होने
के
बाद
पूरी
लिखित
परीक्षा
निरस्त
कर
दी
गई
।
फिर
लगभग
5
महीने
के
लंबे
इंतजार
के
बाद
12
दिसंबर
से
22
दिसंबर
के
बीच
दरोगा
भर्ती
की
लिखित
परीक्षा
का
आयोजन
किया
था
।
9
जनवरी
2018
को
लिखित
परीक्षा
की
आंसर
की
जारी
हुई
।
अभ्यर्थियों
द्वारा
आपत्तियां
दर्ज
करने
के
बाद
बोर्ड
ने
31
मार्च
को
फिर
से
रिवाइज्ड
आंसर
की
जारी
की
और
उसके
बाद
लिखित
परीक्षा
का
रिजल्ट
जारी
करते
हुए
अभिलेखों
की
संवीक्षा
व
शारीरिक
मानक
परीक्षा
के
लिये
अभ्यार्थियों
को
बुलाया
गया
था
।
24
फरवरी
को
फाइनल
रिजल्ट
जारी
करने
के
बाद
फेल
हुये
अभ्यर्थियों
ने
रिजल्ट
पर
सवाल
उठाये
हैं
और
हाईकोर्ट
में
चयनसूची
को
चैलेंज
किया
है।
कितने
हैं
पद
उत्तर
प्रदेश
पुलिस
भर्ती
एवं
प्रोन्नति
बोर्ड
की
यू
पी
एस
आई
भर्ती
परीक्षा
2016
में
में
कुल
3307
पद
हैं
।
इस
भर्ती
में
दारोगा
(सब
इंस्पेक्टर)
के
2400
पद
हैं।
जबकि
महिला
अभ्यर्थियों
के
लिये
दारोगा
के
600
से
पद
अलग
से
सृजित
हैं।
जिनमे
-
उप-निरीक्षक
नागरिक
पुलिस
(पुरुष)
-
2400
पद।उप-निरीक्षक
(महिला)
-
600
पद,
पीएसी
प्लाटून
कमांडर
-
210
पद
वअग्निशमन
सेकेंड
क्लास
आफिसर
-
97
पद
हैं।
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