लोकसभा चुनाव 1984: जब जया बच्चन ने अमिताभ के लिए मुंह दिखाई में मांगा था वोट
प्रयागराज। इलाहाबादी बहू जया बच्चन एक बार फिर इलाहाबाद वोट मांगने आ रही हैं, लेकिन न तो वह इस बार कांग्रेस के लिए वोट मांगेंगी और ना ही अमिताभ बच्चन के लिए। इस बार वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए वोट मांगेंगी और रोड शो करेंगी। जया बच्चन का कार्यक्रम इलाहाबाद के लिए तय होते ही उनका वह दौर भी लोगों के जेहन में कौंध उठा है, जब उनकी एक झलक के लिए लोग बेताब थे और उनकी अमिताभ के लिए की गई अपील को लोगों ने हाथों हाथ लिया था।
जब अमिताभ के लिए वोट मांगने आई थीं जया
हम बात कर रहे हैं साल 1984 की, जब अमिताभ बच्चन इलाहाबाद से कांग्रेस के प्रत्याशी थे और उनके लिए वोट मांगने जया बच्चन भी आई थीं। तब जया बच्चन पहली बार इलाहाबाद आई थीं। उस वक्त जया ने लोगों से कहा था कि वह इलाहाबाद की बहू हैं और शादी के बाद वह पहली बार अपनी ससुराल आई हैं। अपनी बहू को आप देख रहे हैं तो मुंह दिखाई भी चाहिए और मुंह दिखाई में आप लोग अमिताभ जी को वोट दीजिए। यही मेरी मुंह देखाई होगी।
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जया ने बदल दिया था महिलाओं का रुख
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूर्य नारयण मिश्र बताते हैं कि 1984 में जब आम चुनाव हुआ, उस वक्त वह इलाहाबाद से कानून की पढ़ाई कर रहे थे। अमिताभ बच्चन के इलाहाबाद से चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ माहौल ने गजब की पल्टी मारी थी, लेकिन मुख्यमंत्री रह चुके तत्कालीन दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा से उनका मुकाबला था। अमिताभ का क्रेज तो खूब था, लेकिन वोटों को भुनाने के लिए वह लगातार अपना भावनात्मक जुड़ाव शहर से लोगों को समझा रहे थे, अपनी पढ़ाई, स्कूल, बचपन, घर सबकुछ वह इलाहाबाद ही बताकर लोगों से वोट देने की मांग कर रहे थे। इस दौरान जया बच्चन को चुनाव प्रचार में उतारने का फैसला हुआ और जया बच्चन इलाहाबाद पहुंच गई। जया बच्चन का इलाहाबाद पहुंचना था कि माहौल ने फिर पल्टी मारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
इलाहाबाद में मांगी थी मुंह दिखाई
कांग्रेसी सूर्य नारायण बताते हैं कि जया बच्चन की जनसभा में वह भी पहुंचे और भीड़ से पूरा मैदान खचाखच भरा हुआ था। अपनी पहली जनसभा में जया बच्चन ने पहले सबको हाथ जोड़कर प्रणाम किया और बेहद ही भावुक व हक भरे अंदाज में लोगों से कहा कि वह शादी के बाद पहली बार अपनी ससुराल आई हैं। उन्हे मुंह दिखाई चाहिए और मुंह दिखाई में मुझे अमिताभ जी के लिये वोट चाहिए। जब जया ने मंच से पूछा कि अपनी बहू को आप लोग मुंह दिखाई देंगे या नहीं? तब पूरा मैदान 'हां' में गूंजा उठा था। यहीं से यह तय हो गया था कि जया के मुंह दिखाई का यह वाक्या अब अमिताभ की जीत की इबारत लिखेगा। अमिताभ के लिए नई पीढ़ी की युवतियों का तो खूब क्रेज था, लेकिन जया के चुनाव मैदान में प्रचार के लिए आने के बाद अमिताभ के लिए हर उम्र वर्ग की महिलाओं ने जमकर वोट किया था।
भीड़ तोड़ती थी रिकॉर्ड
1984 के चुनाव में कांग्रेस ने ग्लैमर को इस तरह से जोड़ दिया था कि हर जनसभा में भीड़ का सारा रिकॉर्ड टूट जाता था और अमिताभ के नाम भी तत्कालीन समय में सर्वाधित वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बन गया, जो अभी तक बरकरार है। लोग अमिताभ की एक झलक को बेताब रहते थे और जया के आ जाने से ग्लैमर का तड़का पूरे इलाके पर पड़ गया था। एक तरफ इलाहाबादी छोरा तो दूसरी ओर इलाहाबादी बहू ने घर-घर तक अपनी पहुंच बना ली और दूसरी ओर इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को मिल रही सहानुभूति का भी असर यहां साफ देखने को मिला। अमिताभ रिकॉर्ड मतों से जीतकर सांसद बने। यह चुनाव पूरे भारत के लिए चर्चा का विषय रहा और उस समय के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन को को हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, अमिताभ अपना राजनीतिक सफर लंबा नहीं चला सके और घोटाले के आरोप में नाम आने के बाद छुब्ध होकर राजनीति से किनारा कर लिया और आज तक दोबारा कहीं से चुनाव नहीं लड़ा।
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