जया बच्चन और डिंपल ने निकाला रोड शो, आखिरी समय में बदली फूलपुर-प्रयागराज की फिजा
Prayagraj News, प्रयागराज। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए शुक्रावर (10 मई) को उत्तर प्रदेश की फूलपुर व इलाहाबाद सीट के लिए रोड शो करने पहुंची इलाहाबाद की बहू जया बच्चन व डिंपल यादव का क्रेज लोगों के सर चढ़कर बोला। सड़कों पर जितनी अधिक भीड़ थी वैसी ही भीड सड़क के दोनों ओर घर व उनकी छतों पर भी देखने को मिली। सबसे अधिक क्रेज महिलाओं का नजर आया। जो घरों की छत, बरामदे, टेरिस, कमरों की खिड़कियों पर नजर गड़ाए रोड शो को निहारती रही। अधिकांश इलाकों में बच्चियां धूप के कारण कमरों की खिड़कियों से रोड शो को देखती रही। तो छांव का इंतजाम कर महिलाएं घरों की टेरिस पर खड़ी नजर आई। भयंकर गर्मी के बीच लोगों में रोड शो के प्रति खासा आकर्षण देखने को मिला और लंबे समय बाद जया बच्चन के प्रयागराज पहुंचने व डिंपल को साथ में देखने के लिए लोगों में उत्साह बना रहा। सपा के रोड शो के बाद दोनों सीटों पर हार जीत की अटकलें तेज हो गई है।
इलाहाबाद-फूलपुर सीट पर थमा चुनाव प्रचार
यूपी की दो सबसे हॉट सीटें इलाहाबाद और फूलपुर में चुनाव प्रचार प्रसार थम चुका हैं। बता दें कि छठवें चरण (12 मई) को दोनों सीटों पर मतदान होना है। चुनाव प्रचार थमते ही अब आंकलन का दौर शुरू हो गया। हालांकि सियासी दलों ने इस बार दोनों सीटों पर अपना पूरा जोर शोर लगाया है, लेकिन सबसे ज्यादा जोर इस बार भाजपा का देखने को मिला। सबसे पहले प्रत्याशी घोषित करने से लेकर जनसभाओं की झडी लगाने वाली भाजपा के प्रत्याशी आंकलन में सबसे आगे हैं। हालांकि आखिरी समय में कांग्रेस के जोर लगाने व सपा के शक्ति प्रदर्शन से माहौल कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस को जहां मुख्य लडाई से बाहर माना जा रहा था, वहीं अब वह लडाई में लौटी है। लेकिन जीत के आंकडे के छूने से कांग्रेस काफी दूर रह जायेगी। हालांकि सपा ने जिस तरह आखिरी समय में डिंपल यादव व जया बच्चन का रोड शो कराकर भीड़ बटोरी उससे यह तो साफ हो गया कि भाजपा के लिये यह चुनाव एक तरफा नहीं होगा। फूलपुर में केशव मौर्य की एकतरफा जीत का जो रिकार्ड पिछले लोकसभा चुनाव में बना था, उस जादुई आंकडें तक भाजपा प्रत्याशी का पहुंच पाना संभव नहीं दिख रहा। हालांकि फूलपुर में सपा के मुकाबले भाजपा काफी बेहतर स्थिति में दिख रही है और पहले प्रत्याशी घोषित करने व माहौल बनाने का लाभ उसे मिलता दिखाई पड़ रहा है। इस समय आलम यह है कि भाजपा के प्रत्याशी के अलावा दूसरे दल के प्रत्याशी ग्रामीण इलाको में कदम तक नहीं रख सके हैं और अब वक्त खत्म हो चुका है।
पीएम की सभा और डिंपल का शो
9 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परेड मैदान में हुई रैली में 1 लाख से अधिक लोगों की भीड जुटी, जिसने भाजपा के माहौल का जायका समझा दिया था। लग रहा था कि पीएम की यह चुनावी जनसभा भाजपा के जीत के लिये एकतरफा काम करेगी। लेकिन, अगले ही दिन डिंपल के जया के साथ हुये रोड ने वह मेगा शो दिखाया, जिसकी कल्पना विरोधी दलों में नहीं था। भाजपा के गढ वाले शहर उत्तरी व दक्षिणी क्षेत्र में भी रोड ब्लॉकबस्टर रहा। जिससे गठबंधन जहां उत्साहित रहा, वहीं विरोधी दल भीड के आंकलन और भीड में आने वाले लोगों का ब्यौरा जुटाते रहे। अब यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही साबित होगा कि रोड से बनाम जनसभा में हिट कौन रहा।
इलाहाबाद में कांग्रेस फिर पिछड़ी
इलाहाबाद संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी रीता जोशी मौजूदा समय में सबसे मजबूत प्रत्याशी बनकर उभरी हैं, जिनके पक्ष में सियासी माहौल का पूरा रूख नजर आ रहा है। यहां गठबंधान प्रत्याशी को लेकर सपाईयों में नाराजगी का असर साफ है। कांग्रेस के पास उसके मूल वोटर और प्रत्याशी योगेश शुक्ल के व्यक्तिगत वोटों के अलावा ऐसा कुछ नहीं है, जो उसे जीत के आंकडे के आस पास भी ले जा सके। हालांकि कांग्रेस जितने वोट काटेगी, उतने से भाजपा और गठबंधन का गणित जरूर खराब होगा। पर कांग्रेस के पिछडने से यहां लडाई भाजपा और गठबंधन के बीच ही होगी।
फूलपुर में कांटे की लड़ाई
फूलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी केशरी देवी पटेल आंकडों और आंकलन दोनों में पहले नंबर पर हैं। लेकिन यहां गठबंधन प्रत्याशी पंधारी यादव उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। केशरी के पास अपने सजातीय वोटों का ऐसा तिलिस्म है, जिसे पंधारी चाहकर भी भेद नहीं पायेंगे और केशरी के लिये कुर्मी बाहुल्य इस इलाके में जमकर वोट बरसेंगें। सवर्ण वर्गों का पूरा साथ लगभग भाजपा अपने साथ ही लेकर चल रहा है और केशरी के रूप में जमीनी नेता मिलने पर कोई आपत्ति भी सामने नहीं आ रही है। जिससे केशरी को काफी मजबूत स्थिति में देखा जा रहा है। वहीं गठबंधन प्रत्याशी पंधारी के पास यादव और मुस्लिम वोट हैं जो कुर्मी वोटों के बराबर ही हैं। यहां बसपा के मूल वोटर जब गठबंधन प्रत्याशी के लिये वोट करेंगे तो वह सवर्ण वोटों की बाराबरी भी करा देंगे। ऐसे में लडाई दोनों दलों में कांटे की है। फिलहाल यहां कांग्रेस के प्रत्याशी पंकज की स्थिति को कमतर ही आंका जा रहा है। क्योंकि कांग्रेस के लिये इस सीट पर बहुत अधिक ना तो संभावनाएं हैं और ना ही कांग्रेस के बड़े नेताओं ने यहां संभावनाएं बनाने की कोशिश ही की है। इसके अलावा छोटे दलों के नेता सिर्फ वोट कटवा ही साबित होने वाले हैं।
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