धरने पर बैठे छात्रों को मानाने में भावुक हुए इंस्पेक्टर, रोते हुए बोले-'उठ जाओ नहीं तो मै भी वर्दी उतार दूंगा'
छात्रों द्वारा धरना देना उत्तर प्रदेश में एक आम बात है और पुलिस द्वारा उस धरने को खत्म करवाना भी। कई बार छात्र कॉलेज प्रशासन के खिलाफ फीस बढ़ोतरी को लेकर तो कभी उन्हें होने वाली असुविधाओं को लेकर धरने पर बैठ जाते हैं। लेकिन यूपी के प्रयागराज में कुछ छात्र सिविल लाइंस थाने में सोमवार की दोपहर धरने पर बैठ गए। वजह थी हिंदू छात्रावास के पास अपने साथ हुई मारपीट के एक आरोपी का हल्की धाराओं में चालान करना। मामला चर्चा का विषय तो तब बना जब इंस्पेक्टर मौके पर पहुंच कर धरना समाप्त करने को कहने लगे। छात्रों से धरना खत्म करने की अपील करते करते इंस्पेक्टर साहब भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे।

इंस्पेक्टर छात्र नेताओं को मनाने में हुए भावुक
दरअसल, प्रयागराज के सिविल लाइंस में दो दिन पहले हिंदू छात्रावास के पास अपने साथ हुई मारपीट के एक आरोपी का हल्की धाराओं में चालान करने से नाराज छात्र नेता सत्यम कुशवाहा और आदर्श भदौरिया सिविल लाइंस थाने में सोमवार की दोपहर धरने पर बैठ गए। सिविल लाइंस इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह यादव दोनों छात्र नेताओं को पुलिस कार्रवाई का भरोसा दिला रहे थे और धरना समाप्त करने को कह रहे थे। दोनों छात्र नेता अर्धनग्न होकर वहीं थाने के बाहर धरने पर बैठ गए। आरोपियों पर जानलेवा हमले की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करने और गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। इतने में इंस्पेक्टर मौके पर पहुंचे और धरना समाप्त करने को कहने लगे। छात्र नेता आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े थे। इंस्पेक्टर ने कहा तुम लोग धरना समाप्त कर दो नहीं तो हम भी यहीं धरने पर बैठ जाएंगे। इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह यादव जब वर्दी उतारने लगे तो लोगों ने उन्हें रोका। इतने में उनकी आंखों से आंसू निकलने लगा तो छात्र नेता पसीज गए और चेतावनी देकर धरने से उठ गए।

हमला करने वाले भाजपा के नेता
दो दिन पहले हिंदू हॉस्टल के पास कार से बाइक टकरा जाने के बाद कार सवार शुभम पांडेय, संदीप शुक्ला और भाजयुमो के जिला मंत्री शशांक तिवारी ने बाइक सवार सत्यम कुशवाहा और आदर्श भदौरिया को जमकर पीट दिया था। घायल छात्रों का आरोप है कि आरोपियों ने तमंचे की बट से उनके सिर पर गंभीर प्रहार किया और दहशत पैदा करने के उद्देश्य से हवाई फायरिंग भी की। हमला करने वाले भाजपा के नेता बताए जा रहे हैं। पुलिस दबाव में गंभीर धाराओं को खत्म कर हल्की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज किया गया है। छात्रों का कहना है कि हम पुलिस थाने न्याय के उम्मीद से आए थे। पर यहां तो सत्ता पक्ष को पुलिस बचा रही है। हम तब तक आमरण अनशन पर बैठेंगे तब तक हमको न्याय नहीं मिल जाता।
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