यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम से कांग्रेस का इतिहास हटाए जाने पर खड़ा हुआ विवाद, दोबारा जोड़े जाने की मांग
प्रयागराज। यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम से हटाए गए अंशों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, यूपी बोर्ड की ओर से कोरोना संक्रमण के नाम पर 9वीं से 12वीं तक के कोर्स में की गई 30 प्रतिशत कटौती में कांग्रेस का इतिहास हटा दिया गया है। पाठ्यक्रम से हटाए गए अंश के तहत 12वीं नागरिक शास्त्र के कोर्स से स्वतंत्र भारत में राजनीति खंड 'ख' में अध्याय पांच से एक दल के प्रभुत्व का दौर: प्रथम तीन आम चुनाव, राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, कांग्रेस की गठबंधीय प्रकृति शामिल है। इसी क्रम में खंड 'ख' से ही छठें अध्याय से कांग्रेस कार्यप्रणाली की चुनौतियां से लेकर नेहरू के बाद की राजनीतिक परिपाटी, गैर कांग्रेसवाद, 1967 का चुनाव, कांग्रेस का विभाजन एवं पुनर्गठन, कांग्रेस की 1971 के चुनावों में जीत से जुड़ा पूरा अध्याय भी हटाया गया है।
कोर्स से हटाए गए महत्वपूर्ण हिस्से को दोबारा जोड़े जाने की मांग
इसके अलावा कोर्स से भौतिक स्रोतों के आधार पर विभाजन में 1940 का इतिहास एवं राष्ट्रीयता, संप्रदायवाद एवं विभाजन को भी हटाया गया। कांग्रेस ने 12वीं नागरिक शास्त्र के कोर्स से कांग्रेस से जुड़े दो महत्वपूर्ण अध्यायों को हटाने को लेकर विरोध करने का फैसला किया है। पार्टी का कहना है कि केंद्र एवं प्रदेश की सरकार शैक्षिक पाठ्यक्रम से कांग्रेस और आजादी के इतिहास से लेकर देश के निर्माण में कांग्रेस के योगदान को खत्म करना चाहती है, लेकिन इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पार्टी कोर्स से हटाए गए महत्वपूर्ण हिस्से को दोबारा जोड़े जाने तक अपना आंदोलन जारी करेगी।
बोर्ड के सचिव ने कहा- शिकायत पर विचार किया जाएगा
इस बारे में बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने कहा, संशोधित पाठ्यक्रम को लेकर किसी प्रकार की शिकायत होगी तो इस पर विचार किया जाएगा। वहीं, इस बारे में भाजपा सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि सरकार को कोर्स कम करना ही था, ऐसे में अगर कांग्रेस से जुड़े कुछ तथ्य कोर्स से हटा दिए गए हैं तो किसी को कोई एतराज नहीं होना चाहिए। अगर कोई इस मामले को तूल दे रहा है तो वह गलत है। उन्होंने कहा कि हमारे कोर्स में स्वतंत्रता आंदोलन है और यह हमारे कोर्स में शामिल है, जो भावी पीढ़ी के लिए बहुत जरूरी है।
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