योगी सरकार पर हाईकोर्ट सख्त, बलिया में 14 सरकारी वकीलों की नियुक्ति रद्द
Prayagraj news, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से बड़ी खबर है। यहां जिला न्यायालय में नियुक्त 14 अभियोजन अधिकारियों की नियुक्ति रद्द कर दी है। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा था और अभियोजन अधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल उठाये गये थे। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए बलिया जिला न्यायालय में आबद्ध किए गए 14 जिला अभियोजन अधिकारी, अपर जिला अभियोजन अधिकारी और सहायक अभियोजन अधिकारी की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार ने मनमाने तरीके से व विधि विरुद्ध जाकर इन अधिकारियों की नियुक्ति की थी, इसलिये यह नियुक्तियां रद्द किये जाने योग्य हैं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया इन पदों पर योग्य सरकारी वकीलों की नियुक्ति होनी चाहिये, ताकि उनके सहयोग से अदालत जल्दी व अच्छे निर्णय दे सके।
क्या
है
मामला
उत्तर
प्रदेश
में
योगी
सरकार
के
आने
के
बाद
8
दिसंबर
2017
को
बलिया
जिले
में
जिला
अभियोजन
अधिकारी,
अपर
जिला
अभियोजन
अधिकारी
और
सहायक
अभियोजन
अधिकारी
के
पदों
के
लिए
विज्ञापन
निकाला
गया
था।
इन
पदों
पर
नियुक्ति
के
लिये
मानक
भी
तय
किये
गये
तो
मानक
पूरा
करने
वाले
वकीलों
की
नियुक्ति
एक
विधिक
प्रक्रिया
के
तहत
होनी
थी।
नियमानुसार
विज्ञापन
के
सापेक्ष
प्राप्त
आवेदन
को
जिला
जज
के
परामर्श
ने
डीएम
बलिया
ने
चुना
और
कुल
50
नामों
की
संस्तुति
कर
विधि
परामर्शी
कार्यालय
को
नियुक्ति
हेतु
भेज
दिया।
हालांकि
जो
नाम
संस्तुति
के
साथ
भेजे
गये
थे,
उन
नामों
का
वरीयता
न
देकर
अलग
से
19
नामों
की
सूची
विशेष
तौर
पर
मंगाई
गयी
और
उन्ही
19
नामों
में
से
14
वकीलों
की
नियुक्ति
संबंधित
पदों
पर
की
गयी।
इसी
प्रक्रिया
को
एडवोकेट
संतोष
पाण्डेय
ने
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
चैलेंज
किया
था।
जिस
पर
बड़ा
फैसला
सुनाते
हुये
हाईकोर्ट
ने
नियुक्त
किये
गये
सभी
14
वकीलों
की
नियुक्ति
रद्द
कर
दी
है
और
जब
तक
विधि
अनुसार
नयी
नियुक्ति
न
हो
जाये
तब
तक
पुराने
वकीलों
से
अदालत
की
कार्रवाई
पूरी
करने
का
निर्देश
दिया
है।
क्या
हुआ
हाईकोर्ट
में
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
दाखिल
याचिका
पर
न्यायमूर्ति
पीकेएस
बघेल
और
न्यायमूर्ति
पंकज
भाटिया
की
पीठ
ने
सुनवाई
शुरू
की,
तो
कोर्ट
में
बेहतर
न्याय
के
लिए
योग्य
वकीलों
की
जरूरत
और
सरकारी
वकील
के
तौर
पर
नियुक्त
होने
के
लिये
विधिक
प्रक्रिया
आदि
को
मुख्य
विषय
के
तौर
पर
प्रस्तुत
किया
गया।
जब
हाईकोर्ट
में
इस
बात
के
साक्ष्य
और
दलीले
आयी
कि
जिला
जज
बलिया
के
परामर्श
से
डीएम
बलिया
द्वारा
भेजे
गए
51
नामों
में
से
सरकारी
वकील
न
चुनकर
कानून
मंत्री
के
द्वारा
विशेष
नियुक्ति
के
लिये
19
नाम
मंगाये
गये
थे,
तो
हाईकोर्ट
ने
राज्य
सरकार
के
विधि
विभाग
की
कार्यप्रणाली
पर
तीखी
टिप्पणी
करते
हुए
कहा
है
कि
सरकार
में
बैठे
न्यायिक
अधिकारियों
ने
विधि
विरुद्ध
प्रक्रिया
अपनाई
है।
सरकारी
वकीलों
की
नियुक्ति
में
पारदर्शी
और
भेदभाव
रहित
प्रक्रिया
अपनानी
चाहिए।
जो
इन
नियुक्तियों
में
नहीं
की
गयी।
हाईकोर्ट
ने
सुप्रीम
कोर्ट
की
रूलिंग
का
हवाला
देते
हुये
सरकार
को
कहा
कि
सरकार
मनमानी
कार्यपद्धति
नहीं
अपना
सकती
है।
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