इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की साख बचाने के लिए HC की फटकार, कहा- ठोस कदम उठाएं
Prayagraj news, प्रयागराज। टॉप 200 यूनिवर्सिटी की सूची से भी बाहर हो चुकी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी कि गिरती साख को बचाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। कोर्ट में तलब हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है और पठन-पाठन के लिए अनुकूल वातावरण बनाने का सख्त निर्देश दिया है। हाईकोर्ट मौजूदा समय में हाईकोर्ट की कार्य प्रणाली पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि विश्वविद्वालय प्रशासन केवल औपचारिकताएं कर रहा है, जिसके कारण ही यूनिवर्सिटी की साख धूमिल होती चली जा रही है। जरूरत है इस समय कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ठोस और सख्त कदम उठाए, जिसका दूरगामी परिणाम हो। हाईकोर्ट ने नई पीढ़ी के भविष्य पर चिंता जातते हुए, यूनिवर्सिटी कैंपस में खराब माहौल को सीधे निशाने पर रखा और प्रशासन को सख्त निर्देश दिया कि यूनिवर्सिटी का कैंपस अपराधियों से मुक्त होना चाहिए। गौरतलब है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता रोहित शुक्ला की गोली मारकर हत्या के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले को स्वत: संज्ञान लिया है और अब उसी मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने व्यवस्थाओं को सुदृढ करने के लिये सख्ती बरतनी शुरू कर दी है।
हलफनामे
से
असंतुष्ट
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
ने
पिछली
सुनवाई
के
दौरान
यूनिवर्सिटी
प्रशासन
व
जिला
प्रशासन
को
नोटिस
जारी
कर
लिंगदोह
कमेटी
की
रिपोर्ट
व
सुप्रीम
कोर्ट
द्वारा
नियमावली
बनाने
के
आदेश
के
अनुपालन
की
जानकारी
मांगी
थी।
साथ
ही
प्रशासन
को
आदेशित
किया
था
कि
यूनिवर्सिटी
परिसर
को
परिसर
को
अपराध
मुक्त
रखने
के
लिए
सख्त
व
ठोस
कदम
उठाए
और
उसकी
पूरी
रिपोर्ट
कोर्ट
को
सौंपे।
इस
मामले
की
हाईकोर्ट
खुद
ही
मॉनिटरिंग
कर
रहा
है।
जबकि
इस
मामले
की
सुनवाई
मुख्य
न्यायमूर्ति
गोविंद
माथुर
और
न्यायमूर्ति
एसएस
शमशेरी
की
पीठ
कर
रही
है।
वहीं,
यूनिवर्सिटी
प्रशासन
की
ओर
से
हाईकोर्ट
में
जो
रिपोर्ट
दाखिल
की
गयी,
उस
पर
हाईकोर्ट
असंतुष्ट
रहा
और
कोर्ट
ने
कहा
कि
बैठक
और
बैठक
में
चर्चा
से
हालात
नहीं
सुधरेंगे,
उसके
लिये
ठोस
कदम
उठाना
होगा।
हाईकोर्ट
ने
विश्वविद्वालय
प्रशासन
की
बैठकों
पर
सवाल
उठाते
हुए
कहा
कि
मात्र
बैठक
करने
से
बदलाव
नहीं
होने
वाला,
औपचारिकता
छोड़कर,
पूरी
ईमानदारी
से
ठोस
कदम
उठाएं।
5
जुलाई
को
अगली
सुनवाई
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
इस
मामले
की
अगली
सुनवाई
5
जुलाई
को
होगी।
जिसमें
विश्वविद्यालय
प्रशासन
को
छात्रावासों
के
लिये
आये
बजट,
खर्च
का
ब्यौरा
भी
देना
होगा।
हाईकोर्ट
ने
बदहाली
से
गुजर
नहे
छात्रावास,
पुस्तकालय,
बाथरूम
आदि
की
मूलभूत
व्यवस्थाओं
में
बदलाव
के
लिये
सख्त
रुख
अपनाया
है,
जबकि
इसके
साथ
हाईकोर्ट
की
सख्ती
अभी
आगे
भी
बढ़ेगी।
दरअसल
इलाहाबाद
विश्वविद्वालय
में
लगातार
बवाल,
हत्या
और
पठन-पाठन
का
कार्य
निम्न
स्तर
पर
पहुंचने
के
कारण
इलाहाबाद
यूनिवर्सिटी
की
पहले
से
ही
काफी
किरकिरी
हो
रही
है।
जबकि
टॉप
यूनिवर्सिटी
में
दूर-दूर
तक
इलाहाबाद
का
नाम
ना
होने
से
पूरे
छात्रों
ने
गहरी
चिंता
जताई
है।
फिलहाल
हाईकोर्ट
ने
यूनिवर्सिटी
को
लेकर
अपना
रुख
साफ
कर
दिया
है
और
व्यवस्थाओं
को
दुरुस्त
करने
व
कानून
व्यवस्था
को
सुद्ढ
करने
तक
मामले
की
सुनवाई
का
क्रम
जारी
रहने
की
उम्मीद
है।
बदहाली
की
कहानी
सुनवाई
के
दौरान
हाईकोर्ट
ने
उस
वक्त
आश्चर्य
व्यक्त
किया
जब
हाईकोर्ट
में
एसएसएल
छात्रावास
पुरा
छात्र
चेरिटेबिल
एसोसिएशन
की
ओर
से
पेश
अधिवक्ता
ने
कहा
कि
सोसाइटी
विश्वविद्यालय
को
किताबें
और
अन्य
सुविधाएं
देती
है,
मगर
उनका
रखरखाव
तक
नहीं
होता
है।
कयी
सालों
से
लाइब्रेरी
की
स्थित
बदतर
है,
लेकिन
उसकी
मरम्मत
तक
नहीं
हो
रही
है।
छात्रावासों
का
हाल
तो
इतना
खराब
है
कि
पूरे
परिसर
में
गंदगी
और
दीवालों
के
पेंट
तक
उखड
चुके
हैं,
लेकिन
यूनिवर्सिटी
प्रशासन
को
इसकी
फिक्र
नहीं
है।
हालांकि
हाईकोर्ट
को
यूनिवर्सिटी
प्रशासन
की
ओर
से
बताया
गया
कि
कुछ
कारणों
से
मरम्मत
का
काम
पूरा
नहीं
हो
सका
है,
मगर
जल्दी
ही
इसे
पूरा
कर
लिया
जाएगा।
वहीं,
हर
साल
छात्रावास
खाली
न
कराने
व
बवाल
को
लेकर
यूनिवर्सिटी
प्रशासन
ने
जिला
पुलिस
प्रशासन
से
भरपूर
सहयोग
न
मिल
पाने
की
वजह
बताकर
सफाई
दी।
जिस
पर
हाईकोर्ट
ने
जिला
प्रशासन
को
पूर्ण
सहयोग
का
आदेश
दिया
है।