जौहर यूनिवर्सिटी में पुलिस की छापेमारी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
प्रयागराज। मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी में पुलिस की छापेमारी के खिलाफ दाखिल याचिका पर अब योगी सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने इस मामले में यूपी सरकार के साथ ही रामपुर के डीएम व एसएसपी से भी जवाब मांगा है। इन सभी को जवाब दाखिल करने के लिए पांच दिनों की मोहलत दी गई है। बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी। जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने जौहर अली यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है।
बिना
सर्च
वॉरंट
के
मारा
था
जौहर
यूनिवर्सिटी
छापा
याची
के
अधिवक्ता
ने
कोर्ट
को
बताया
कि
बिना
सर्च
वॉरंट
यूनिवर्सिटी
परिसर
में
पुलिस
ने
घुसकर
चांसलर
मोहम्मद
आजम
खान
के
कार्यालय
में
तोड़फोड़
की
और
कर्मचारियों
को
गिरफ्तार
कर
लिया।
पुलिस
की
यह
कार्रवाई
सुप्रीम
कोर्ट
के
दिशा-निर्देश
का
खुला
उल्लंघन
है।
इसके
जवाब
में
राज्य
सरकार
की
ओर
से
दलील
दी
गई
कि
मदरसा
आलिया
से
किताबें
चोरी
किए
जाने
की
एफआईआर
दर्ज
है।
इसी
मामले
की
जांच
व
बरामदगी
के
लिए
यह
कार्रवाई
की
गई।
बताया
कि
यूनिवर्सिटी
के
अंदर
छापेमारी
के
लिए
मजिस्ट्रेट
से
आदेश
लिया
गया
था।
कहीं
भी
कोई
नियम
का
उल्लंघन
नहीं
किया
गया
है।
इस
वजह
से
हुई
है
छापेमारी
मदरसा
आलिया
के
प्रिंसिपल
जुबेद
खां
ने
16
जून
को
एक
एफआईआर
दर्ज
कराई
गई
थी।
जिसमें
उन्होंने
आरोप
लगाया
था
कि
उनके
मदरसे
से
बड़ी
संख्या
में
किताबें
चोरी
हुई
हैं
और
चोरी
की
गई
किताबें
जौहर
यूनिवर्सिटी
की
सेंट्रल
लाइब्रेरी
में
मौजूद
हैं।
पुलिस
ने
इसी
मुकदमे
में
जांच
शुरू
की
तो
पांच
लोगों
को
पूछताछ
के
लिये
हिरासत
में
लिया,
जिससे
कुछ
राज
और
खुले
और
किताबों
की
लोकेशन
की
जानकारी
और
पुख्ता
हो
गयी।
स्थानीय
पुलिस
ने
इसी
आधार
पर
कार्रवाई
के
लिये
उच्चाधिकारियों
से
परमीशन
ली
और
लाइब्रेरी
में
छापेमारी
की।
अभी
तक
करीब
2000
से
ज्यादा
किताबें
पुलिस
ने
बरामद
कर
ली
गयी
हैं।
चोरी
हुई
प्राचीन
किताबों
की
पहचान
भी
शुरू
करा
दी
गयी
है।
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