सुहागरात पर दूल्हे ने जीजा के साथ मिलकर दुल्हन से किया गैंगरेप, मामले में आया नया मोड़
प्रयागराज। सुहागरात के दौरान पति और उसके जीजा द्वारा नववधू से रेप करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। ससुरालियों ने आपसी सुलह का हलफनामा कोर्ट में दाखिल कर दिया और कहा कि वह मुकदमा खत्म करना चाहते हैं। लेकिन, इस याचिका पर हाईकोर्ट में जो कुछ हुआ वह ऐतिहासिक रहा। हाईकोर्ट ने मुकदमे को खत्म करने से इनकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सभ्य समाज में यौन अपराधों के लिए कोई जगह नहीं है और सभ्य समाज के मानक पर यह कत्तई स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह सिर्फ एक महिला ही नहीं समाज के विरूद्ध भी अपराध है। ऐसे में यौन अपराध को समझौते के आधार पर खत्म करने का सवाल ही नहीं उठता है।
क्या है मामला
यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के सिविल लाइन्स क्षेत्र के एक इलाका का है। एक युवती की शादी 6 मार्च को थाना मीरापुर के एक गांव निवासी कलीम के साथ हुई थी। युवती माइके से विदा होकर ससुराल गई और रात में सुहागरात के दौरान उसके साथ इंसानियत को शर्मशार और रिश्तों को कलंकित करने वाली घटना हुई। दहेज में कार और 50 हजार नगद की डिमांड न पूरी होने पर पति कलीम और उसके जीजा दाउद ने बारी बारी से रेप किया। इस दौरान उसके साथ मारपीट भी की गई। हालत बिगड़ जाने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। सूचना पर पहुंचे परिजनों को पीड़िता ने आप बीती बताई तो युवती के भाई ने 10 मार्च को ससुरालियों पर दहेज उत्पीड़न, गैंगरेप व जान से मारने की कोशिश आदि का मुकदमा दर्ज कर दिया।
सजा से बचने के लिए खेल
इस मामले में गिरफ्तारी व सजा के कगार पर खड़े ससुरालियों के विरूद्ध पुलिस ने पूर्व में ही चार्जशीट दाखिल कर दी थी और इस केस में ससुरालियों का सजा पाना भी तय था। लेकिन अचानक से इस मामले में नया मोड़ देखने को मिला। आरोपियों ने सुलह होने का हलफनामा कोर्ट में दाखिल कर दिया और सुलह के आधार पर मुकदमा खत्म करने की मांग की। लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया। जिसके बाद ससुरालियों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई और समझौते के आधार पर मुकदमा खत्म करने की मांग की गयी। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया।
क्या कहा अदालत ने
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि समझौते के आधार पर इस तरह का मुकदमा खत्म नहीं किया जा सकता। क्योंकि यदि ऐसे समाजिक व स्त्री अपराधों के विरुद्ध समझौते की अनुमति दी गई अथवा समझौते के आधार पर मुकदमा खत्म करने का निर्णय हुता तो इसका बहुत गलत संदेश समाज में जायेगा। धनाढ्य और शक्तिशाली लोग इसका फायदा उठायेंगे। ऐसे में आर्थिक तथा सामाजिक रूप से कमजोर लोगों के साथ इस तरह की घटनाएं बढेंगी और ऐसे मामलों में आगे यही प्रक्रिया अपनाकर मुकदमों समझौता व मुकदमे खत्म करने का चलन शुरू हो जायेगा।
ये भी पढ़ें:- झांसी: इंस्पेक्टर ने महिला का बनाया अश्लील वीडियो, वायरल करने का आरोप