यूपी के प्राथमिक स्कूलों में कौन होगा सहायक टीचर 'बीएड' या 'बीटीसी'? अब हाईकोर्ट करेगा फैसला
इलाहाबाद/प्रयागराज। यूपी के प्राथमिक स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर चयनित एक बीएड धारक अभ्यर्थी को सिर्फ इसलिये ज्वाइनिंग नहीं दी जा रही है क्योंकि उसने बीटीसी की जगह बीएड किया हुआ है। इसे लेकर अभ्यर्थी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की तो हाईकोर्ट ने सरकार से इस पर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने जानना चाहा है कि यूपी के प्राथमिक स्कूलों में 'बीएड' या 'बीटीसी' में कौन टीचर बन सकता है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी और यह फैसला हो सकेगा कि आखिरी प्राथमिक विद्यालयों में टीचर कौन बनेगा।
क्या है मामला
यूपी के आगरा जिला स्थित मेसर्स सरस्वती विद्यालय कन्या जूनियर हाई स्कूल की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी। जिसमें बताया गया कि कि याची का चयन प्राथमिक स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर चयन हुआ है। वह बीएड डिग्री धारक है और शिक्षक बनने की योग्यता रखता है। टीचर के पद पर चयन के बाद वित्तीय अनुमोदन के लिए बीएसए के समक्ष उसका प्रस्ताव भेजा गया था। जिसे बीएसए ने अनुमोदित नहीं किया और उसका प्रस्ताव निरस्त करते हुये कहा कि कक्षा एक से पांच तक पढ़ाने के लिए सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की योग्यता बीटीसी है। ऐसे में बीएड डिग्री धारक को नियुक्ति नहीं दी जा सकती है।
हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
बीएसए के आदेश के विरुद्ध इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई, जिस पर न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने सुनवाई शुरू की। हाईकोर्ट में याची की ओर से शिक्षक सेवा नियमावती 1978 के नियम को प्रस्तुत किया गया, जिसमें बताया गया था कि जूनियर हाई स्कूल के अध्यापक पद पर बीएड डिग्री धारक की भी नियुक्ति की जा सकती है। इसी आधार पर याची ने बीएसए के आदेश को रद्द करने व नियुक्ति दिये जाने की मांग की। जबकि इस मामले में शिक्षा परिषद की ओर से बहस के दौरान शिक्षक सेवा नियमावती 1981 पेश की गयी, जिसके द्वारा बताया गया कि 1981 की नियमावली के तहत जूनियर स्कूलों में सहायक अध्यापक के लिये योग्यता बीटीसी है। दो नियमावली के फेर में फंसे अभ्यर्थी के विषय को हाईकोर्ट ने विचारणीय माना और याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
अब हाईकोर्ट करेगा फैसला
यूपी के जूनियर स्कूलों में क्या बीएड डिग्री धारकों को पढ़ाने का मौका मिलेगा, क्या उन्हें नियुक्ति दी जा सकेगी। अब इस फैसले का जवाब हाईकोर्ट ही तय करेगा। फिलहाल अब सरकार के जवाब पर ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। संभावना है कि बीएड की डिग्री को लेकर अलग से नियमावली में प्रावधान किये गये होंगे और बीटीसी के लिये अलग से नियमावली भी बनायी गयी होगी। चूंकि अलग-अलग नियमावली आने से यह समस्या सामने आई है, ऐसे में संशोधित व लागू नियमावली के अवलोकन व जवाब के बाद ही यह तय हो सकेगा कि बीएड डिग्री धारकों का प्राथमिक विद्यालयों में क्या भविष्य होगा। अगर बीएड धारकों को मौका मिला तो यह बेहद ही बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
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