क्या आजम खान खो देंगे सांसद पद? इस बड़ी वजह से रद्द हो सकता है उनका निर्वाचन
प्रयागराज। सपा सांसद आजम खान की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। अब उनके संसद सदस्य के तौर पर निर्वाचन पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पूर्व में जया प्रदा की ओर से दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान को नोटिस जारी की थी और उस नोटिस का जवाब आने के बाद अब हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर तय की है। हालांकि, जिस तरह से आजम खान पर इस समय राहू केतु शनि सब एक साथ मंडरा रहे हैं, उससे आजम खान के माथे की शिकन कुछ ज्यादा ही बढ़ी नजर आ रही हैं।
आजम पर दर्ज हो चुके हैं 80 मुकदमे
रामपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी रही जया प्रदा अपना चुनाव हार गई थीं। रामपुर से मोहम्मद आजम खान सांसद सदस्य निर्वाचित हुए हैं, लेकिन बीते कुछ समय से आजम खान बेहद ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उन पर ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज हो रहे हैं और तकरीबन 80 मुकदमे उनपर दर्ज किए जा चुके हैं, लेकिन अब उनके लिए मुश्किल और बढ़ने वाली है। क्योंकि उनके विरुद्ध दाखिल जया प्रदा की चुनाव याचिका पर 18 सितंबर को सुनवाई होगी। जिसमें आजम खान की वैधता को जांचा जाएगा। संवैधानिक प्रावधान, चुनाव आयोग केे नियमों के तहत अगर आजम खान ने नियमों का पालन नहीं किया है तो उनका निर्वाचन रद्द होना तय माना जा रहा है। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति एसडी सिंह कर रहे हैं।
क्या है आधार
जया प्रदा की ओर से आजम खान के निर्वाचन के विरुद्ध दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि आजम खान जौहर विश्वविद्यालय के कुलपति हैं और कुलपति के पद का लाभ लेते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा है। साथ ही धर्म के नाम पर वोट मांगे और विश्वविद्यालय के नाम पर उन्होंने वोट मांगा है। जिससे उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन किया और उनका आचरण इस पूरे चुनाव के दौरान पूरी तरह से भ्रष्ट रहा। याचिका में मांग की गई है कि आजम खान की सदस्यता को समाप्त किया जाए और उनका लोकसभा चुनाव रद्द किया जाए। फिलहाल, इस याचिका पर सुनवाई के लिए अब 18 सितंबर तारीख तय हुई है। सुनवाई शुरू होने के बाद ही इस मामले पर अदालत का रुख सामने आएगा।
इस वजह से रद्द हो सकता है निर्वाचन
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता एसएन मिश्र बताते हैं कि किसी लाभ के पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने का नियम नहीं है और आजम खान मौलाना मोहम्मद जौहर अली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के पद पर आसीन हैं, जो लाभ का पद माना जा रहा है। ऐसे में इस पद पर रहते हुए उनका चुनाव लड़ना गलत था और इस आधार पर उनका लोकसभा सदस्य का निर्वाचन रद्द किया जा सकता है।
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