पुलवामा शहीद के घर में नहीं है शौचालय, बाहर जाता है परिवार, पिता बोले- सेना पर राजनीति नहीं, हमें विकास दें
Prayagraj news, प्रयागराज। 14 फरवरी 2019 को कभी न भूलने वाला आंतकी हमला हुआ जो भारत को गहरा घाव दे गया। 40 वीर जवान की शहादत से भारत को अपूर्णीय क्षति पहुंची। पूरा देश एकजुट होकर इस पल में परिवार के साथ आया। लेकिन, शहीद सीआरपीएफ जवान महेश कुमार के परिवार सदस्यों को सरकार द्वारा दी गई आर्थिक सहायता से वे असंतुष्ट हैं। बालाकोट(पाकिस्तान) में हुए एयरस्ट्राइक के बारे में दिए गए मरने वाले आंकड़ों पर भी वे उतने ही नाखुश हैं।
शहीद के पिता ने बोली सच्चाई
बता दें कि शहीद महेश कुमार के दो बच्चे हैं जिनका नाम समर(6) और साहिल(5) है। शहीद के परिजन ने कहा कि नेताओं को आर्मी पर राजनीति नहीं करनी चाहिए बल्कि विकास के ऊपर ध्यान देना चाहिए। प्रयागराज-मिर्जापुर हाईवे के पास तुदीहार बादल का पुर्वा गांव में शहीद महेश का अंतिम संस्कार किया गया। परिजन ने कहा कि सारे पार्टियों के नेता और बड़े-बड़े सरकारी अफसरों का आना-जाना एक हफ्ते तक लगा रहा। लेकिन, जैसे-जैसे दिन गुजरते गए लोगों का आना कम होता गया। शहीद के पिता राजकुमार कहते हैं कि हम दिन-रात खेतों में व्यस्त रहते हैं क्योंकि हमें परिवार के कई लोगों का भरण-पोषण करना है। हमें अभी भी महेश के जाने का बहुत दुख है, परिवार को उनकी कमी खलती है। पूरे गांव को महेश पर गर्व है लेकिन शहीदों और आर्मी पर हो रही राजनीति से बहुत दुखी हैं। शहीदों और जाबाज सैनिकों के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं लेकिन, उनके परिवार और बच्चों के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया जा रहा है।
घर शौचालय का किया था वादा लेकिन, नहीं हुआ पूरा
राजकुमार ने खेद जताते हुए कहा कि हमें सरकार द्वारा चेक मिल गया है लेकिन, मेरे छोटे भाई अमरेश को नौकरी देने का वादा किया था जो अभी तक पूरा नहीं हुआ। मैं डीएम के पास गया था तो उन्होंने चुनाव के बाद मिलने की बात कही। शहीद बेटे की याद में गांव के बाहर एक दरवाजा लगाने का वादा किया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। घर में शौचालय बनवाने का वादा भी किया था लेकिन अभी तक कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया। आज भी परिवार वाले बाहर शौच के लिए जाते हैं।
'कोई मुआवजा शहीद की शहादत की भरपाई नहीं कर सकता'
राजकुमार बोले, 'मुझे खेती के लिए कुछ जमीन देने का वादा किया गया था लेकिन लेखपाल कहते हैं कि अभी कोई ऐसी जमीन उपलब्ध नहीं है।' उन्होंने कहा कि कोई भी मुआवजा या आर्थिक मदद शहीद के जान की भरपाई नहीं कर सकता जो देश के लिए अपनी जान देते हैं, उन्हें उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। उन्होंने आखिर में कहा कि राजनीति करने के बजाय, नेताओं को देश की सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए और शहीद जवानों के गांवों में विकास, रोजगार, बुनियादी जरूरतें और शिक्षा की सही व्यवस्था लाना चाहिए