'बिहार में का बा' वाली नेहा सिंह राठौर इविवि पर गाना गाकर विवादों में घिरी, क्या आपने सुना है?
प्रयागराज। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 'बिहार में का बा' गीत गाकर चर्चा में आईं लोकगायिका नेहा सिंह राठौर विवादों में घिर गया है। दरअसल, नेहा सिंह ने अपने नए गाने में पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) पर आधारहीन आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं, नेहा ने छात्रसंघ पर भी तमाम मनगढ़ंत आरोप जड़ने की कोशिश की है। इस गाने पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने काफी नाराजगी जताई है। साथ ही सोशल मीडिया पर अब उन्हें विरोध और लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। तो वहीं, गुस्साए छात्राओं ने नेहा के ट्वीटर और फेसबुक अकाउंट को रिपोर्ट करना शुरू कर दिया है।
बता दें कि नेहा सिंह राठौर ने अपने गीत में कुछ ऐसे बोल का प्रयोग किया है, 'यूनिवर्सिटी में लै एडमिशन, लड़िहैं छात्रसंघ इलेक्शन, पूरे प्रयागराज में गजबै के भौकाल कइले हो, गरदा कमाल कइले हो...हॉस्टल में कब्जाके कमरा, बबुवा देंय चुंगी पे पहरा, कोचिंग वालेन खातिर, भैया काल भइले हो, गरदा कमाल कइले हो...।' नेहा ने अपने इस गीत में इलाहाबाद के छात्रों को बम, कट्टा, झगड़ा कर के कर्नल गंज से कटरा तक परेशान करने वाला बताया गया है। इतना ही नहीं, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने की वजह सिर्फ चुनाव लड़ना ही गायिका की ओर से बताया। नेहा को गाने के विरोध में अब सोशल मीडिया पर लोगों के गुस्से का सामना भी करना पड़ा रहा है। तो वहीं, इस लोकगीत को कुछ छात्रों ने शेयर कर अपना समर्थन भी दिया है।
लइके युनिवर्सिटी में एडमीशन
— Neha Singh Rathore (@NehaRathorSongs) November 23, 2020
लड़िहें छात्रसंघ के इलेक्शन...(भाग1)#धरोहर #छात्र_गीत #NSR pic.twitter.com/LMKVDfci1S
गाने के विरोध में जब उन्हें फेसबुक पर लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा तो पहले तो उन्होंने मदद की गुहार लगाई। उन्होंने लिखा कि आपके सहयोग की जरूरत है। कुछ लोग इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर लिखे और गाए गए मेरे गीत के चलते मेरी पोस्ट को रिपोर्ट कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने एक के बाद एक तीन ट्वीट किए है, जिसमें लिखा है, 'जिस तरह से राजनीतिज्ञों की आलोचना को संविधान की आलोचना नहीं माना जा सकता। उसी तरह से विश्वविद्यालय के मठाधीशों की आलोचना को विश्वविद्यालय की आलोचना नहीं समझा जाना चाहिए। बाकी आलोचना से बाहर तो हमारा संविधान भी नहीं है।'
अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, 'आपको इतना भावुक होने की आवश्यकता नहीं है। क्यों बात-बात पर आहत हो जाते हैं? जिस इलाहाबाद विश्वविद्यालय की संस्कृति को अपमानित करने का आरोप आप मुझपर लगा रहे हैं, वो निश्चित रूप से महान हुआ करता था, विश्वविद्यालय को 'ऑक्सफ़ोर्ड ऑफ ईस्ट' भी कहा जाता था; पर अब ऐसा है क्या?।' 'एक ऐतिहासिक बुलंद इमारत में डिग्री कॉलेज बनकर रह गया है इलाहाबाद विश्वविद्यालय... और इसके जिम्मेदार हैं कुछ ऐसे 'समझदार' लोग, जो बिना बात, बात-बात पर आहत होने का स्वांग करते हैं, और विश्वविद्यालय के मूल्यों को नष्ट करते हैं।' University stands for universal ideas के मूल को भूलकर, हर शाखा के एक वृक्ष बनने की क्षमता की काट-छांट करने के बाद अगर आप उम्मीद करते हैं कि ये प्यारा विश्वविद्यालय अपनी खोई हुई गरिमा वापस पा सकेगा, तो भरोसा कीजिये, आप गलत सोच रहे हैं।