चिन्मयानंद केस: पीड़िता को हाईकोर्ट से लगा झटका, SIT जांच पर उठाई गई आपत्तियों को कोर्ट ने किया खारिज
प्रयागराज। पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली पीड़ित छात्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने पीड़िता द्वारा थाना लोधी रोड, नई दिल्ली में की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने छात्रा द्वारा एसआईटी जांच पर उठाई गई आपत्तियों को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने माना कि एजेंसी द्वारा की गई जांच की दिशा सही है।
कोर्ट ने पीड़िता अश्लील वीडियो और तस्वीर की अलग से जांच कराने की मांग को भी निराधार माना। साथ ही एसआईटी द्वारा पीड़िता के परिवार के उत्पीड़न के आरोपों को भी तथ्यात्मक नहीं माना है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लापता छात्रा केस की मॉनीटरिंग के लिए गठित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। हाईकोर्ट के ही आदेश के तहत इस मामले की सुनवाई अब लखनऊ की अदालत में की जा रही है।
यह
कहा
गया
अर्जी
में
पीड़िता
की
तरफ
से
हाईकोर्ट
में
अर्जी
दी
गई,
जिसमें
मांग
की
गई
कि
5
सितंबर
2019
को
लोधी
रोड
में
दर्ज
शिकायत
की
अलग
से
एफआईआर
दर्ज
विवेचना
की
जाए
और
पक्षपात
न
कर
निष्पक्ष
विवेचना
की
जाए।
एक
अर्जी
में
पीड़िता
ने
एसआईटी
पर
अपने
परिवार
के
उत्पीड़न
का
आरोप
लगाया
और
एसआईटी
टीम
के
लोगों
के
खिलाफ
कार्रवाई
की
मांग
की।
यह
है
मामला
गौरतलब
है
कि
स्वामी
चिन्मयानंद
को
यौन
शोषण
के
एक
मामले
में
3
फरवरी
को
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
ने
जमानत
दे
दी
थी।
इसके
खिलाफ
पीड़िता
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
दाखिल
की
है।
केंद्रीय
गृह
राज्यमंत्री
रहे
चिन्मयानंद
पर
एसएस
लॉ
कॉलेज
की
छात्रा
ने
दुष्कर्म
का
आरोप
लगाया
है।
मामले
में
चिन्मयानंद
उत्तर
प्रदेश
की
शाहजहांपुर
जिला
जेल
में
बंद
थे।
इससे
पहले
चिन्मयानंद
प्रकरण
से
जुड़े
मामले
की
सुनवाई
23
जनवरी
को
हुई
थी।
जस्टिस
मनोज
मिश्र
और
जस्टिस
दीपक
वर्मा
की
पीठ
ने
मामले
को
सुना
था।
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