प्रयागराज: मुरली मनोहर जोशी बंगला 'अंगीरस' बिकते समय हुए भावुक, मिली इतनी कीमत
प्रयागराज। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी का प्रयागराज से छह दशक पुराना नाता टूट सा गया है। उन्होंने प्रयागराज में स्थित अपना बंगला 'अंगीरस' 5.70 करोड़ रुपये में अपने पड़ोसी डॉ. आनंद मिश्रा को बेच दिया है। बुधवार को ही इस बंगले की रजिस्ट्री का पूरा कार्यक्रम संपन्न हुआ और उनके घर पर ही लिखा पढ़ी की कार्यवाही को पूरा किया गया। हालांकि अपना बंगला बेचने के दौरान मुरली मनोहर जोशी काफी भावुक नजर आए।
'अंगीरस' वही बंगला है जो इलाहाबाद लोकसभा में उनकी राजनीतिक जीवन और संघर्षों की कहानी खुद ही कहता था। प्रयागराज के सबसे खास इलाकों में शुमार टैगोर टाउन में यह बंगला आज भी जोशी जी की याद और उनके इस शहर से जुड़ाव की कहानी सुनाता रहता है। इसी बंगले पर भाजपा के दिग्गजों का जमावड़ा होता था और हजारों लोग मदद की आस में पहुंचा करते थे। लेकिन, अब यह बंगला बिक गया है। जोशी जी का इस बंगले के साथ प्रयागराज शहर से सीधा जुड़ाव भी खत्म हो गये। हालांकि उनके बंगला बेंचने के पीछे की वजह अभी सामने नहीं आ सकी है। उन्होंने यह बंगला 5 करोड़ 70 लाख में अपने पड़ोसी डॉ. आनंद मिश्रा और उनके भाई अनुपम मिश्रा के साथ ही दो अन्य लोगों को बेच दिया है। छह दशक पुराने बंगले को खरीदने वाले डॉ. आनंद मिश्रा इस बंगले से अपनी बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं।
कैसे
मिला
था
बंगला
मुरली
मनोहर
जोशी
के
'अंगीरस'
नाम
के
इस
बंगले
की
कहानी
भी
बेहद
ही
दिलचस्प
है।
जो
65
साल
पहले
शुरू
हुइ्र
थी।
दरअसल
कुछ
दशक
पहले
यह
बंगला
सरकारी
था
और
इलाहाबाद
यूनिवर्सिटी
के
प्रोफेसर
के.
बनर्जी
को
एलॉट
किया
गया
था।
1954
में
प्रो.
के.
बनर्जी
वापस
कोलकाता
जाने
लगे
तो
इस
बंगले
को
जोशी
जी
के
नाम
एलाट
करने
का
क्रम
शुरू
हुआ।
काफी
दबाव
में
जिला
प्रशासन
ने
इस
बंगले
को
जोशी
जी
के
नाम
एलाट
कर
दिया
और
किराया
देकर
वह
इसमे
रहने
लगे।
कालांतर
में
सरकार
ने
आवंटियों
को
घर
बेचे
तो
डॉ.
जोशी
ने
इसे
खरीद
लिया।
1993
में
जोशी
जी
ने
इस
बंगले
के
पुराने
रूप
को
बदलने
का
काम
शुरू
किया
और
नये
मॉडल
के
अनुसार
इस
बंगाले
को
आकर
दिया
और
इस
बंगले
का
नाम
अंगीरस
रखा।
अंगीरस
नाम
रखने
के
पीछे
जोशी
जी
एक
पौराणिक
पात्र
का
जिक्र
हमेशा
किया
करते
थे,
वह
बताते
थे
कि
ब्रह्मा
के
मानस
पुत्र
अंगिरा
थे
जो
गुणों
में
ब्रह्मा
के
समान
थे,
उन्हें
से
प्रभावित
होकर
ही
और
उनके
नाम
पर
ही
बंगले
का
नाम
अंगीरस
रखा
था।
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