6110 सहायक अध्यापक पदों की नियुक्ति पर फंसी योगी सरकार, RTI ने खोली पोल
इलाहाबाद/प्रयागराज। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी जानकारी के आधार पर सूबे की योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 72825 सहायक अध्यापक भर्ती मामले में 6110 पदों को लेकर चल रहे विवाद में अलग-अलग जवाब देकर सरकार अब अपनी ही किरकिरी करा रही है। दरअसल पहले तो योगी सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि 72825 पदों वाली सहायक अध्यापक भर्ती में शेष बचे 6110 पदों को 68500 भर्ती में जोड़कर नियुक्ति कर ली है। लेकिन, जब अभ्यर्थियों ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो विभाग ने बताया कि 6110 पदों को 68500 भर्ती में शामिल नहीं किया गया है।
एक ही मामले को लेकर सरकार के दो अलग-अलग बयान आने को लेकर अभ्यर्थियों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह हाईकोर्ट को गुमराह कर रही है और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुये योगी सरकार से इस पर जवाब मांगा है। इस याचिका पर न्यायमूर्ति नीरज तिवारी सुनवाई कर रहे हैं और उन्होंने अगली सुनवाई 18 सितंबर तय की है।
क्या
है
मामला
उत्तर
प्रदेश
में
72825
पदों
पर
सहायक
अध्यापक
भर्ती
जब
शुरू
हुई
थी।
6110
पदों
पर
भर्ती
नहीं
की
थी।
इस
पर
चयनित
न
होने
वाले
अभ्यर्थी
सुप्रीम
कोर्ट
पहुंच
गए
और
सरकार
को
घेरा
तो
राज्य
सरकार
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
हलफनामा
दिया
कि
72825
सहायक
अध्यापक
भर्ती
में
बचे
रह
गए
6110
पदों
पर
शीघ्र
ही
नियुक्ति
कर
ली
जाएगी।
इस
आधार
पर
अभ्यर्थियों
की
याचिका
निस्तारित
कर
दी
गयी
थी।
नहीं
हुई
नियुक्ति
सुप्रीम
कोर्ट
से
आदेश
मिलने
के
बाद
भी
जब
सरकार
की
ओर
से
बचे
पदों
पर
नियुक्ति
नहीं
हुई
तो
अभ्यर्थियों
ने
कोर्ट
में
अवमानना
याचिका
दाखिल
की।
जिस
पर
कोर्ट
के
दोबारा
निर्देश
दिया
तो
अपर
सचिव
ने
अभ्यर्थियों
का
प्रत्यावेदन
स्वीकार
कर
लिया
और
इस
आधार
पर
निस्तारित
कर
दिया
कि
6110
पदों
को
68500
सहायक
अध्यापक
भर्ती
में
शामिल
कर
नियुक्तियां
कर
ली
गई
हैं।
आरटीआई
ने
खोली
पोल
अभ्यर्थियों
ने
6110
पदों
को
68500
सहायक
अध्यापक
भर्ती
में
शामिल
को
लेकर
सूचना
के
अधिकार
के
तहत
एससीआरटी
से
जानकारी
मांगी
और
फिर
एससीआरटी
से
चौकाने
वाली
जानकारी
मिली।
एससीआरटी
की
ओर
से
बताया
गया
कि
72825
सहायक
अध्यापक
भर्ती
में
बचे
रह
गए
6110
पदों
पर
नियुक्ति
नहीं
हुई
है
और
6110
पदों
को
68
हजार
भर्ती
में
शामिल
नहीं
किया
गया
है।
इसी
आधार
पर
अभ्यर्थी
फिर
से
हाईकोर्ट
पहुंचे
और
सरकार
द्वारा
कोर्ट
को
गुमराह
करने
व
वाओं
के
भविष्य
से
खिलवाड़
करने
का
आरोप
लगाया।
जिस
पर
अब
सरकार
से
हाईकोर्ट
ने
जवाब
मांगा
है।