इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए मुन्ना बजरंगी हत्याकांड मामले में CBI जांच के आदेश
प्रयागराज। 9 जुलाई, 2018 को बागपत जिला जेल में पूर्वांचल के कुख्यात डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। अब इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए है। दरअसल, 28 अगस्त को मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने सीबीआई से मामले की जांच करने की याचिका दाखिल की थी। याचिका में राजनीतिक षड्यंत्र के तहत मुन्ना बजरंगी की हत्या का आरोप लगाया गया था।
सुनील राठी को बनाया गया था आरोपी
मुन्ना बजरंगी हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्रा की डिवीजन बेंच ने 25 फरवरी को सीबीआई जांच के आदेश दिया है। बता दें मुन्ना बजरंगी की पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी। उसे झांसी से बागपत लाया गया था। पेशी से पहले ही जेल के अंदर उसे गोली मार दी गई। मामले में 7 लाख का इनामी बदमाश सुपारी किलर रह चुका सुनील राठी को मुन्ना बजरंगी की हत्या में आरोपी बनाया गया था। सुनील राठी उसी जेल में निरुद्ध था।
पिता बनाना चाहते थे बड़ा आदमी
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जन्में मुन्ना को उसके पिता बड़ा आदमी बनाना चाहते थे। उसके पिता का सपना था कि मुन्ना पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने, लेकिन मुन्ना के सिर पर कोई और ही भूत सवार था। मुन्ना तो फिल्मों की तरह बड़ा गैंगस्टर बनना चाहता था। इसलिए मुन्ना ने पांचवी के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी और गैंगस्टर की दुनिया में जानें वाले शौक पाल लिए।
बड़ा गैंगस्टर बनना चाहता था मुन्ना
मुन्ना को फिल्मों की तरह बड़ा गैंगस्टर बनना था। उसे हथियार रखने का भी शौक चढ़ गया था। जुर्म की दुनिया में जाने के शौक के चलते 17 साल की उम्र में ही उसपर पहला मुकदमा दर्ज हो गया था। उसके खिलाफ जौनपुर के सुरेही थाना में मारपीट और अवैध हथियार रखने का केस दर्ज किया गया। अपने पहले मुकदमे के बाद मुन्ना इस अंधेरी दुनिया में धंसता ही चला गया। अपराध की दुनिया में अपना नाम बनाने के लिए मुन्ना जौनपुर के स्थानीय दबंग गजराज सिंह के साथ हो गया। उसके संरक्षण में मुन्ना जुर्म की दुनिया में आगे बढ़ने लगा।
बढ़ता गया मुन्ना का दबदबा
उसने 1984 में पहली हत्या को अंजाम दिया। मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या की थी। मुन्ना पर गजराज सिंह का असर बढ़ता गया और उसी के इशारे पर उसने भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या कर दी थी। रामचंद्र सिंह की हत्या के बाद पूर्वांचल में मुन्ना का खौफ हो गया। इसके बाद से उसपर कई लोगों की हत्याएं के आरोप लगे। 90 के दशक में पूर्वांचल में अपनी दबंगई बढ़ाने के लिए वो माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी से जुड़ गया था। कहा जाता है की 20 साल के अपने आपराधिक जीवन में मुन्ना पर 40 हत्याएं के आरोप हैं। इसके अलावा उसपर कई अन्य केस भी दर्ज हैं।