योगी सरकार को झटका, अल्पसंख्यकों को 50 फीसदी सीटों पर ही दाखिले का शासनादेश रद्द
Prayagraj news, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर योगी सरकार को झटका देते हुए अल्पसंख्यक कॉलेजों के लिये जारी किये गये शासनादेश को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने योगी सरकार के उस फैसले को पलट दिया है, जिसके तहत सरकार ने यह व्यवस्था की थी कि अल्पसंख्यक कॉलेज सिर्फ 50 प्रतिशत सीटें ही अल्पसंख्यक समुदाय से भर सकेंगे। बता दें कि योगी सरकार ने बीते वर्ष 26 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत यह व्यवस्था की गयी थी कि अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान कुल सीटों की आधी यानी 50 प्रतिशत सीटों पर ही अल्पसंख्यक समुदाय के स्टूडेंट्स का दाखिला किया जा सकेगा। सरकार के इसी फैसले को अल्पसंख्यक संस्थानों द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया था।
क्या थी राज्य सरकार की दलील
इलाहाबाद हाईकोर्ट में माइनॉरटी एजूकेशनल इंस्टीट्यूशंस वेलफेयर एसोसिएशन की ओर दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने सुनवाई शुरू की तो राज्य सरकार की ओर से दलील दी गयी कि अल्पसंख्यकों के हितों के लिऐ ही यह नियम बनाया गया था ताकि कम से कम 50 प्रतिशत सीटें अल्पसंख्यक समुदाय के अभ्यर्थियों से ही भरी जायें और बाकी सीटों पर दूसरे समुदाय के लोगों को दाखिला दिया जा सके।
याची की ओर से क्या कहा गया
वहीं, याची की ओर से कोर्ट को बताया गया कि संविधान ने इस बावत व्यवस्था की है कि अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षण संस्थान को विशेष सुविधा के तहत इस तरह के आदेश से नहीं बांधा जा सकता। अल्पसंख्यक समुदाय की सीटों पर दूसरे समुदाय के लोगों को दाखिला देने से उनका हित प्रभावित होगा।
हाईकोर्ट ने कहा- आदेश सही नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान संविधान में उल्लेखित धाराओं का जिक्र करते हुये कहा कि संविधान में अल्पसंख्यक कॉलेजों के लिऐ विशेष प्रावधान किये गये हैं। इस फैसलों को देखकर लगता है कि राज्य सरकार ने आदेश जारी करने से पहले उन विशेष प्रावधानों का अवलोकन नहीं किया है। चूंकि संवैधानिक दायरे से बाहर का यह आदेश अल्पसंख्यक समुदाय के हितों को प्रभावित करता है, उनके मूल अधिकार को सापेक्ष नहीं है, इसलिये इसे लागू नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने एरम कॉलेज मामले का उदाहरण देते हुये यह भी स्पष्ट किया कि अल्पसंख्यक संस्थानों को अन्य समुदाय के अभ्यर्थियों के दाखिले से रोका भी नहीं जा सकता है। फिलहाल इस आदेश के बाद अल्पसंख्यक संस्थान के उपर यह निर्णय होगा कि वह अपने संस्थान में दूसरे समुदाय के लोगों को दाखिला देते हैं या नहीं।
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