डाक विभाग ने समय पर नहीं पहुंचाई कॉपी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाया 25 हजार का हर्जाना
Prayagraj news, प्रयागराज। अक्सर लोग देर से चिट्ठी मिलने या किसी आवश्यक डाक के देरी से पहुंचने पर नाराज होते हैं, डाकिया व विभाग पर भुनभुना कर अपना गुस्सा भी जाहिर कर देते हैं, लेकिन सरकारी काम समझ कर सब बर्दाश्त कर लेते हैं। लेकिन एक ऐसे ही मामले में डाक विभाग को लेने के देने पड़ गये हैं। समय पर डाक न पहुंचाने से नाराज एक छात्र ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी, जिस पर हाईकोर्ट ने डाक विभाग के महाप्रबंधक पर 25 हजार का जुर्माना ठोक दिया और उसे याची को देने का आदेश दिया है।
मामला उत्तर प्रदेश के हापुड जिले का है और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से जुडा है। पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में पास एक प्रतियोगी ने मुख्य परीक्षा के लिये आवेदन कर हार्ड कॉपी आयोग के प्रयागराज स्थित कार्यालय भेजी। लेकिन डाक विभाग ने तय समय सीमा के अंदर डाक नहीं पहुंचायी। जिसके बाद प्रतियोगी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुये डाक विभाग के महाप्रबंधक पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है।
क्या है मामला
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोजग द्वारा आयाजित पीसीएस जे परीक्षा में शामिल हापुड जिले की सेतु सिंह ने प्रारंभिक परीक्षा पास और मुख्य परीक्षा के लिये उसने वेबसाइट से आनलाइन आवेदन कर दिया। आवेदन की हार्ड कापी 28 जनवरी तक आयोग के दफ्तर पहुंचनी थी, जिसके लिये अभ्यर्थी ने आवेदन का प्रिंट आउट व अपने अभिलेखों की कापी डाक के माध्यम से प्रयागराज स्थित आयोग के मुख्यालय पर भेजी। लेकिन डाग विभाग ने प्रतियोगी की डाक 29 जनवरी को दिन में 11 बजे पहुंचायी। चूंकी तय समय सीमा के अंदर डाक नहीं पहुंची, इसलिऐ आयोग ने अभ्यर्थी के आवेदन को अपूर्ण माना और उसे मुख्य परीक्षा के लिऐ अयोग्य करार देते हुऐ एकमिट कार्ड ही नहीं जारी किया। इधर अभ्यर्थी लिखित परीक्षा के लिये एडमिट कार्ड का इंतजार करता रहा, लेकिन जब एडमिट कार्ड नहीं जारी हुआ तो उसने आयोग के दफ्तर में पूछताछ की। पता चला कि उसने तो आवेदन की कापी ही नहीं भेजी थी, जिसके कारण उसे परीक्षा में बैठने के लिये एडमिट कार्ड जारी नहीं किया गया।
डाक विभाग की निकली गलती
परेशान छात्रा सेतु सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और कोर्ट से कहा कि वह लोकसेवा आयोग को आदेशित करे कि उसका आवेदन स्वीकार कर उसे परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाये। क्योंकि इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी, डाक विभाग ने डाक देरी से पहुंचायी है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुये डाक विभाग से अभ्यर्थी का पूरा ब्यौरा तलब किया तो पता चला कि डाक विभाग ने ही लापरवाही की है। अभ्यर्थी का डाक तो समय से पहुंचना था, लेकिन विभाग की लापरवाही से वह देरी से पहुंचाया गया। इस पर हाईकोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार करते हुये डाक विभाग के महप्रबंधक पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। साथ ही डाक को देरी से पहुंचाने पर एक हजार रूपये अलग से मुआवजे में बढाकर याचि को दो माह के अंदर देने को कहा।
पर खारिज हुई याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल इस याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल व न्यायमूर्ति एसडी सिंह की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुये डाक विभाग को सख्त चेतावनी दी और कहाकि ऐसी गलती का खामियाजा किसी छात्र को भुगतना कत्तई सही नहीं है। हाईकोर्ट ने लोकसेवा आयोग को भी हिदायत देते हुये कहा कि अगर समय से भेजी गयी डाक देरी से मिले तो आयोग को भी कुछ अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिये। कोर्ट ने आयोग को इस विषय पर नियम बनाने की सलाह दी है। हालांकि कोर्ट ने अभ्यर्थी की आवेदन स्वीकार करने वाली मांग को नहीं माना और याचिका खारिज करते हुये कहाकि इसमे सीधे तौर पर गलती आयोग की नहीं है, डाक पहुंचाने वाले की गलती थी क्योंकि वह याची के एजेंट के तौर पर काम कर रहा था। आयोग को तो सिर्फ डाक प्राप्त करनी थी। वह जिस भी समय पहुंचती आयोग उसे प्राप्त ही करता।
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