'राम की जन्मभूमि' के प्रड्यूसर, डायरेक्टर, यूट्यूब और गूगल को नोटिस, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
Prayagraj news, प्रयागराज। बॉलीवुड की अपकमिंग फिल्म 'राम की जन्मभूमि' की रिलीज का मामला एक बार फिर न्यायालय में पहुंच चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिल्म की रिलीज रोकने की कई याचिका दाखिल की गयी है। जिस पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट ने फिल्म के निर्माता वसीम रिजवी, निर्देशक सुनोज मिश्र, यू-ट्यूब, स्पेस मुंबई, फ्यूचर कम्युनिकेशन इंडिया मुंबई, गूगल इंडिया, मुंबई सेंट्रल फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी को नोटिस जारी किया है। याचिका में इस फिल्म को यू/ए का प्रमाण पत्र दिये जाने पर भी आपत्ति दर्ज की गयी है। जिस पर हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर सरकार समेत फिल्म से जुड़े लोगों से जवाब मांगा है।
गौरतलब है कि राम की जन्मभूमि फिल्म की रिलीज को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है और लगातार इसकी रिलीज डेट की तारीखें आगे बढ़ाई जा रही है। इस फिल्म के कुछ संवाद व सीन पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने गहरी आपत्ति जताई है और कहा है कि इस फिल्म के रिलील होने से संप्रदायिक माहौल बिगड़ जायेगा।
डबल
बेंच
में
सुनवाई
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
हुसैन
अख्तर
समेत
कयी
लोगों
ने
फिल्म
राम
की
जन्मभूमि
फिल्म
रोकने
के
लिऐ
याचिका
दाखिल
की
है
साथ
ही
फिल्म
को
यू/ए
का
प्रमाण
पत्र
दिये
जाने
पर
सवाल
उठाये
हैं।
जिसकी
सुनवाई
न्यायमूर्ति
शशिकांत
गुप्ता
तथा
न्यायमूर्ति
पंकज
भाटिया
की
खंडपीठ
कर
रही
है।
याचिका
में
कोर्ट
को
बताया
गया
है
कि
फिल्म
में
दिखाये
गये
सीन
और
कलाकारों
द्वारा
बोले
गये
डॉयलाग
बेहद
ही
भड़काऊ
है
और
अगर
यह
फिल्म
रिलीज
होकर
सीनेमा
घरों
में
आती
है
तो
इससे
सांप्रदायिक
सौहार्द्र
बिगड़
सकता
है।
याचिका
में
फिल्म
को
मुस्लिम
समुदाय
की
आस्था
से
खिलवाड
बताते
हुये
कानून
व्यवस्था
से
जोडा
गया
है
और
दलील
दी
गयी
है
कि
यह
फिल्म
समाज
में
धर्मनिरपेक्षता
पर
चोट
कर
रही
है
और
दो
समुदायों
के
बीच
शांति
व्यवस्था
खत्म
करने
का
प्रयास
है।
जुलाई
में
होगी
सुनवाई
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
सरकार
की
ओर
से
भी
पक्ष
रखा
गया
और
हाईकोर्ट
को
बताया
गया
कि
फिल्म
को
यू/ए
का
प्रमाण
पत्र
एक
प्रक्रिया
के
तहत
पूरा
किया
गया
है।
इसके
अलावा
यह
मामला
दिल्ली
हाईकोर्ट
भी
पहुंचा
था,
जिसके
बाद
हाईकोर्ट
के
निर्देश
पर
सेंसर
बोर्ड
की
कमेटी
ने
फिल्म
की
जांच
की
थी
और
जांच
के
बाद
ही
फिल्म
को
यू/ए
का
प्रमाण
दिया
गया
है।
सरकार
ने
उच्च
न्यायालय
को
यह
भी
बताया
कि
जिन
संवाद
व
दृश्यों
पर
आपत्ति
थी,
वह
हटाये
गये
हैं।
फिल्म
के
जितने
भी
विवादित
अंश
थे
वह
अब
नहीं
दिखेंगे।
हालांकि
सरकार
के
इस
जवाब
पर
हाईकोर्ट
तो
संतुष्ट
रहा,
लेकिन
जब
याचिकाकर्ताओं
ने
दलील
दी
की
उन्हे
नहीं
पता
कि
कौन
से
सीन
व
संवाद
काटे
गये
तो
मामले
में
हाईकोर्ट
ने
इसे
आधी
अधूरी
जानकारी
मानकर
फिल्म
से
जुड़े
पक्षों
को
नोटिस
जारी
कर
दी
और
6
सप्ताह
के
अंदर
जवाब
दाखिल
करने
को
कहा
है।
इस
मामले
पर
अगली
सुनवाई
जुलाई
माह
में
होगी।