41610 सिपाही भर्ती में सामान्य वर्ग की सीटों पर कर दी 2134 OBC महिलाओं की भर्ती, अब HC में पहुंचा मामला
प्रयागराज/इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा 2013 में शुरू की गयी 41,610 कांस्टेबल भर्ती से विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भर्ती में गलत तरीके से क्षैतिज आरक्षण लागू करने का मामला सामने आया है और हाईकोर्ट ने इसे लेकर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। मामला जनरल वर्ग की सीटों पर ओबीसी वर्ग की महिलाओं को नियुक्ति देने का है। जिसमें आरोप है कि जनरल की 20 प्रतिशत सीटों का कोटा पूरा करने के लिए 2134 ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की महिलाओं की इन पर नियुक्ति कर दी गई। इसके पीछे बोर्ड ने तर्क दिया था कि जनरल वर्ग में महिला अभ्यर्थी नहीं थी इसलिए नियुक्ति की गई।
दोबारा
पहुंचा
है
मामला
याद
दिला
दें
क
इससे
पहले
भी
यह
मामला
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
में
पहुंचा
था।
तब
1997
पद
पर
सामान्य
अभ्यर्थियों
को
नियुक्ति
न
दिये
जाने
पर
हाईकोर्ट
ने
योगी
सरकार
को
नोटिस
जारी
किया
था।
बाद
में
कोर्ट
द्वारा
आरक्षित
कोटे
की
महिलाओं
की
नियुक्ति
रद्द
करने
के
बाद
भी
सामान्य
वर्ग
के
अभ्यर्थियों
को
नियुक्ति
देने
को
कहा
था।
लेकिन
बोर्ड
ने
नियुक्ति
नहीं
दी
थी।
फिलहाल इस मामले में अब बड़ा बदलाव होना तय है, क्योंकि भर्ती बोर्ड ने क्षैतिज आरक्षण का गलत तरीके से इस्तेमाल किया था और हाईकोर्ट में दोबारा यह मामला सीटों की डीटेल के साथ दोबारा सुना जा रहा है। संभावना यह भी है कि पुलिस भर्ती बोर्ड कोर्ट के आदेश की अवमानना के दायरे में भी आयेगा। जानकारी देते हुये अधिवक्ता सीमांत सिंह ने बताया कि नियमानुसार सामान्य वर्ग में महिला आरक्षण की बची सीटों पर सामान्य वर्ग के पुरुषों की नियुक्ति की जानी चाहिए। याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र कर रहे हैं। याचिका पर अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी और इसी दिन कोर्ट में सरकार व भर्ती बोर्ड को अपना जवाब भी दाखिल करना होगा।
क्या
है
मामला
उत्तर
प्रदेश
में
2013
में
41610
सिपाही
भर्ती
शुरू
हुई
थी।
इसमें
17,750
सीटें
सामान्य
की,
9,585
ओबीसी
की
और
7,455
एससी
की
थी।
जबकि
महिलाओं
का
20
प्रतिशत
क्षैतिज
आरक्षण
का
अनुपात
सामान्य
वर्ग
में
3,550
और
ओबीसी
में
1,917
सीटें
पर
था।
यानी
सामान्य
वर्ग
में
क्षैतिज
आरक्षण
के
तहत
कुल
3550
सामान्य
वर्ग
की
महिलाओं
का
चयन
होना
था।
कोर्ट
को
हलफनामा
देकर
बताया
गया
है
कि
सामान्य
वर्ग
में
सिर्फ
1,416
महिलाओं
की
ही
नियुक्ति
हो
पाई
है।
जिसके
चलते
सामान्य
में
महिलाओं
के
2,134
पद
खाली
रह
गये
हैं।
इन
सभी
खाली
पदों
पर
ओबीसी
और
एससी
वर्ग
की
महिलाओं
को
नियुक्ति
दी
गई
।
इसी
नियुक्ति
को
हाईकोर्ट
में
चैलेंज
किया
गया
है।
कोर्ट
में
दलील
दी
गई
है
कि
नियमानुसार
जिस
वर्ग
की
महिला
अभ्यर्थी
होंगी
उसको
उसी
वर्ग
में
क्षैतिज
आरक्षण
मिलेगा।
ऐसे
में
आरक्षित
वर्ग
के
अभ्यर्थियों
को
सामान्य
वर्ग
के
क्षैतिज
आरक्षण
में
नियुक्ति
देना
गलत
है
।
कोर्ट
ने
रद्द
की
थी
नियुक्ति
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
ने
इस
मामले
की
सुनवाई
के
दौरान
5
नवंबर
2017
को
सामान्य
वर्ग
के
क्षैतिज
आरक्षण
में
आरक्षित
कोटे
की
महिलाओं
की
नियुक्ति
रद्द
कर
दी
थी
और
सामान्य
वर्ग
की
रिक्त
हुई
सीटों
को
सामान्य
अभ्यर्थियों
से
भरने
का
आदेश
दिया
था।
कोर्ट
ने
आरक्षित
कोटे
की
महिलाओं
को
उनके
ही
वर्ग
में
नियुक्ति
देने
का
आदेश
दिया
था।
कोर्ट
ने
अपने
आदेश
में
यह
साफ
कर
दिया
था
कि
सामान्य
वर्ग
में
क्षैतिज
आरक्षण
लागू
होने
के
बाद
अगर
सीटें
खाली
रहती
हैं
तो
उन
सभी
सीटों
को
सामान्य
अभ्यर्थियों
से
भरा
जाये।
हालांकि
इस
मामले
में
यूपी
गवर्नमेंट
ने
अभी
तक
कोई
संशोधित
परिणाम
जारी
नहीं
किया।
जिसके
चलते
यह
मामला
अभी
तक
अधर
में
लटका
हुआ
है।
इसी
मामले
को
लेकर
हाईकोर्ट
में
अवमानना
याचिका
दाखिल
की
गई।
जिस
पर
सुनवाई
शुरू
हुई
तो
हाईकोर्ट
ने
पुलिस
भर्ती
बोर्ड
और
राज्य
सरकार
को
नोटिस
जारी
किया
है।
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