143 साल पहले दफन टाइम कैप्सूल को निकालने की तैयारी में एएमयू प्रशासन, जानिए क्यों
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) प्रशासन वर्ष 1877 में जमीने के नीचे दफन किए गए टाइम कैप्सूल को बाहर निकालने पर विचार कर रहा है। ताकि विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष पर पुराने इतिहास को नई पीढ़ी जान सके। हालांकि यूनिवर्सिटी जमीन के उस नक्शे की तलाश में जुटी है, जहां कैप्सूल रखा गया था। नक्शा मिलने के बाद कैप्सूल को लेकर बनायी गई कमेटी जल्द ही तिथि घोषित कर सकती है।
नक्शे
की
तलाश
में
जुटा
है
एएमयू
प्रशासन,
जहां
टाइम
कैप्सूल
रखा
गया
था
हिन्दुस्तान
ऑनलाइन
के
मुताबिक,
अलीगढ़
मुस्लिम
विश्वविद्यालय
(एएमयू)
के
संस्थापक
सर
सैयद
अहमद
खां
ने
मोहम्मडन
एंग्लो
ओरिएंटल
कॉलेज
(एमएओ)
की
स्थापना
के
समय
भी
टाइम
कैप्सूल
जमीन
में
दफनया
था।
बॉक्सनुमा
कैप्सूल
को
स्ट्रेची
हॉल
के
पास
जमीन
में
रखा
गया
था।
यूनिवर्सिटी
जमीन
के
उस
नक्शे
की
तलाश
में
जुटी
है,
जहां
कैप्सूल
रखा
गया
था।
कैप्सूल
को
जमीन
में
रखने
की
उस
समय
की
तस्वीर
इंतजामिया
के
पास
है।
कैप्सूल
में
मदरसा
तुल
उलूम
से
लेकर
एमएओ
कॉलेज
की
स्थापना
तक
के
संघर्ष
के
दस्तावेज
व
अन्य
सामान
को
रखा
था।
पहली
बार
जज
बनकर
अलीगढ़
आए
थे
सर
सैयद
एएमयू
के
संस्थापक
सर
सैयद
अहमद
खां
का
आगमन
वर्ष
1864
में
पहली
बार
जज
बनकर
अलीगढ़
में
हुआ
था।
ब्रिटिशकाल
में
यहां
वह
न्यायालय
में
जज
बनकर
आए
थे।
1869
तक
यहां
नौकरी
की।
इसके
बाद
बनारस
ट्रांसफर
हो
गया।
बता
दें
कि
पर्यावरण
की
दृष्टि
से
अलीगढ़
को
बेहतर
मानते
हुए
सर
सैयद
ने
24
मई
1875
को
मदरसा
तुल
उलूम
के
रूप
में
यूनिवर्सिटी
की
नींव
रखी
थी।
सात
छात्रों
से
शुरू
हुए
मदरसे
को
बाद
में
वर्ष
1920
में
विश्वविद्यालय
का
रूप
दिया
गया
था।
वर्ष
1877
में
दफन
किए
गये
कैप्सूल
को
अब
बाहर
निकालने
पर
विश्वविद्यालय
प्रशासन
विचार
कर
रहा
है।
ताकि
पुराने
इतिहास
को
नई
पीढ़ी
जान
सके।
एएमयू
के
शताब्दी
वर्ष
पर
नया
कैप्सूल
दफन
करने
की
तैयारी
राहत
अबरार,
एमआईसी,
एएमयू
पीआरओ
सैल
ने
बताया
कि
विश्वविद्यालय
के
शताब्दी
वर्ष
में
नया
कैप्सूल
दफन
करने
की
तैयारी
की
जा
रही
है।
ताकि
इतिहास
को
संजोकर
सुरक्षित
रखा
जा
सके।
जिसको
सालों
बाद
नई
पीढ़ी
देख
सके।
इसी
क्रम
में
करीब
140
साल
पहले
दफन
किए
गए
कैप्सूल
को
बाहर
निकालकर
नई
पीढ़ी
को
पुराने
इतिहास
रूबरू
कराने
का
प्रस्ताव
भी
कमेटी
के
समक्ष
रखा
गया
है।
हालांकि
अभी
इस
पर
कोई
ठोस
निर्णय
नहीं
लिया
गया
है।
विचार
विमर्श
चल
रहा
है।
अब
अगली
बैठक
में
पुन:
इस
पर
विचार
किया
जाएगा।
12
जनवरी
1877
के
अंक
में
मिला
है
अधिकांश
जिक्र
विश्वविद्यालय
उर्दू
एकेडमी
के
डायरेक्टर
एवं
पीआरओ
सैल
के
मेंबर
इंचार्ज
डॉ.
राहत
अबरार
का
कहना
हैं
कि
आठ
जनवरी
1877
को
मोहम्मद
एंग्लो
कॉलेज
की
स्थापना
के
समय
बड़ा
समारोह
हुआ
था।
उद्घाटन
वायसराय
लार्ड
लिटिन
ने
किया।
बनारस
के
नरेश
शंभू
नारायण
भी
शामिल
हुए।
करीब
140
वर्ष
पहले
भी
सर
सैयद
ने
वायसराय
व
नरेश
की
मौजूदगी
में
टाइम
कैप्सूल
जमीन
में
रखा
था।
इसका
जिक्र
अलीगढ़
इंस्टीट्यूट
गजट
के
12
जनवरी
1877
को
प्रकाशित
अंक
में
मिलता
है।
कैप्सूल
में
सोने,
चांदी
व
तांबे
के
सिक्कों
के
साथ
मदरसा
व
कॉलेज
की
स्थापना
के
लिए
किए
संघर्ष
आदि
की
दास्तां
शामिल
हैं।
कैप्सूल
में
सामान
को
रखने
के
लिए
कांच
की
बोतलों
का
इस्तेमाल
किया
गया
था।
कमेटी
जल्द
लेगी
निर्णय
विवि
की
स्थापना
के
शताब्दी
वर्ष
को
लेकर
की
जा
रही
तैयारियों
के
क्रम
में
विश्वविद्यालय
में
एक
कमेटी
का
गठन
किया
गया
है।
जिसमें
रजिस्ट्रार
अब्दुल
हमीद,
इतिहास
विभाग
के
प्रो.
एमके
पुंडीर,
मैकेनिकल
इंजीनियरिंग
विभाग
के
चेयरमैन
प्रो.
मिर्जा
फैसल
बेग,
यूनिवर्सिटी
इंजीनियर
राजीव
शर्मा,
सर
सैयद
एकेडमी
के
डिप्टी
डायरेक्टर
डॉ.
मो.
शाहिद
बोस
व
उर्दू
अकेडमी
के
डायरेक्टर
डॉ.
राहत
अबरार
शामिल
हैं।
यह
कमेटी
नए
कैप्सूल
को
दफन
करने
व
पुराने
कैप्सूल
को
निकालने
को
लेकर
विभिन्न
पहलुओं
पर
विचार
कर
रही
है।
साथ
ही
एएमयू
प्रशासन
नए
टाइम
कैप्यूल
को
विक्टोरिया
गेट
के
सामने,
सर
सैयद
हाउस,
कैनेडी
हॉल
लाइब्रेरी
के
सामने
दफन
कर
सकता
है।
इस
लेकर
एक
बैठक
हो
चुकी
है।
अन्य
बैठकें
भी
जल्द
आयोजित
होंगी।