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रुढ़िवादी परम्पराओं को तोड़कर 3 बेटियों ने दिया पिता की अर्थी को कंधा, मुखाग्नि देकर पूरी की अंतिम इच्छा

By नवीन वैष्णव
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अजमेर। बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए अपने पिता को ना केवल कंधा दिया बल्कि मुखाग्रि भी दी। यह वाक्या अजमेर के पालबीचला का है। पालबीचला निवासी हरीशचंद माली की हार्ट अटैक से मौत हो गई। हरीशचंद के कोई बेटा नहीं होने के कारण उसकी तीन बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा देकर श्मशान स्थल तक पहुंचाया। जिसने भी यह नजारा देखा तो उसकी भी आंखें नम हो गईं।

Three Daughter Doing Father Funeral in Ajmer

सबने यही कहा कि बेटियां-बेटों से कम नहीं हैं। मृतक हरीश की बेटियों ने ही उसके अंतिम क्रियाकर्म का कार्य किया। इसके बाद नम आंखों से मुखाग्रि भी दी। हरीश जलदाय विभाग से सेवानिवृत थे। चंचल, चंदन और रानू उनकी बेटियां हैं।

चंचल ने बताया कि उसके पिता ने सभी बहनों को बड़ नाज से और बेटों की तरह ही पाला था। आज उनके निधन पर बहनों ने बेटे के द्वारा निभाए जाने वाले सभी फर्ज निभाए हैं और आगामी दिनों में जो सामाजिक रीति रिवाज है वो भी करेंगे।

चंचल ने कहा कि अब वह जमाना आ गया है जब बेटा-बेटी में किसी तरह का भेदभाव किया जाता था। अब बेटियां भी बेटों से कहीं कम नहीं है, इसलिए बेटियों को हीन भावना से देखना लोगों को बंद करना चाहिए।

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English summary
Three Daughter Doing Father Funeral in Ajmer
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