गुजरात में बालविवाहों पर नहीं लगी लगाम, अकेले अहमदाबाद से 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आए
गांधीनगर। देश में बालविवाह के खिलाफ कानून लागू होने के बावजूद कई राज्यों में ऐसे मामले कम नहीं हो पा रहे। गुजरात की बात करें तो यहां के एक ही शहर में ही 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। बालविवाह के बारे में कहा यह जाता है कि ऐसे मामले ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा सामने आते हैं, लेकिन आॅफिशियल रिपोर्ट देखें तो यह साफ है कि गुजरात में शहरी क्षेत्रों बाल विवाह ज्यादा हो रहे हैं। यहां के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में 20265 तो सूरत शहरी क्षेत्र में 10,709 केस बालविवाह के सामने आए।
राजकोट में 6225 और खेडा में 5665 केस सामने आए
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 15 साल की उम्र से पहले शादी करने वाली महिलाओं की सबसे बड़ी संख्या अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा और सूरत के चार प्रमुख जिलों से है। इन सभी चार जिलों में शहरीकरण का उच्च स्तर है। अहमदाबाद और सूरत के बाद वडोदरा की बात करें तो यहां बाल विवाह के 7673 मामले, राजकोट में 6225 और खेडा में 5665 केस सामने आए।
15 से 19 आयु वर्ग की महिलाओं की शादियां ज्यादा
जनगणना के साथ-साथ NFHS (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे) 3 एंड 4 के डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन प्लान के दिशानिर्देशों के एक हिस्से के रूप में दिए गए आंकड़ों से पता चला है कि अहमदाबाद में महिलाओं की संख्या बढ़ी है, जिन्होंने 15 साल की उम्र में शादी कर ली। जो उस आयु वर्ग की कुल महिलाओं का 2.36% थी। 15 से 19 आयु वर्ग की महिलाओं की संख्या, जिनकी शादी हो चुकी थी, को ध्यान में रखते हुए सभी जिलों के लिए संख्या काफी बढ़ गई है।
केवल 15 मामलों में ही दोष सिद्ध हुआ
रिपोर्ट
में
कहा
गया
कि
बाल
विवाह
को
रोकने
पर
ध्यान
देने
की
जरूरत
है,
खासकर
15
वर्ष
से
कम
आयु
वर्ग
में
शादीयां
पाइ
जाती
है।
रिपोर्ट
में
यह
भी
कहा
गया
है
कि
राज्य
की
हर
77
वीं
लड़की
की
शादी
15
वर्ष
की
आयु
से
पहले
हो
रही
है।
वहीं,
CAG
की
एक
रिपोर्ट
में
भी
कहा
गया
है
कि,
2009-14
के
बीच
राज्य
में
लगभग
659
बाल-विवाह
की
शिकायतें
दर्ज
की
गई
थीं,
जिनमें
से
केवल
15
मामलों
में
ही
दोष
सिद्ध
हुआ।
गुजरात
विश्वविद्यालय
में
समाजशास्त्र
विभाग
के
एचओडी
डॉ
जेसी
पटेल
ने
कहा
कि,
शहरी
और
ग्रामीण
क्षेत्रों
पर
ध्यान
केंद्रित
करने
के
बजाय
उन
समुदायों
पर
ध्यान
केंद्रित
किया
जाना
चाहिए
जहां
ऐसे
विवाह
बड़े
पैमाने
पर
होते
हैं।
लोगों के लिए यह एक सामाजिक रिवाज है
डॉ.
पटेल
ने
कहा,
जब
आप
कहते
हैं
कि
अहमदाबाद
जैसे
जिलों
में
संख्या
बहुत
अधिक
है,
जो
अत्यधिक
शहरीकृत
है,
तो
आपको
उन
समुदायों
का
पता
लगाने
की
जरूरत
है,
जिनमें
ये
विवाह
हुआ
है।
उन्होंने
आगे
कहा
कि
यह
केवल
तब
होता
है
जब
ऐसे
समुदायों
को
जागरूकता
के
लिए
लक्षित
किया
जाता
है
कि
समस्या
हल
हो
जाएगी।
यह
दर्शाता
है
कि
कहीं
न
कहीं
सरकार
औऱ
समाज
उस
जागरूकता
को
बनाने
में
विफल
रहे
हैं
जिसकी
आवश्यकता
है।
इसके
अलावा,
जो
लोग
अपने
बच्चों
की
शादी
करवाते
हैं,
वे
यह
नहीं
मानते
हैं
कि
वे
किसी
भी
नियम
को
तोड़
रहे
हैं।
उनके
लिए
यह
एक
सामाजिक
रिवाज
है।
कानून
और
व्यवस्था
का
मुद्दा
केवल
सरकार
ही
देखती
है।
अहमदाबाद और अन्य 3 शहरी जिलों में बालविवाह की वजहें
एनएफएचएस 4 के अनुसार, गांधीनगर में 50.4% और खेडा में 41.7% महिलायें 20-24 आयु वर्ग की है जहां उनकी शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई है। बच्चों के साथ काम करने वाले एक एनजीओ से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि, अहमदाबाद और अन्य 3 शहरी जिलों में इतनी अधिक संख्या में विवाह होने का कारण यह है कि उनमें से अधिक लोग माइग्रेट है।
कुछ स्थानीय जनजातियों में यह मुद्दा अधिक गंभीर
जबकि यह समस्या गुजरात के ग्रामीण इलाकों में भी पायी गई है, 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि भील, ढोडिया, हलपति, गामित, कोकना, नोका, रथावा और वर्ली जैसे कुछ स्थानीय जनजातियों में यह मुद्दा अधिक गंभीर है, जो राज्य की कुल आदिवासी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो उत्तर में बनासकांठा से लेकर दक्षिण में डांग तक फैला है। इसमें बाल विवाहित व्यक्तियों की संख्या 11,500 से अधिक है।
क्यों गुजरात में बाल विवाह को रोका नहीं जा सका?
बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 लागू होने के बावजूद गुजरात में बाल विवाह को रोका नहीं जा सका है। इस बीच, जनगणना के आंकड़े यह भी बताते हैं कि गुजरात में अनुसूचित जातियों में 10-14 वर्ष की आयु में 9,930 विवाहित (3,945 पुरुष और 5,985 महिलाएँ) हैं। इनमें से 469 विधवा हैं, 197 अलग हैं और 104 तलाकशुदा हैं। हैरानी की बात है कि ग्रामीण के 4,407 आंकडे की तुलना में शहरी इलाकों में विवाहित अनुसूचित जाति के किशोरों में 5,523 संख्या पायी गई है।